देहरादून: उत्तराखंड में प्रदेश सरकार की प्रतिबद्धता के चलते स्थानीय महिलाओं को सरकारी नौकरियों में का कानूनी अधिकार मिला है। प्रदेश में आरक्षण का लाभ उन सभी महिलाओं को मिलेगा, जिनका उत्तराखंड राज्य का डोमिसाइल (Domicile of Uttarakhand) है। फिर चाहे वे राज्य से बाहर किसी भी स्थान पर रहतीं हों। आइए जानते हैं क्या पूरा मामला..
महिला आरक्षण विधेयक (Women’s Reservation Bill) की मंजूरी में लगभग एक माह का समय लग गया क्योंकि राजभवन भेजने पर पहले इसका न्याय और विधि विशेषज्ञों से परीक्षण कराया गया। जिसके बाद 10 जनवरी 2023 को राज्यपाल ने इस विधेयक को मंजूरी दे दी थी। महिला क्षैतिज आरक्षण विधेयक को राज्यपाल की मंजूरी के साथ ही यह अधिनियम बन गया।
हाईकोर्ट ने लगाई महिला आरक्षण पर रोक
नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य लोक सेवा आयोग की उत्तराखंड सम्मिलित प्रवर सेवा के पदों के लिए आयोजित परीक्षा में उत्तराखंड मूल की महिला अभ्यर्थियों के 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण वाले शासनादेशों पर रोक लगा दी थी। 24 अगस्त 2022 को हाईकोर्ट ने आरक्षण पर रोक संबंधी आदेश दिया था। आरक्षण मामले में हरियाणा की पवित्रा चौहान व अन्य अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का आदेश रोका
हाईकोर्ट नैनीताल के आदेश को उत्तराखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सरकार की एसएलपी नवंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी। जिसके बाद महिलाओं को मिलने वाला 30 प्रतिशत आरक्षण बरकरार रहा।
3हजार महिलाओं का रिजल्ट कैंसिल
अब उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने उत्तराखण्ड सम्मिलित राज्य (सिविल) प्रवर अधीनस्थ सेवा प्रारम्भिक परीक्षा- 2021 (Uttarakhand Combined State Civil Upper Subordinate Service Examination) के महिला क्षैतिज आरक्षण के मानको में अनफिट अभ्यर्थियों का रिजल्ट निरस्त कर दिया है। आयोग के इस फैसले के बाद 3247 महिला अभ्यर्थी पीसीएस की मुख्य परीक्षा नहीं दे पाएंगी। इन अभ्यर्थियों का नाम हाईकोर्ट में महिला क्षैतिज आरक्षण का शासनादेश रद्द होने के बाद संशोधित परिणाम में शामिल किया गया था।
महिला क्षैतिज आरक्षण पर कब क्या हुआ
-18 जुलाई 2001 को अंतरिम सरकार ने 20 प्रतिशत आरक्षण का शासनादेश जारी किया था।
-24 जुलाई 2006 को तत्कालीन पं नारायण दत्त तिवारी सरकार ने आरक्षण को 20 से बढ़ाकर 30 प्रतिशत किया।
-24 अगस्त 2022 को हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान आरक्षण के शासनादेश पर रोक लगाई।
-04 नवंबर 2022 को उत्तराखंड सरकार की एसएलपी पर सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी।
-29 नवंबर 2022 को सरकार ने विधानसभा के सदन में आरक्षण विधेयक पेश किया।
-30 नवंबर 2022 को सरकार ने विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कराकर राजभवन भेजा।
-10 जनवरी 2022 को राज्यपाल ने विधेयक को मंजूरी दी।