छात्र फर्जी कोचिंग संस्थानों से रहें सावधान
शहर में कोंचिंग की दुकानें कुकुमुत्तों की तरह उग आए है ,जो अभिभावकों की मेहनत की गाड़ी कमाई डकार जा रहे है।
हल्द्वानी । शहर में इन दिनों फर्जी सस्थानों का मकड़जाल फैल रहा है जिसे युवा छात्रों को हमेशा अलर्ट रहे । प्रतियोÛिगता परीक्षा की तैयारी हेतु आज ज्यादातर कोचिंग इंस्टीट्यूट गुणवत्ता व सफलता की कसौटी पर बेमानी साबित हुए हैं। इन कोचिंग संस्थानों द्वारा सफल प्रत्याशियों की जो लम्बी सूची प्रचारित की जाती है अधिकांशतः झूठी और भ्रम में डालने वाली होती हैं। दरअसल इन ‘तथाकथित’ कोचिंग इंस्टीट्यूट की बुनियाद ही वैसे लोग रखते हैं जो कभी खुद प्रतियोगिÛता परीक्षा के प्रत्याशी रहे होते हैं और असफलता के परिणामस्वरूप तथा बेरोजगारी के आलम में रोजगार पाने हेतु स्वयं कोचिंग इंस्टीट्यूट खोल लेते हैं। चूंकि पैसा कमाना इनका मुख्य लक्ष्य होता है तो स्वाभाविक है इनका ध्यान Ûगुणवत्ता की तरफ कम रहे। कुछ कोचिंग संस्थान चलाने वाले तो प्रत्याशियों को आकर्षित करने के लिए, कुछ प्रसिद्व विद्वानों के नाम अपने संस्थान से जोड़ लेते हैं और ऐसे ‘एक्सपर्ट विद्वान’ कुछ क्लास ही ले पाते हैं और शेष क्लास वैसे लोग संचालित करते हैं जिनकी पृष्ठभूमि अफवाहों से बनायी जाती है। प्रतियोगिता परीक्षा में सफल होने का सपना लिए, उर्जा से ओत-प्रोत, नादान नये छात्र विशेषकर ग्रामीण पृष्ठभूमि के वैसे छात्र जो दिल्ली, इलाहाबाद, पटना, लखनऊ, जयपुर, रांची, इन्दौर आदि शहरों में सिर्फ कोचिंग लेने आते हैं, वे इस तरह के फैलाये हुए अफवाहों के जाल में शीघ्र फंस जाते हैं और हजारों रुपये इन कोचिंग संस्थानरूपी दुकान को दे देते हैं और इस तरह शुरू होता है प्रत्याशियों के शोषण का सिलसिला।
ये कोचिंग इंस्टीट्यूट ‘अध्ययन सामग्री’ या ‘स्टडी मटेरियल’ के नाम पर कुछ अच्छी किताबों के महत्वपूर्ण अंश चुराकर इकट्ठा कर लेते हैं या किसी सफल प्रत्याशी के व्यक्ति के नोट्स खरीद कर उसे ‘स्टडी मटेरियल’ के नाम पर छात्रों को दे देते हैं। बेचारा छात्र, जब विस्तार से स्वयं गहन अध्ययन करता है तो उसे खुद ‘स्टडी मटेरियल’ में विभिन्न पुस्तकों के चुराये Ûये अंशों का ज्ञान हो पाता है, लेकिन तब तक वह कोचिंग वालों के हाथों लुट चुका होता है। कुछ कोचिंग इंस्टीट्यूट तो पूरा पाठ्यक्रम भी नहीं पढ़ा पाते हैं, तो कुछ बैच शीघ्रता से खत्म करने के लिए एक दिन में 12 से 14 घंटे तक क्लास आयोजित कर छात्रों पर अनावश्यक बोझ डाल देते हैं।