आखिरकार धामी सरकार को चार धाम के पुरोहितो से सामने घुटने टेकने ही पड़े ,देवास्थानम बोर्ड भंग

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भाजपा सरकार से प्रदेश की जनता बेहद परेशान है वह 2022 में परिर्वतन चाहती है दुर्गम विधान सभा क्षेत्र कपकोट की जनता भाजपा से अब नफरत करने लगी है क्षेत्र की जनता का कहना है कि कैसे बला टले इस भाजपा सरकार से ,मंहगाई से मध्यम वर्ग के लोगों का जीना मुहाल हो गया है। भाजपा के पदाधिकारी व कार्यकत्ताओं के मौज ही मौज है। विकास कार्यो में भ्रष्टाचार चरम पर है। कोई सुनने वाला ही नहीं किसे शिकायत करें ।

देहरादून । उत्तराखंड में चार धाम के पुरोहितों के तप तपस्या आंदोलन और प्रदर्शन की जीत हुई है। आखिरकार पुरोहितों के सामने धामी गिड़गिडाये कि यह तो सरकार ने पहिले ही भंग कद देनी चाहिए लेकिन कुछ कारणों को लेकर ऐसा निमर्ण लेने में असमर्थ रहे है।
आपको बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल के वक्त देवस्थानम बोर्ड का गठन किया गया था। इस बोर्ड के अंतर्गत उत्तराखंड में चारों धामों को रखा गया था। इस बोर्ड के गठन के बाद से ही चार धाम के हक हुकूक धारी और तीर्थ पुरोहित आंदोलन कर रहे थे। त्रिवेंद्र सिंह रावत के बाद तीरथ सिंह रावत आए लेकिन उन्होंने भी देवस्थानम बोर्ड पर कोई ऐलान नहीं किया। आखिरकार सीएम पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड देवस्थानम बोर्ड भंग करने का ऐलान किया है।
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल के वक्त देवस्थानम बोर्ड का गठन किया गया था। इस बोर्ड के अंतर्गत उत्तराखंड में चारों धामों के साथ ही कुल 51 मंदिरों को रखा गया था। इसके बाद चार धाम के तीर्थ पुरोहितों ने अब बड़े आंदोलन का ऐलान किया था। विधानसभा चुनाव नजदीक है और ऐसे में सीएम पुष्कर सिंह धामी ने एक नई चाल चली है। वैसे भाजपा 2022 के चुनाव में कमजोर पड़ सकती है।

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