अल्मोड़ा जेल के अंदर से होती है रंगदारी व अवैध द्यंद्ये , जेल बना अवैध द्यंद्ये का अड्डा ,अब खुलने लगे सभी राज
अल्मोड़ा । जिला जेल से कैदी द्वारा रंगदारी मांगे जाने के मामले में पुलिस के सामने कई राज खुल रहे हैं। सूत्रों के अनुसार रंगदारी से जुटाई जाने वाली लाखों की रकम को शहर में होने वाले कई तरह के अवैध कामों में लगाया जाता था। अब पुलिस ने रंगदारी मांगने वाले आरोपियों के साथ ही शहर में अवैध काम करने वाले कुछ लोगों को भी अपने रडार पर लिया है। ये जेल में रहकर स्मैक, गाजा, चरस ऐसे कई द्यंद्ये की चैन बनी हुई है जिसका मुखिया कलीम है।
जिला जेल से रंगदारी मांगे जाने के मामले में बृहस्पतिवार शाम को कोर्ट से रंगदारी कांड के आरोपी कलीम, महिपाल और चालक ललित भट्ट की पुलिस कस्टडी रिमांड मिली थी। 48 घंटे की रिमांड मिलने के बाद शुक्रवार को पुलिस ने तीनों आरोपियों से पूछताछ की। सूत्रों के अनुसार पूछताछ में खुलासा हुआ है कि पूरे कांड में हत्यारोपी कलीम रंगदारी की मांग करता था और उसका सहयोगी कैदी रंगदारी की पूरी रकम का हिसाब रखता था। जेल के अंदर किसी सामान की डिमांड होती थी तो उसका खर्चा भी महिपाल ही रंगदारी की रकम में से देता था।
चालक ललित भट्ट रंगदारी की रकम को अपने खाते में मंगाने के साथ ही उस रकम को ठिकाने भी लगाता था। रंगदारी की रकम सिर्फ दावत या पार्टी में खर्च नहीं होती थी बल्कि शहर में होने वाले कुछ अवैध कारोबार में भी ललित इस रकम को लगाकर रकम को और बढ़ाता था। सितंबर में ललित के एक खाते में लाखों की रकम आई थी इस रकम को भी ललित ने अवैध धंधों में लगाया था। इन धंधों से भी कलीम गैंग काफी फायदा लेता था। इस गहरे राज का खुलासा होने के बाद अब पुलिस ने शहर में अवैध कारोबार करने वाले कुछ लोगों को भी अपने रडार पर लिया है। फिलहाल पुलिस तीनों आरोपियों से कई बिंदुओं पर पूछताछ कर रही है। माना जा रहा है कि 48 घंटे की पूछताछ के बाद
रंगदारी कांड से जुड़े कई अहम राज खुल सकते हैं।
रंगदारी कांड में अभी भी कई सवाल पुलिस के लिए पहली बने हुए हैं। कड़ी से कड़ी जुड़ने के बाद कई नए राज भी सामने आ रहे हैं जिनसे पर्दा उठाने के लिए पुलिस की तीन टीमें रंगदारी कांड के आरोपियों से पूछताछ कर रही हैं। शुक्रवार को भी तीन टीमों ने करीब दस घंटे तक आरोपियों से पूछताछ की। खुद एसएसपी पंकज भट्ट भी पूरी पूछताछ पर नजर बनाए हुए हैं। जेल में छापा मारने के बाद इस बात का खुलासा हुआ था कि रंगदारी की रकम जेल के संविदा चालक ललित भट्ट के खाते में आती थी। खाते की जांच करने पर उसमें दस लाख रुपये का ट्रांजेक्शन भी पुलिस और एसटीएफ को मिला। बृहस्पतिवार की पूछताछ में ललित के एक और खाते का राज खुला है जिसकी जांच पुलिस कर रही है। माना जा रहा है कि इसी खाते की रकम को ललित अवैध धंधों में लगाता था।
जिला जेल की बैरक नंबर सात यहां आने वाले कैदियों की पहली पसंद होती थी। इसके पीछे का कारण यहां मिलने वाला ऐशोआराम था। कलीम से पहले महिपाल इस बैरक का बॉस था। जेल के बाहर रहने वाले अपराधियों को भी इस बैरक की शानो-शौकत की जानकारी थी। कुछ समय पहले गिरफ्तार हुए 20 हजार के इनामी माओवादी भास्कर पांडे ने भी पुलिस गिरफ्त में आने के बाद इसी बैरक में रुकने की इच्छा जताई थी। भास्कर का उद्देश्य यहां मिलने वाली सुख सुविधाओं को भोगने के साथ ही यहां बंद कैदियों से नेटवर्क जोड़ना भी था।