16 साल बाद खिला देवी अपने पति के हत्यारों को सजा दिलाने में कामयाब हुई
खिला देवी ने कहा पप्पू लाल पटवारी नहीं राक्षश है ,उसे विभाग ने कैसे इतनी जिम्मेदारी का पद दिया यह भी एक सवाल है।
हिरासत में हत्या के 16 वर्ष पुराने मामले में पटवारी और पांच अन्य को आजीवन कारावास
बागेश्वर। अपर सत्र न्यायाधीश कुलदीप शर्मा की अदालत ने हिरासत में हत्या के 16 साल पुराने मामले में राजस्व उपनिरीक्षक (पटवारी) सहित छह दोषियों को उम्रकैद और दस-दस हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।
आपको बता दें कि पांच जनवरी 2005 को रिखाड़ी गांव की खिला देवी ने तहसीलदार कपकोट को तहरीर दी थी कि उक्त तिथि को सुबह पांच बजे पटवारी पप्पू लाल, चपरासी गोविंद सिंह, होमगार्ड लछम राम, नारायण राम, पूरन चंद्र, गोविंद प्रसाद और बाला सिंह उसके घर पहुंचे।
इन लोगों ने उसके पति राजू राम को बिस्तर से उठाया और लात-घूंसे बरसाने लगे। उन्होंने लाठियों से भी उसके पति की पिटाई की। बच्चों और उसे भी डंडा दिखाकर धमकाया। इसके बाद वे राजू को पीटते हुए खींचकर ले गए और बेडिया नामक स्थान पर लगातार पीटे जाने से राजू की मौत हो गई।
तहरीर के आधार पर पटवारी पप्पू लाल निवासी भोलना नाघर, गोविंद सिंह निवासी गिरचोला, लछम राम निवासी रिखाड़ी, नारायण राम निवासी ओखलधार, पूरन चंद्र निवासी मल्लादेश, गोविंद प्रसाद निवासी बिखातीगांव और बाला सिंह निवासी फरसाली के खिलाफ धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया।मामले की विवेचना राजस्व पुलिस से हटाकर रेगुलर पुलिस और बाद में सीबीसीआईडी को सौंपी गई। जांच के बाद न्यायालय में आरोपपत्र दाखिल किया गया। अभियोजन पक्ष ने 10 गवाह पेश किए। 28 फरवरी 2008 को सत्र न्यायाधीश ने सभी आरोपियों को मामले से दोषमुक्त कर दिया।
सत्र न्यायालय के निर्णय के खिलाफ वादिनी खिला देवी ने उच्च न्यायालय में पुनरीक्षण अपील की। उच्च न्यायालय के आदेश के अपर सत्र न्यायाधीश ने मामले की पुनरू सुनवाई की।
अभियोजन पक्ष की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी गोविंद बल्लभ उपाध्याय और सहायक शासकीय अधिवक्ता चंचल सिंह पपोला ने मामले की पैरवी की।
अभियोजन पक्ष ने कुल 13 गवाह न्यायालय में पेश कराए। अपर सत्र न्यायाधीश ने मामले में छह अभियुक्तों को दोषी क रार देते उम्रकैद की सजा सुनाई है। इस मामले में आरोपी बाला सिंह पुत्र त्रिलोक सिंह की मौत हो चुकी है।