भाजपा की जोड़तोड़ की राजनीति व मुख्यमंत्री बदलने का काम ,जनता से कुछ लेना देना नहीं: हरीश रावत
चुनावी सरगर्मी के चलते पहिले सीएम बदलने की राजनीति अब जोड़तोड़ की राजनीति शुरू हो गई है प्रदेश की जनता से कोई लेना देना नहीं भ्रष्टाचार व मंहगांई चरम पर है उस तरफ जनता का दुखदर्द से कोई लेना देना नहीं पांच साल पूरे होने को है प्रदेश में क्या विकास किया । भाजपा कुछ भी कर लें अब हर वर्ग के लोग भाजपा की इस तरह की राजनीति से नफरत कर रहे है।
देहरादून. उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि ‘हमारी पार्टी का कोई विधायक नहीं, सिर्फ एक विधायक गया है. कांग्रेस ने उन्हें सम्मान दिया लेकिन वह संभाल कर नहीं रख पाए. अब उनके क्षेत्र में घमासान मचा हुआ है.’ रावत ने साफ तौर पर भाजपा पर दलबदल की राजनीति का आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा हमेशा से इसी कोशिश में रहती है और ‘उसका मानना है कि दलबदल के ज़रिये विपक्ष को हतोत्साहित किया जा सकता है. लेकिन इस बार वह इसका नुकसान खुद भुगतेगी.’
वास्तव में मामला कांग्रेस नेता किशोर उपाध्याय से जुड़ी अटकलों का है. हाल में भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी व उत्तराखंड से सांसद अनिल बलूनी ने एक ट्वीट में कहा कि कांग्रेस का एक प्रमुख नेता भाजपा में शामिल होने जा रहा है. तभी से ये अटकलें चल पड़ीं कि किशोर उपाध्याय दिल्ली में क्यों हैं और क्या वही कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जा रहे हैं!
.काग्रेस पार्टी के विधायकों को जिस तरह से अपने खेमे में भाजपा कर रही है उसके भाजपा के लिए अच्छे संकेत नहीं है। भाजपा पहिले से खरी फरोख्त की राजनीति करते आई है ,और उसी में विश्वास करती है। इस बार ऐसा नहीं हर वोटर अब जान चुका है भाजपा का असली चेहरा क्या है ं बेरोजगारों की फौज खड़ी है उनहें सीएम धामी झूठे आश्वासन दे रहे है ।
कांग्रेस से किशोर उपाध्याय के नाराज़ होने की चर्चाओं को लेकर हरीश रावत ने कहा, ‘वह एक अच्छे नेता हैं. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं. अब उनको और कितना सम्मान चाहिए, ये मैं नहीं समझ सकता हूं! हां इतना ज़रूर कहूंगा कि उपाध्याय पार्टी के मूड को समझते हैं.’ क्या उपाध्याय भाजपा में जा रहे हैं? इस सवाल पर हरीश रावत ने कहा, ‘ये भाजपा है, यह कुछ भी कह सकती है. कल को ये भी कह सकती है कि हरीश रावत भाजपा में जा रहे हैं.
भाजपा के संपर्क में कांग्रेस के कुछ और विधायकों के हाने के बारे में भी हरीश रावत ने बातचीत करते हुए कहा कि अगर भाजपा ऐसा कुछ करती है तो इसका नुकसान भाजपा को ही होगा क्योंकि अब लोगों की सहानुभूति भाजपा के प्रति नहीं है. लोग भाजपा से काफी नाराज़ हैं और अगर अब भाजपा गुस्से में घी डालने का काम करती है, तो उसका दुष्परिणाम भाजपा को ही भुगतना होगा.