पेट (आमाशय) का कैंसर समय पर करें ईलाज,नहीं तो घातक हो सकता है

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भोजन निगलने के बाद, अन्नप्रणाली से होकर गुजरता है। खाना फिर पेट के ऊपरी हिस्से में एक थैली जैसे अंग में प्रवेश करता है जिसे आमाशय कहा जाता है। पेट (आमाशय) भोजन ग्रहण करता है और गैस्ट्रिक रस स्रावित करके इसे पचाना शुरू कर देता है। पेट गैस्ट्रिक रस के साथ मिले हुए भोजन को छोटी आंत के पहले हिस्से में भेज देता है।

डां0 निखिल अग्रवाल
एमएस एमसीएच

Assoc. Director & Head, GI-HPB Surgery and Oncology, Max Saket and Gurugram

MS, MCH GI SURGERY (AIIMS, NEW DELHI)


पेट और आँत प्रणाली

कैंसर कैसे बनता है ?
कैंसर तब शुरू होता है जब कोशिका के डीएनए में कोई त्रुटि (म्यूटेशन) आ जाती है। ये कोशिकाएं फिर अनियंत्रित रूप से विभाजित होती हैं और बढ़ती रहती हैं। ये कोशिकाएं मिल कर कैंसर बनाती हैं। पेट की दीवार ऊतक की पांच परतों से बनी होती है। पेट का कैंसर, जिसे गैस्ट्रिक कैंसर भी कहते हैं, पेट की सबसे भीतरी परत में म्यूकस-उत्पादक कोशिकाओं में शुरू होता है। यह फिर बढ़ता है और फैलता है। यह पहले पेट की दीवार में फैलता है और फिर बढ़ कर आस पास के उत्तकों में फैल जाता है। बाद में ये जिगर (यकृत), फेफ़ड़े और पेरिटोनियम में फैल जाता है।
पेट का कैंसर दुनिया में 5वां सबसे अधिक पाया जाने वाला कैंसर है। दुनिया भर में हर साल गैस्ट्रिक कैंसर 10 लाख से अधिक लोगों को होता है।

भारत में पेट का कैंसर
पेट का कैंसर, भारत में कैंसर से मरने वाले लोगों का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। भारत में पेट का कैंसर विकसित देशों की तुलना में कम होता है। भारत के दक्षिणी और पूर्वाेत्तर राज्यों में पेट का कैंसर ज़्यादा होता है। अनुमान है कि लगभग 50,000 नए गैस्ट्रिक कैंसर के मामले हर साल सामने आएंगे। पेट का कैंसर भारत में चौथा सबसे आम कैंसर है।

पेट के कैंसर के प्रकार
एडेनोकार्सिनोमा सबसे आम उपप्रकार (90-95ः)
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्ट्रोमल ट्यूमर (ळप्ैज्)
न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर
लिम्फोमा

पेट के कैंसर के कारण और जोखिम कारक
जिस किसी भी चीज से किसी को कैंसर होने का खतरा बढ़ता है, उसे जोखिम कारक कहते हैं। जोखिम कारक बीमारी करता नहीं है यह केवल जोखिम को बढ़ाता है। कुछ लोगों में कई जोखिम कारक होने के बावजूद कैंसर नहीं होता, जबकि कुछ लोगों को कोई जोखिम कारक नहीं होने के बावजूद कैंसर हो जाता है।
पेट के कैंसर के लिए जोखिम कारक हैं
वृद्धावस्था
महिलाओं की तुलना में पुरुषों को पेट कैंसर होने का खतरा दोगुना होता है
एच पाइलोरी नामक एक जीवाणु से संक्रमण
पेट में लगातार सूजन
पेट में कुछ प्रकार के पॉलिप्स
धूम्रपान
मोटापा
स्मोक्ड, अचारित या नमकीन खाद्य पदार्थों से युक्त आहार
कम फल और सब्जियों वाला भोजन
पेट के कैंसर का पारिवारिक इतिहास

पेट के कैंसर के लक्षण
पेट का कैंसर अन्य कैंसरों की तुलना में अपेक्षाकृत कम होता है, परन्तु इस रोग के सबसे बड़े खतरों में से एक है इसका पता न लगना। पेट के बाकी कैंसर की तरह गैस्ट्रिक कैंसर के भी शुरुआती चरणों में सामान्यतः कोई लक्षण नहीं होते हैं। यह अक्सर शरीर के अन्य हिस्सों में फैलने के बाद पकड़ में आता है । इससे इसका इलाज करना मुश्किल हो जाता है।
पेट के कैंसर के लक्षणों में शामिल हैरू
अपच, पेट में जलन और पेट फूलना
लगातार कमजोरी या थकान महसूस करना
भूख न लगना
वजन कम होना
हीमोग्लोबिन में कमी (एनीमिया)
पेट में दर्द या बेचौनी
मल में लाल खून का धब्बा या काले रंग का मल
थोड़ी मात्रा में भोजन करने के बाद पेट भरा हुआ महसूस होना
मतली और उल्टी (रक्त के साथ या इसके बिना)
पेट के ऊपरी हिस्से में परेशानी
ध्यान दें कि इनमें से कई लक्षण पेट के कैंसर के अलावा अन्य बीमारियों में भी हो सकते हैं।

