बैंक पहाड़ों में बेरोजगारों को रोजगार के लिए लोन देने में आनाकानी तो मैदानों में आसानी से दे रहे कर्ज

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अल्मोड़ा । उत्तराखंड के अधिकांश जिले पर्यटन को लेकर दुनिया भर में जाने जाते हैं। ग्रामीण इलाके भी पर्यटन के लिए उचित हैं, मगर सुविधाओं के अभाव में गांव के गांव खाली हो गए हैं। हालांकि कोरोना काल में लोग बेरोजगार होकर फिर से घरों को लौटे। वीरान पड़े गांवों में फिर से रौनक लौटी। बेरोजगारी के चलते युवा और प्रवासी मजदूर स्वरोजगार करना चाहते थे, मगर राज्य के पहाड़ी जिलों में बैंक कर्ज देने में आनाकानी कर रहे हैं।

जबकि मैदानों में लोगों को आसानी से कर्ज मिल रहा है। इससे पहाड़ का युवा दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है। राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की विशेष बैठक जनवरी 2022 को हुई। इसमें अप्रैल 2021 से दिसंबर 31 तक बैंकों के विभिन्न खुलासे किए गए।  वहीं कर्ज के मामले में भी बैठक में खुलासे हुए हैं। दरअसल, राज्य में विभिन्न बैंकों की कुल 2413 शाखाएं हैं।

अधिकांश बैंकों में जमा डिपॉजिट के अनुपात में ऋण जारी नहीं किए जा रहे हैं। बात अगर मैदानी जिलों की करें तो ऊधमसिंह नगर जिले की 338 बैंक शाखाओं में सबसे अधिक जमा धनराशि का 91 फीसदी कर्ज लोगों को विभिन्न कारोबार को बढ़ावा देने व रोजगार करने के लिए दिया जा रहा है, जो राज्य में कर्ज देने के मामले में सबसे अव्वल नंबर पर है। इसमें हरिद्वार जिला भी पीछे नहीं है। यहां की 284 शाखाओं में जमा धनराशि का 53 फीसदी बजट लोगों को कर्ज मिल रहा है।

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