रेलवे की अरबों रूपये की जमीन पर कब्जा ,फिर दिए अवैध कब्जेदारों को जमीन खाली करने के नोटिस

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हल्द्वानी में रेलवे की बेशकीमती जमीन लुटती रही और जिम्मेदार सोते रहे।1975 से शुरू हुआ अतिक्रमण का खेल, 41 वें वर्ष यानि 2016 में आरपीएफ को अतिक्रमण का पहला हाई कोर्ट की सख्ती के बाद मुकदमा दर्ज करना पड़ा ।

हल्द्वानी । काशीपुर से रेलवे की टीम हल्द्वानी वनभूलपुरा पहुंची। टीम ने इंदिरा नगर ठोकर में एक बोर्ड पर 1020 नोटिस चस्पा किए। ये नोटिस वार्ड नंबर 21 और 24 (इंदिरा नगर, गफ्फूर बस्ती, लाइन नंबर 17, चोरगलिया रोड आदि ) के 1020 घरों के लिए थे। नोटिस में रेलवे की भूमि में अतिक्रमण की बात कहते हुए 1020 घरों को 15 दिन में रेलवे की भूमि से खाली करने को कहा गया है।
गौरतलब है कि पूर्वाेत्तर रेलवे इज्जतनगर मंडल ने हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के आसपास करीब साढ़े चार हजार अतिक्रमणकारियों को चिह्नित किया हुआ है। राज्य संपदा अधिकारी इज्जतनगर मंडल में इस मामले की सुनवाई हो रही है। इसी साल 8 जनवरी को राज्य संपदा अधिकारी ने 1581, फिर 1 अप्रैल को 500 से ज्यादा लोगों को बेदखली के नोटिस जारी किए। इसके बाद रेलवे के अधिकारियों ने हल्द्वानी रेलवे स्टेशन पर एक बोर्ड लगाकर रेलवे की भूमि में अतिक्रमण की बात कहते हुए नोटिस चस्पा किए थे। इसके बाद पूरा मामला हाईकोर्ट में पहुंच गया था।

29 एकड़ जमीन पर अतिक्रमण का दावा ,बाजार भाव लगभग 2 अरब से भी ज्यादा

हल्द्वानी । लाखों नहीं करोड़ों। शायद दो अरब। बाजार भाव इससे भी कहीं ज्यादा। हल्द्वानी में रेलवे की बेशकीमती जमीन कौडिय़ों के मोल। यूं कहें रेलवे ने खुद ही इसे लुटा दी। झोपड़ी पड़ी। झुग्गी बनी और धीरे-धीरे सभी आलीशान कोठियों में तब्दील हो गईं। सरकारी अस्पताल, स्कूल से लेकर धार्मिक स्थल भी बने और रेलवे के पहरेदार आरपीएफ सोये रहे । वह भी एक दो साल नहीं, पूरे 46 साल तक। अतिक्रमणकारी रेलवे की जमीन पर कब्जा करते रहे और जिम्मेदार सोते रहे।
1975 से शुरू हुआ अतिक्रमण का खेल 41 वर्ष तक जारी रहा। 2016 में आरपीएफ को अतिक्रमण का पहला मुकदमा दर्ज करना पड़ा, वह भी हाई कोर्ट की सख्ती के बाद। तब तक करीब 50 हजार लोग रेलवे की जमीन पर आबाद हो चुके थे। विभागीय जिम्मेदार मौन साधे रहे, लेकिन नैनीताल हाई कोर्ट ने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई। नवंबर 2016 में रेलवे को 10 सप्ताह में अतिक्रमण हटाने के सख्त आदेश दिए। इसके बाद भी रेलवे, आरपीएफ और प्रशासन नरमी दिखाता रहा। इससे अतिक्रमणकारियों को सुप्रीम कोर्ट जाने का मौका मिल गया।
कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए अतिक्रमणकारियों को व्यक्तिगत रूप से नोटिस जारी करने और उनकी सभी आपत्तियों को तीन माह में निस्तारित करने का आदेश रेलवे को देते हुए मामले को वापस हाई कोर्ट में सुनवाई के लिए भेज दिया। नैनीताल हाई कोर्ट ने रेलवे को 31 मार्च 2020 तक उनके समक्ष दायर वादों को निस्तारित करने का आदेश दिया। सितंबर आ गया है, लेकिन रेलवे अभी तक अपनी कार्रवाई पूरी नहीं कर सका। वर्ष 2017 के सीमांकन के अनुसार हल्द्वानी स्टेशन से लेकर गौजाजाली तक कुल 29 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण हुआ है। रेलवे पटरी से इनकी न्यूनतम दूरी 515 फीट तक पहुंच गई है। ऐसे में कभी भी कोई बड़ा रेल हादसा हो सकता है

लालकुआं में भी लुटी जमीन
कुमाऊं का सबसे बड़ा रेलवे जंक्शन लालकुआं भी अतिक्रमण की जद में है। स्टेशन के दोनों तरफ कच्चा व पक्का निर्माण हुआ है। रेलवे ने अतिक्रमणकारियों को नोटिस जारी किया, लेकिन कोई असर नहीं दिखा। खड़ी मोहल्ला के साथ ही लालकुआं से किच्छा तक रेलवे ट्रैक के किनारे सैकड़ों पक्के व कच्चे निर्माण रेलवे के विकास में बाधा बने हुए हैं।

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