कोरोना संक्रमण के बाद ब्रेन फागिंग याददाश्त पर डाल रहा बुरा असर
नई दिल्ली। पोस्ट कोविड में (कोरोना के बाद) कई लोगों में याददाश्त खोने की समस्या देखी जा रही है। इससे युवा भी प्रभावित हो रहे हैं। इसे भूलने की बीमारी डिमेंशिया से जोड़कर देखा जा रहा है, लेकिन सही मायने में इसे अभी डिमेंशिया कहना उचित नहीं होगा। इसके लक्षण डिमेंशिया की तरह ही होते हैं, लेकिन कोरोना से संक्रमित हुए लोगों में भूलने की परेशानी को चिकित्सा जगत में ब्रेन फागिंग नाम दिया गया है।
कोरोना ने संक्रमित मरीजों के मस्तिष्क पर भी असर डाला है। यही वजह है कि 30 फीसद मरीजों में न्यूरो से संबंधित लक्षण देखे गए हैं। इसमें सिर दर्द, स्वाद व गंध का पता नहीं चलना, ब्रेन स्ट्रोक, याददाश्त कमजोर होना, गुलियन बेरी सिंड्रोम व मस्तिष्क इंसेफेलाइटिस जैसी बीमारियां शामिल हैं। कोरोना से ठीक हुए लोगों में याददाश्त खोने की परेशानी बहुत सामान्य हो गई है। इस वजह से लोग पूरी नींद नहीं ले पाते। सोते वक्त अचानक नींद टूट जाती है और लोग बातें भूलने लगते हैं। यह समस्या डिमेंशिया की तरह ही होती है, लेकिन ज्यादातर लोगों में अस्थायी है।
इससे पीड़ित व्यक्ति मस्तिष्क में फाग की तरह महसूस करने लगता है, जिससे यादें धुंधली पड़ने लगती हैं। यह कई मरीजों में कोरोना से ठीक होने के बाद तीन से छह माह तक रह सकता है। बाद में यह धीरे-धीरे ठीक हो जाता है। कोरोना से ठीक हुए लोगों में ब्रेन फागिंग व याददाश्त खोने की परेशानी का असल कारण अभी पता नहीं है, लेकिन कोरोना के गंभीर संक्रमण के कारण आक्सीजन की कमी होने से हाइपोक्सिया होता है। इस वजह से मस्तिष्क में भी आक्सीजन की कमी होती है। इससे मस्तिष्क को नुकसान पहुंचता है और कार्यक्षमता प्रभावित होती है। कुछ मरीजों के मस्तिष्क में ब्लड क्लाट की समस्या होती है। इसके साथ ही स्ट्रोक के मामले भी देखे गए हैं। इसके अलावा मस्तिष्क के अंदर सूजन (ब्रेन इंसेफेलाइटिस) के मामले भी देखे जा रहे हैं।
फल व हरी सब्जियों का करें सेवन पौष्टिक आहार
मतलब संतुलित आहार से है। इसके लिए खानपान में फल व हरी सब्जियों का प्रयोग अधिक करना चाहिए। जंक फूड व तली चीजों का ज्यादा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। खानपान में ऐसी चीजें शामिल होनी चाहिए जिनमें एंटीआक्सीडेंट्स अधिक हों। इसके अलावा अल्कोहल के इस्तेमाल से बचना चाहिए। यह सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है।
बढ़ सकती है डिमेंशिया की बीमारी कोविड के कारण याददाश्त खोने या कमजोर होने की परेशानी अब तक के अनुभव के अनुसार, अस्थायी है। कोरोना से संक्रमित हुए लोगों में याददाश्त खोने की समस्या डिमेंशिया में बदल पाएगी या नहीं अभी यह कहना जल्दबाजी होगी। हालांकि, कोरोना के गंभीर संक्रमण से पीड़ित हुए बहुत-से मरीज लंबे समय तक शरीर में आक्सीजन की कमी से जूझते रहे हैं। ऐसी स्थिति में मस्तिष्क को अधिक नुकसान होने की आशंका रहती है। इसलिए अधिक समय तक आक्सीजन सपोर्ट पर रहने वाले लोगों में आगे चलकर डिमेंशिया या
मस्तिष्क की दूसरी बीमारियां बढ़ सकती हैं।
लक्षण के आधार पर इलाज- मरीजों का इलाज लक्षणों के आधार पर ही किया जाता है। मरीजों को जीवनशैली बेहतर रखने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा जरूरी दवाएं भी मरीज को दी जाती हैं। यदि किसी को कोई बात जल्दी भूलने लगे तो जल्दी किसी ऐसे अस्पताल में संपर्क करना चाहिए जहां न्यूरोलाजी के डाक्टर मौजूद हों। यदि आसपास के किसी अस्पताल में न्यूरो के डाक्टर न हों तो मेडिसिन के डाक्टर से भी शुरुआती परामर्श ले सकते हैं। जरूरत पड़ने पर न्यूरोलाजी के विशेषज्ञ से संपर्क कर सकते हैं। चिंता, घबराहट व तनाव भी बन रहा याददाश्त खोने के कारण रू कोरोना संक्रमण के कारण लोगों में तनाव, घबराहट व चिंता बहुत होती है। इस तरह का फोबिया भी याददाश्त खोने का कारण बन सकता है। इससे बीमारी से पीड़ित लोगों के व्यवहार में बदलाव हो जाता है। उनमें उदासी व दूसरे लोगों से अलग-थलग रहने की समस्या हो सकती है। कुछ लोगों के व्यवहार में अचानक उग्रता आ सकती है। ऐसे लक्षण को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
शारीरिक सक्रियता, योग, ध्यान व एरोबिक व्यायाम मददगार
कोरोना के बाद यदि किसी को याद्दाश्त खोने की परेशानी हो रही है तो इससे बचाव के लिए जीवनशैली में बदलाव बहुत जरूरी है। इसके तहत पौष्टिक आहार का प्रयोग और सामाजिक गतिविधियों में खुद को सक्रिय रखना जरूरी है। इसके साथ ही भरपूर नींद लेना चाहिए। योग व ध्यान भी मस्तिष्क की सक्रियता बढ़ाने में मददगार है। इसके अलावा एरोबिक व्यायाम भी करना चाहिए।
स्वास्थ्य जांच कराना जरूरी–
कोरोना से ठीक होने के बाद अस्पताल से छुट्टी मिलने का मतलब यह नहीं है कि हम पूरी तरह शारीरिक रूप से फिट हो गए। कोरोना से ठीक होने के बाद भी कई लोगों के फेफड़ों में परेशानी देखी जा रही है। ऐसी स्थिति में सांस लेने में परेशानी होने पर मस्तिष्क में भी आक्सीजन की कमी हो सकती है। इसलिए कोरोना से ठीक होने के बाद स्वास्थ्य जांच कराना जरूरी है। खासतौर पर गंभीर संक्रमण से पीड़ित रहे लोग ठीक होने के बाद भी कुछ समय तक डाक्टर के संपर्क में रहें। इससे कोरोना के बाद की परेशानियों पर जीत हासिल की जा सकती है।