2023 तक 23 आदमखोर बाघ पकड़े गये ,ढेला रेस्क्यू सेंटर में रखे है
मानव-वन्यजीव संघर्ष में शामिल बाघ को पकड़ने, नष्ट करने की अनुमति वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के उचित प्रावधान के तहत कानून में मानव जीवन को वरीयता दी जाती है। ऐसी स्थिति में ऐसे बाघ को दोबारा जंगल में छोड़ना उचित नहीं क्योंकि पुनः मानव-वन्यजीव संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो सकती है
रामनगर । उत्तराखंड में इन दिनों बाघ के हमले की घटनाएं लागतार सामने आ रहीं है। जिससे लोगों में दहशत का माहौल बना हुआ है। इस बीच भीमताल में दो महिलाओं व एक युवती की जान लेने वाली बाघिन को पकड़कर रेस्क्यू सेंटर भेज दिया गया है। भारतीय वन्यजीव संस्थान की रिपोर्ट में यह खुलासा हो चुका है कि पकड़ी गई बाघिन ही नरभक्षी है। अब बाघिन को आजाद नही किया जाएगा। अब उसे रेस्क्यू सेंटर में ही अपनी जिंदगी बितानी पड़ेगी।
एजी अंसारी, वन्यजीव विशेषज्ञ ने बताया कि मानव-वन्यजीव संघर्ष में शामिल बाघ को पकड़ने, नष्ट करने की अनुमति वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के उचित प्रावधान के तहत कानून में मानव जीवन को वरीयता दी जाती है। ऐसी स्थिति में ऐसे बाघ को दोबारा जंगल में छोड़ना उचित नहीं क्योंकि पुनः मानव-वन्यजीव संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
-डॉ. धीरज पांडेय, निदेशक कॉर्बेट टाइगर रिजर्व ने बताया कि ढेला रेस्क्यू सेंटर में हिंसक हो चुके बाघों को रखा गया है। स्वस्थ हो चुके बाघों को जंगल में छोड़ने के लिए चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन और एनटीसीए की अनुमति जरूरी है।