पेट के कैंसर की जांच एवं परीक्षण (डायग्नोसिस)
स्वास्थ्य परीक्षण

एक चिकित्सक द्वारा लक्षणों को समझना और संकेतों की जांच करना बीमारी तक पहुंचने के लिए जरूरी है।
एंडोस्कोपी
एंडोस्कोपी से पेट के कैंसर की पुष्टि होती है।
एण्डोस्कोप एक लचीली पतली ट्यूब होती है, जिसमें एक कैमरा होता है। यह आपके पेट के अंदर की छवि को एक मॉनिटर पर प्रसारित करता है। यदि कोई असामान्यता मिलती है, तो उसमें से एक छोटा सा नमूना भी लिया जाता है, जिसे बायोप्सी कहा जाता है।
बायोप्सी
बायोप्सी का अर्थ है कि ट्यूमर के एक छोटे से हिस्से का नमूना लेना और माइक्रोस्कोप के द्वारा इसकी जांच करना। यह एक पैथोलॉजिस्ट द्वारा किया जाता है। यदि आवश्यक हो तो बायोप्सी नमूनों पर जीन परीक्षण भी किया जा सकता है।
कैंसर का प्रसार (चरण) निर्धारित करना (स्टेजिंग)
पेट के कैंसर की गंभीरता या चरण का अनुमान यह देख कर लगाया जाता है कि ट्यूमर पेट में कहां है, यह कितनी हद तक पेट के ऊतकों में फ़ैल चूका है, और अगर यह पेट के बाहर शरीर के अन्य आंतरिक अंगो में भी फैल गया हो।
कैंसर की गांठ से कैंसर कोशिकाएं निकलती है और शरीर में तीन प्रकार से फैलती हैं;
रक्त के माध्यम से
लिंफेटिक के माध्यम से
सीधे आसपास के उत्तकों में
कैंसर का फैलाव स्थानीय हो सकता है, पेट, उसके आसपास के उत्तकों में और लिंफ नोड्स में। या दूरवर्ती हो सकता है, लिवर, फेफड़े और पेट के अंदर की परत (पेरीटोनियम) में। कैंसर जब दूर के अंगों में फैल जाता है तो उसे मेटास्टैसिस कहते हैं।
स्टेजिंग से बीमारी के प्रसार का पता चल रहा है। पेट के कैंसर का पता चलने के बाद, हम यह पता लगाने के लिए परीक्षण करते हैं कि ट्यूमर कितना फैल गया है। इसके लिए निम्नलिखित जांचों में से हम कुछ टेस्ट करते हैं।रक्त परीक्षणरू रक्त में विभिन्न प्रकार के तत्वों की जांच की जाती है। कुछ रोगियों में एनीमिया (कम हीमोग्लोबिन) होता है। इसके अलावा, लिवर और किडनी के टेस्ट भी किए जाते हैं।
कंप्यूटेड टोमोग्राफी स्कैनरू इस टेस्ट में मरीज को एक सीटी स्कैनर में रखा जाता है। फिर एक्स-रे की किरणें चारों तरफ से अंदरूनी अंगों की छवि लेती है। कंप्यूटर इन छवियों को विकसित कर हमें अंदरूनी स्थिति के बारे में सटीक जानकारी देते हैं। कंट्रास्ट का इंजेक्शन देने से हमें बेहतर छवि मिलती है।

पोजीट्रान एमिशन टोमोग्राफी स्कैन– कैंसर कोशिकाएं ग्लूकोज ज्यादा मात्रा में लेती हैं। इस टेस्ट में रेडियोएक्टिव ग्लूकोज का इंजेक्शन देते हैं। यह रेडियोएक्टिव ग्लूकोज ट्यूमर में चला जाता है जिसे हम स्कैनर से देख सकते हैं।
एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड – यह अंदर से पेट का अल्ट्रासाउंड है। यह छोटे ट्यूमर में उपयोगी होता है। यह देखता है कि कैंसर पेट की परतों और आस-पास के लिम्फ नोड्स में कितना फैल गया है।
लेप्रोस्कोपी- सीटी और पीइटी स्कैन छोटे ट्यूमर को नहीं खोज सकते । लैप्रोस्कोपी में, आपके पेट में एक छोटे छेद के माध्यम से एक पतला कैमरा डाला जाता है और यकृत और पेरिटोनियल सतह (पेट के अंदर की झिल्ली) पर छोटे ट्यूमर का पता लगाया जा सकता है।

