यशपाल आर्य बेटे संग भाजपा छोड़ कांग्रेस का दामन थामा ,कहा भाजपा में दम घूट रहा था
यशपाल आर्य 2016 के अंतिम वक्त पर यानि नोटबंदी के बाद तुरन्त भाजपा में शामिल हो गये थे । लोगों का कहना है कि नोटबंदी के वक्त यशपाल आर्य को मजबूरन भाजपा का दामन थामना पड़ा अपने गुनाहों को छिपाने के लिए ये बड़ा कदम उठाना पड़ा था । अब पांच साल बीत गये है भाजपा के साथ रहते हुए ,वहां उन्हें घूटन होने लगी । भाजपा के सिद्वान्तों ,नियमों को यशपाल आर्य के लिए बोझ बन गया था । पूर्व सीएम हरीश रावत कह रहे है कि यशपाल रास्ता भटक गये थे , लेकिन अब असली घर वापसी हो गई है अपने परिवार के साथ मिल गये है। यशपाल आर्य का अनुसूचित जाति के वोटरों पर अच्छी पकड़ है । वही पूर्व विधायक सरिता आर्या नैनीताल ने यशपाल आर्य व संजीव आर्य का कांग्रेस में शामिल होने पर विरोध किया है । उन्होनें कहा कि बाप-बेटे को कांग्रेस में आने पर कैसे स्वागत किया जायेगा ।
हल्द्वानी । कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य और उनके विधायक बेटे संजीव आर्य आज दिल्ली में कांग्रेस में शामिल हो गए हैं।यशपाल आर्य ने राजनीति कांग्रेस पार्टी से शुरू की ,पार्टी में कई महत्वपूर्ण पदों में भी विराजमान रहे लेकिन जब नोटबंदी के बाद वे भाजपा का दामन थाम लिया सभी को अचम्भा लगा कि एक कट्टर कांग्रेसी ने एक ही झटके में भाजपा के शरण में चले गये ,लोग कई तरह -तरह के सवाल कर रहे थे
आपको बता दें कि सुरक्षित सीट बाजपुर से भाजपा ने यशपाल आर्य को और नैनीताल आरक्षित सीट बेटे संजीव आर्य को टिकट दिया ं मोदी लहर में ये दोनों बाप व बेटे जीत गये जिसे भाजपा में इनका कद बढ़ गया इन्हें कैबिनैट मंत्री का दर्जा दिया गया । अब 2022 विधान सभा चुनाव के कुछ ही महीने शेष रहे है तो उससे पहिले ही कांग्रेस में आ गये जिसे आज भी लोग तरह – तरह के सवाल खड़े कर रहे है । कांग्रेस में यशपाल आर्य को कोई बंधन नहीं हुआ करते थे ,जब से भाजपा में शामिल हुए उनको घुटन शुरू हो गई ,जब सांसे रूकने लगी तो वे फिर से काग्रेस में बेटे संग शामिल हो गये ।
भाजपा ने कहा कि किसी के जाने से पार्टी को कोई फर्क नहीं पड़ता है ।
कैबिनेट मंत्री के रूप में महत्वपूर्ण विभागों का जिम्मा संभाल रहे यशपाल आर्य कुछ समय से भाजपा से नाराज बताए जा रहे थे। उनकी नाराजगी की जानकारी सामने आने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कुछ दिन पहले उनके आवास पर जाकर मुलाकात की थी। इसके बाद आर्य ने मीडिया से बातचीत में नाराजगी की चर्चाओं को खारिज कर दिया था।
यशपाल आर्य को जहां फायदे का सौदा दिखा वही को बेटे का हाथ पकड़कर चल दिए लेकिन यशपाल आर्य के कांग्रेस में शामिल होने से भाजपा को झटका तो लगा क्योंकि यशपाल आर्य की अनुसूचित जाति वोट बैंक पर पकड़ अच्छी है।
अगर देखा जाय तो जोड़ तोड़ की राजनीति सबसे ज्यादा भाजपा ने ही सिखया ,वही से अन्य राजनीति के पार्टियों ने नकल की । चुनाव आयोग ने इस तरह की दलबदल की राजनीति पर रोक लगानी चाहिए । अगर कोई किसी राजनैतिक पार्टी छोड़कर दूसरे पार्टी में शामिल होता है तो उसे चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए कम से कम पांच साल तक ताकि इस तरह की गंदी राजनीति से जनता को निजात मिल सके । जनता को स्वच्छ लोकतंत्र मिल सके ।
बहरहाल जो भी हो यशपाल आर्य के कांग्रेस में आने से कांग्रेेस में कुछ उम्मीदें जग गई है।