अरविंद केजरीवाल व मनीष सिसोदिया को दिल्ली की कोर्ट ने मुख्य सचिव की पिटाई के मामले आरोप मुक्त कर दिया
अरविंद केजरीवाल व मनीष सिसोदिया को दिल्ली की कोर्ट ने मुख्य सचिव की पिटाई के मामले आरोप मुक्त कर दियायह पूरा मामला राजनैतिक है अगर केजरीवाल सत्ता में नहीं होते तो ये दोनों आरोपी घोषित होते सत्ता में बैठे होने से सारे सबूत मिटा दिए । केजरीवाल के निवास पर ही और केजरीवाल के ईशारों पर ही सबकुछ हुआ लेकिन दिल्ली में सरकार चला रहे तो कौन केजरीवाल को दोषी करार सकता है।
नई दिल्ली। दिल्ली सरकार के तत्कालीन मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ वर्ष 2018 में बदसलूकी और मारपीट के मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और सहयोगी कैबिनेट मंत्री मनीष सिसोदिया को 3 साल बाद सबसे बड़ी राहत मिली है। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने बुधवार को अपने फैसले में दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव अंशु प्रकाश से मारपीट मामले में अमानतुल्लाह खान और प्रकाश जारवाल को छोड़कर सभी को बरी कर दिया है।
अंशु प्रकाश से मारपीट और बदसलूकी मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के अलावा आम आदमी पार्टी के 11 विधायकों के नाम शामिल थे। बता दें कि फरवरी, 2018 में दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव अंशु प्रकाश ने मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के विधायकों पर मुख्यमंत्री आवास में मारपीट का आरोप लगाया था। इस मामले में दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट भी दाखिल की थी, जिसमें अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया को भी आरोपित बनाया गया था। अब राऊज एवेन्यू कोर्ट के इस फैसले के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की कोर्ट द्वारा मुख्य सचिव की पिटाई के मामले आरोप मुक्त होने पर राहत की सांस ली है।
मिली जानकारी के मुताबिक, दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ मारपीट करने के आरोप में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और 9 अन्य विधायकों को भी बरी कर दिया। हालांकि, कोर्ट ने इस मामले में आम आदमी विधायकों अमानतुल्लाह खान और प्रकाश जरवाल के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया है।
इस मामले में दिल्ली पुलिस ने दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में चार्जशीट भी दाखिल की थी। इस चार्जशीट में सीएम अरविंद केजरीवाल, डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया समेत 13 विधायकों को आरोपी बनाया गया था। बताया गया था कि मारपीट मामले में पुलिस ने सबूतों के आधार पर मजबूत चार्जशीट तैयार की थी, जो अरविंद केजरीवाल सरकार के लिए गले की फांस बन सकती थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यह पूरा मामला राजनैतिक है अगर केजरीवाल सत्ता में नहीं होते तो ये दोनों आरोपी घोषित होते सत्ता में बैठे होने से सारे सबूत मिटा दिए । केजरीवाल के निवास पर ही और केजरीवाल के ईशारों पर ही सबकुद हुआ लेकिन दिल्ली में सरकार चला रहे तो कौन केजरीवाल को दोषी करार सकता है।