वेरोजगारों को एफसीआई में नौकरी दिलाने के नाम पर 75 लाख की ठगी

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लखनऊ। भारतीय खाद्य निगम में नौकरी का झांसा देकर जालसाजों ने 60 बेरोजगारों से एक करोड़ 75 लाख रुपए ठग लिए। जालसाजों ने युवकों को फर्जी नियुक्ति पत्र भी दिए। दो साल तक बेरोजगारों ने नौकरी मिलने का इंतजार किया, इसके बाद पीड़ितों ने महानगर कोतवाली में तहरीर देकर मुकदमा दर्ज कराया। पुलिस मामले की जांच में जुट गई है।
इंस्पेक्टर महानगर प्रदीप सिंह ने बताया कि इन्दिरानगर निवासी मनीष राय इंडो फार्म कम्पनी में जॉब करता है। उनके साथ सत्य प्रकाश त्रिपाठी भी काम करता था। सत्य प्रकाश के जरिए उनकी मुलाकात अभिषेक दुबे और नीरज पाण्डेय से 2019 में हुई थी। अभिषेक ने बताया कि एफसीआई में समूह ग पद के लिए भर्ती होनी है। इसके केवल साक्षात्कार देना होगा, लिखित परीक्षा नही होगी। आरोपियों ने मनीष की बात रवि प्रकाश, राकेश सिंह, राजन चौबे और उसकी पत्नी कविता से कराई।
मनीष के कहने पर उनके भांजे राम मनोहर राय, अनीस राय, मुन्ना कुमार और राजकुमार ने आरोपियों से फोन पर बात की। इसके बाद उन्हें दिल्ली के बाराखम्भा स्थित एक दफ्तर में बुलाया गया। वहां पर कविता चौबे और उसके पति राजन से मुलाकात हुई। दोनों लोगों ने ग्रुप सी पर भर्ती होने की बात कही, जिसकी वजह से मनीष के रिश्तेदारों को भरोसा हो गया। इसके बाद मनीष ने महानगर स्थित एक रेस्टोरेंट में नीरज पाण्डेय को 22 लाख रुपये दिए। इसके एक हफ्ते बाद ही आरोपियों ने अधिकारियों से नियुक्ति पत्र पर दस्तख्त कराने का दावा कर और रुपये मांगे थे। मनीष के मुताबिक करीब एक करोड़ 75 लाख रुपये 60 लोगों की नौकरी के लिए दिए गए थे।
नीरज और उसके साथियों ने युवकों को ट्रेनिंग के लिए प्रदेश के अलग-अलग जिलों में भेजा। ट्रेनिंग पूरी करने के बाद इन्हें बारकोड बने लिफाफे में करके नियुक्ति पत्र भी दिया गया। इसपर पीड़ितों का भरोसा और पक्का हो गया। मनीष के अनुसार करीब दो साल तक 60 युवक ठगों के चक्कर में फंस कर नौकरी मिलने का इंतजार करते रहे, लेकिन उन्हें नियुक्ति नहीं मिली। इसपर रुपये वापस मांगने पर आरोपी धमकी देने लगे।
इंस्पेक्टर प्रदीप सिंह के मुताबिक मनीष की तहरीर पर नीरज पांडेय, अभिषेक दुबे, रवि प्रकाश, राकेश सिंह, राजन चौबे, कविता चौबे, अनूप श्रीवास्तव, संजू श्रीवास्तव, जितेंद्र, राज रस्तोगी और अमरेंद्र सिंह के खिलाफ धोखाधड़ी, जाली कागज तैयार करने और अन्य धारा में मुकदमा दर्ज कर जांच की जा रही।

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