बागेश्वर-टनकपुर रेल लाइन निर्माण संघर्ष समिति को केवल चुनाव के वक्त ही याद क्यों आती है

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बागेंश्वर रेल लाईन की मांग वर्षो से चली आ रही है कई बार धराना प्रर्दशन हुए ,बडल इंजन की सरकार ने झूठे आश्वासन दिए इस मामले में क्षेत्र का सांसद ही नहीं चाहता है कि बागेश्वर में रेल लाईन की मंजूरी मिले सांसद के कभी भी जनता के बीच दर्शन नहीं होते है। हां केवल चुनाव के वक्त जरूर दर्शन हो जाते है। बहिष्कार क्षेत्र के सांसद का किया जाना चाहिए ,जो कभी आजतक इस मुद्दे को संसद सत्र में नहीं उठाया ।
दूसरी बात संघर्ष समिति केवल चुनाव के वक्त ही आन्दोलन चलाती है ऐलान किया जाता है कि चुनाव बहिष्कर किया जायेगा । चुनाव बहिष्कार सांसद का करे जो कभी संसद में यह मुद्दा नहीं उठाता कभी क्षेत्र के सांसद ने एक बार भी संसद में टनकपुर – बागेश्वर रेल लाईन का जिक्र तक नहीं किया तो ऐसे प्रतिनिधि का विरोध किया जाना चाहिए । पिछली लोक सभा चुनाव में भी यही बात कहीं गई थी रेल नहीं तो वोट नहीं । अब विधान सभा चुनाव आ रहे तो चुनाव बहिष्कार का ऐलान किया जा रहा है।

तहसील परिसर में जमकर नारेबाजी करती रेल संघर्ष समिति के सदस्य

बागेश्वर। बागेश्वर-टनकपुर रेल लाइन निर्माण संघर्ष समिति के सदस्यों नें सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। सदस्यों ने विधानसभा चुनाव से पूर्व मांग पूरी नहीं होने पर चुनाव बहिष्कार की चेतावनी दी।
संघर्ष समिति की जिलाध्यक्ष नीमा दफौटी ने कहा कि अंग्रेजों के समय में सर्वेक्षण होने के बावजूद हमारी सरकारें रेल लाइन निर्माण को आगे नहीं बढ़ा पाई। पिछले कुछ वर्षों में सर्वे के नाम पर जनता को भ्रमित करने का कार्य किया जा रहा है। कहा कि जिले तक रेल चलने लगेगी तो विकास के नए द्वार खुलेंगे। पलायन को रोकने में भी मदद मिलेगी।
वक्ताओं ने कहा कि जिला मुख्यालय से देहरादून और दिल्ली तक धरना-प्रदर्शन भी पूर्व में किया गया है लेकिन कोई सुध नहीं ली गई। विधानसभा चुनाव से पूर्व बजट जारी नहीं किया तो चुनाव का पूर्ण बहिष्कार किया जाएगा। वहां पर खड़क राम आर्या, विक्रम सिंह ड्योड़ी, हयात सिंह मेहता, वंशीधर जोशी, खीम सिंह मेहता, लक्ष्मी धर्मशक्तू, मालती पांडे, पार्वती पांडे, हेमा जोशी आदि थे।

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