हल्द्वानी की रिंग रोड का बजट 2100करोड़ पहुंचा,अब अधर में लटका

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हल्द्वानी : कुमाऊं का प्रवेशद्वार हल्द्वानी जाम के झाम में जकड़ा रहता है। सड़क पर निकलने वाले किसी धार्मिक जुलूस और राजनीतिक रैली के दौरान वाहन रेंगते नजर आते हैं। पुलिस चाहे कितने ट्रैफिक प्लान बना ले, लेकिन वाहनों का बढ़ता दबाव और तंग सड़कों की वजह से जाम लगता है। 22 अप्रैल 2017 को तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हल्द्वानी के इस संकट को दूर करने के लिए ङ्क्षरग रोड की घोषणा की थी। तब इसका बजट आंकलन 400 करोड़ था।

शुरुआत में सर्वे और भौतिक परीक्षण में तेजी से काम हुआ, मगर फिर मामला अटक गया। अंतिम सर्वे के मुताबिक ङ्क्षरग रोड को अब 2100 करोड़ का बजट चाहिए। हल्द्वानी में प्रस्तावित रिंग रोड की लंबाई 51 किमी है। काठगोदाम से पनियाली, फतेहपुर, लामाचौड़ पहुंचने के बाद सड़क गन्ना सेंटर मुड़ती। फि रमोटाहल्दू पर नेशनल हाईवे को निकलनी थी। उसके बाद तीनपानी से बाइपास होकर काठगोदाम को वाहन पास हो जाते। एक करोड़ 57 लाख रुपये लेकर क्राफ्ट कंसलटेंसी कंपनी ने इसका फिजिबिलिटी टेस्ट किया था।

हर साल सर्किल रेट बढऩे की वजह से इसका बजट भी बढ़ता गया। क्योंकि प्रोजेक्ट को धरातल पर उतारने के लिए वन भूमि के साथ निजी भूमि भी अधिग्रहीत होनी थी। जिसमें कामर्शियल कोटे की जमीन भी शामिल थी। प्रथम चरण में लैंड ट्रांसफर के अलावा जल संस्थान की लाइन शिफ्टिंग, बिजली के पोल और ट्रांसफार्मर के अलावा बीएसएनएल की लाइनों को हटाने के लिए भी बजट जारी करना था। महंगा प्रोजेक्ट होने की वजह से बजट मंजूरी के लिए शासन ने इसकी फाइल केंद्रीय पोषित योजना को भेज दी थी। लेकिन आज तक मामला आगे नहीं बढ़ा।

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