सिडकुल में सरकार का 70 प्रतिशत आरक्षण खोखला

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श्रम विभाग की मिलीभगत से हो रहा युवाओं को शोषण

उत्तराखण्ड के युवा ठेकेदारी प्रथा में हो रहा है शोषण मजदूरी मात्र 5 हजार रूपये में 10 घंटे काम वह भी समय पर नहीं मिलती है मजदूरी ,कई बार श्रम विभाग के चौखट पर गुहार लगाई किसी ने आजतक नहीं सुनी ऐसा लगता है कि संस्थान ,ठेकेदार व श्रम विभाग आपस में मिलीभगत है – भगवत सिंह

रूद्रपुर।प्रदेश के युवओं को औद्योगिक क्षेत्रो में 70 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने का ढिंढोरा पिटने वाली सरकार का दावा खोखला साबित हो रहा है।

यहां सिडकुल क्षेत्र में स्थानीय बेरोजगार युवाओं को 70 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने का शासनादेश जारी होने के बाबजूद भी वह हवाई ही साबित हो रही हैं जिन युवाओं को रोजगार मिलने का दावा सरकार कर रही है वे अधिकतर ठेकेदारी प्रथा में या अकुशल श्रेणी में चल रहे हैं नियमित श्रेणी में 70 से 80 प्रतिशत लोग बाहरी राज्य के हैं ।20से 30 प्रतिशत स्थानीय लोगों को राजगार मिला हुआ हैं। रोजगार दफ्तर केआकंड़े भी चौंकाने वाले सााबित हो रहे हैं सेवायेाजन विभाग के अनुसार 70से80 प्रतिशत स्थानीय युवओं को कुशल श्रेणी में रोजगार मुहैया करया गया हैं ये झूठे आंकड़े लोगों को गुमराह कर रहे हैं । इसके अलावा बाहरी राज्य के कई लोगों ने यहां के स्थानीय निवास होने का प्रमाण पत्र बनाकर 70 प्रतिशत के आरक्षण का लाभ लिया हैं

अब यह स्थानीय निवास प्रमाण पत्र केसे बन गया यह भी एक गंभीर मामला सामने आ रहा है।अगर इस मामले में निष्पक्ष जांच होगी तो कई अधिकारी , कर्मचारी व सफेदपांेशो का पर्दा उठेगा ,लेकिन ऐसा नहीं होगा क्योंकि मामला राजस्व विभाग व नेताओं के बीच का मामला हैं ।पहाड़ से युवा रोजगार के लिए पलायन कर रहा है सिडकुल में ठेकेदार का गुलाम बनकर रह रहा है समय पर उसे पारश्रमिक भी नहीं मिल पा रहा है अगर मिल भी रहा है पूरा नहीं मिल रहा है जिसे वह सब कुछ छोड़कर पुनः पहाड़ की ओर रूख कर रहा हैं। कइ्र बार स्थानीय युवा उद्योग मंत्री से इस मामले में मुलाकात की लेकिन उनके द्वारा इा मामले में गंभीरता से नहीं लिया हैंे । इसमें श्रम विभाग की मिलीभगत है।

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