कुमाऊं की 14 विधानसभा में टिकट के 47 दावेदार

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अल्मोड़ा । कुमाऊं के अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, चम्पावत और बागेश्वर की 14 सीटों के लिए तीन गुने से ज्यादा कांग्रेसियों ने दावेदारी पेश की है. सांकेतिक फोटोकुमाऊं के अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, चम्पावत और बागेश्वर की 14 सीटों के लिए तीन गुने से ज्यादा कांग्रेसियों ने दावेदारी पेश की है. सांकेतिक उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस में टिकट की चाह रखने वालों की संख्या में इजाफा दिख रहा है. ऐसा बहुत कम होता है. कुमाऊं के अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, चम्पावत और बागेश्वर की 14 सीटों के लिए तीन गुने से ज्यादा कांग्रेसियों ने दावेदारी पेश की है. सबसे अधिक दावेदार डीडीहाट सीट पर दिखाई दे रहे हैं. कांग्रेस इसे अच्छा संकेत बता रही है, लेकिन टिकट न मिलने से नाराज उम्मीदवारों ने यदि बगावती तेवर दिखा दिए तो कांग्रेस के लिए ये मुश्किल भरा भी हो सकता है.
पिथौरागढ़. कुमाऊं के चार पहाड़ी जिलों में कांग्रेस से टिकट की चाह रखने वालों की फौज नजर आ रही है. आलम ये है कि इन जिलों की 14 विधानसभा सीटों के लिए 47 दावेदार मैदान में हैं. कांग्रेस भले ही इसे शुभ संकेत मान रही हो, लेकिन दावेदारों की ये फौज चुनाव में मुश्किल भी पैदा कर सकती है.
उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस में टिकट की चाह रखने वालों की संख्या इस बार जिस कदर बड़ी है, ऐसा बहुत कम होता है. कुमाऊं के अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, चम्पावत और बागेश्वर की 14 सीटों के लिए तीन गुने से ज्यादा कांग्रेसियों ने दावेदारी पेश की है. सबसे अधिक दावेदार डीडीहाट सीट पर दिखाई दे रहे हैं. यहां से 7 कांग्रेसी नेताओं ने दावेदारी की है, जबकि अल्मोड़ा सीट पर ये आंकड़ा 6 तक जा पहुंचा है. रानीखेत, द्वाराहाट, धारचूला, कपकोट और जागेश्वर सीट से सिर्फ एक ही दावेदार मैदान में है.

मुश्किल भी खड़ी कर सकती है दावेदारों की फौज

अल्मोड़ा जिले की 6 सीटों के लिए कांग्रेस से 15 दावेदार मैदान में हैं, जबकि पिथौरागढ़ की 4 सीटों पर 13 दावेदारों ने ताल ठोकी है. वहीं बागेश्वर की 2 सीटों के लिए 8 और चम्पावत की भी 2 सीटों के लिए 10 कांग्रेसी मैदान में हैं. दावेदारों की फौज को नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए शुभ संकेत बता रहे हैं. प्रीतम की मानें की उत्तराखंड में कांग्रेस जीत की ओर है, यही वजह है कि हर कोई पंजे का निशान चाह रहा है.

कांग्रेस भले ही दावेदारों की फौज को शुभ संकेत मान रही हो, लेकिन एक सच्चाई ये भी है कि 47 दावेदारों में से पार्टी सिम्बल पर सिर्फ 14 नेता ही चुनावी अखाड़े में कूद सकते हैं. ऐसे में इस आशंका से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि टिकट नहीं मिलने वाले दावेदार बगावत का रास्ता अख्तियार तो नहीं करेंगे.

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