ये टेस्ट्स हमें कैंसर को एक चरण प्रदान करने में मदद करते हैं। मोटे तौर पर हम कैंसर को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत करते हैं
स्थानीयकृत – कैंसर उस अंग तक सीमित है जिसमें यह शुरू हुआ था।
कैंसर आसपास के लिम्फ नोड्स में फैल गया है या उस अंग की दीवार से बाहर आ गया है जिसमें यह शुरू हुआ था।
दूर तक फैला हुआ – कैंसर दूर के अंगों तक फैल गया है, जो ट्यूमर की उत्पत्ति के अंग से दूर है। इसे मेटास्टेसिस कहा जाता है।
ट्यूमर की माप- पेट की परतों में कैंसर कितनी दूर तक बढ़ गया है? क्या कैंसर आस-पास की संरचनाओं या अंगों तक पहुंच गया है?

पेट के कैंसर का उपचार
पेट के कैंसर का उपचार ट्यूमर के चरण पर निर्भर करता है। शुरुआत के चरणों के पेट के कैंसर का प्राथमिक उपचार सर्जरी है।
बढे हुए कैंसर (स्थानीय प्रसार) में सर्वाेत्तम परिणाम प्राप्त करने के लिए, कीमोथेरेपी और/या रेडियोथेरेपी और सर्जरी को संयोजित किया जाता है जिसे मल्टीमॉडल उपचार कहते हैं। ट्यूमर के प्रसार के आधार पर, कीमोथेरेपी या कीमोराडिएशन सर्जरी से पहले या सर्जरी के बाद दिया जा सकता है।

स्थानीय पेट के कैंसर के लिए शल्यक्रिया – गैस्ट्रेक्टमी
प्रारंभिक चरण के कैंसर के लिए शल्य चिकित्सा प्राथमिक उपचार है। इसमें आंत के कैंसर वाले हिस्से को आस पास के लिम्फ नोड्स और वउमदजनउ के साथ निकाला जाता है। फिर आंत के कटे हुए हिस्सों को आपस में जोड़ कर आंत की निरंतरता को पुनरू स्थापित करते हैं

एनास्टोमोसिस)।
लैप्रोस्कोपिक सर्जरी ऑपरेशन करने की एक विशेष तकनीक है, जिसे की-होल सर्जरी, मिनिमली इनवेसिव सर्जरी या मिनिमल एक्सेस सर्जरी के रूप में भी जाना जाता है। इसमें, बड़े चीरे के बजाय, आपके पेट के ऊपर छोटे छोटे छेदों द्वारा विशेष उपकरणों और एक कैमरे को डाल कर ऑपरेशन किया जाता है। ये उपकरण विशेष बनावट से पतले एवं लम्बे बनाये जाते हैं। कैमरा एक बड़ी स्क्रीन पर आपके पेट के अंदर की उच्च रिज़ॉल्यूशन छवियों को प्रोजेक्ट करता है, जिसे देख कर सर्जन पेट के अंदर ऑपरेशन करते हैं। यह तकनीक पिछले कुछ दशकों में सर्जिकल फील्ड के सबसे महत्वपूर्ण अविष्कारों में से एक है जिसने पेट की सर्जरी के क्षेत्र में क्रांति ला दी है। सर्जरी की यह तकनीक अब पेट के ज़्यादातर ऑपरेशन्स के लिए उपलब्ध एवं मान्य है। इस तकनीक का उपयोग पेट के कैंसर के ऑपरेशन में भी लाभदायक है।
यदि ट्यूमर अत्यधिक बढ़ गया है, तो सर्जरी से पहले कीमोथेरेपी दी जाती है। इससे कैंसर छोटा हो जाएगा और बाद में ऑपरेशन से बेहतर परिणाम प्राप्त होगा।

विकिरण चिकित्सा
विकिरण चिकित्सा कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए उच्च ऊर्जा एक्स-रे का उपयोग करती है। पेट के कैंसर वाले लोग आमतौर पर बाहरी बीम (मÛजमतदंस इमंउ) विकिरण चिकित्सा प्राप्त करते हैं, जो शरीर के बाहर एक मशीन से दिया जाने वाला विकिरण है। ट्यूमर के आकार को कम करने या किसी भी शेष कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए सर्जरी के पहले या बाद में विकिरण चिकित्सा का उपयोग किया जा सकता है।
कैंसर का पता चलने के बाद कम से कम पांच साल तक जीवित रहने वाले लोगों का प्रतिशत स्टेज लिए 68-82ः और स्टेज के कैंसर के लिए 18-54ः है।
धूम्रपान और तंबाकू से बचें
शराब का सेवन न करें

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