भाजपा-कांग्रेस के प्रत्याशी के बीच कांटे की टक्कर होगी ,जनता बदलाव चाहती है ,जो जनता के सुख दुःख का साथ निभाता है
बागेश्वर । अल्मोड़ा संसदीय सीट पर इस बार फिर भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों के बीच कांटे की टक्कर देखी जा रही है। इसलिए कि भाजपा प्रत्याशी चुनाव जीतने के बाद जनता के बीच गये ही नहीं आज जनता पूछ रही है कि अजय टम्टा कौन है। आखिर आजतक मोदी के नाम से संसद तक जरूर पहुंच गये लेकिन अजय टम्टा कभी भी जनता के बीच 10 सालों से नहीं गये केवल अपने ही खास लोगों के बीच उठते -बैठते थे आम जनता के लिए एक बटिया तक नहीं बना पाए । बड़ी योजनाओं की बात तो दूर की बात है।
सभी दलों व निर्दलों ने लोगों के बीच पहुंचना शुरू कर दिया है। राज्य बनने के बाद और उससे पहले भी अल्मोड़ा संसदीय सीट पर भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों के बीच ही मुकाबला रहा। इस बार भी चुनाव इन्हीं दो प्रत्याशियों के बीच सिमटता दिखाई दे रहा है।
अल्मोड़ा। अल्मोड़ा संसदीय सीट पर इस बार फिर भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों के बीच सीधी टक्कर देखी जा रही है। कुल सात मतदाता चुनावी दंगल में है। मतदाताओं में चुनाव को लेकर खासा उत्साह नहीं दिखाई दे रहा है वोटर भी साइलेंट मोड पर है। अन्य क्षेत्रीय व निर्दलीय कोई फिलहाल कहीं दौड़ में नहीं दिखाई दे रहे हैं।
अल्मोड़ा संसदीय सीट पर भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों के बीच ही मुकाबला रहा। इस बार भी चुनाव इन्हीं दो प्रत्याशियों के बीच सिमटता दिखाई दे रहा है। दोनों दलों के पास अपना मजबूत संगठन है। यह पार्टियां अच्छे से बूथ मैनेजमेंट कर लेती है। जिसके बल पर चुनाव हमेशा आमने-सामने का बन जाता है। अन्य क्षेत्रीय व निर्दलीयों के पास संगठन नहीं है।
बदलता रहता है चुनावी माहौल
दोनों दल वोट के लिए जनता के द्वार पहुंचने लगे है। भौगोलिक दृष्टि से बेहद दुर्गम क्षेत्र होने के कारण प्रत्याशी सभी जगहों पर नहीं जा पाते है। वर्तमान में भाजपा केवल शहरों व ब्लाक मुख्यालयों पर ही सिमटकर रह गई
संगठन के कार्यकर्ता पर ही प्रत्याशी निर्भर रहता है। दूरस्थ गांव में तो चुनाव को लेकर कोई उत्साह भी नहीं दिखाई दे रहा है।
मतदाताओं ने कहा है कि जब कोई आएगा तो तब देखेंगे। कई ग्रामीण क्षेत्रों में तो लोगों को प्रत्याशियों के नाम तक भी नहीं पता हैं। इसलिए 60 प्रतिशत लोग बदलाव चाहते है।