राज्य आंदोलनकारी क्षैतिज आरक्षण बिल को मिली मंजूरी
केवल उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन के शहीदों के परिजनों, विभिन्न गोलीकांडों में घायल आंदोलनकारियों, आंदोलनकारियों व उनके आश्रितों को मिलेगा 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण
सभी आन्दोलकारियों को इसका लाभ नहीं मिलेगा क्योंकि ऐसे लोगों को आन्दोलनकारी बन गये जो कभी राज्य निमार्ण के पक्ष में थे ही नहीं । अगर देखा जाय तो उस वक्त बूढ़े से लेकर बच्चें तक आन्दोलन में कूदे थे और इसके अलावा उत्तराखंड के सभी विभागों के कर्मचारी भी इस आन्दोलन में भाग लिया तभी हमें राज्य की प्राप्ति हुई है।
राजनैतिक दबाब में स्थानीय थाने में अपना नाम लिखाकर , प्रमाण प़त्र बनाकर आन्दोलनकारी बन गये । अगर निष्पक्ष तौर पर जांच की जाय तो एक बड़ा घपला सामने आयेगा लेकिन ऐसा नहीं हो पायेगा क्यों इसमें नेताओें के खास लोग आन्दोलनकारी हुए है।
ऐसे आन्दोलनकरियों व उनके आश्रितो को आरक्षण दिया जाना चाहिए न कि फर्जी आन्दोलनकारी बने हुए
2 अक्टूबर को दिल्ली में हो रहे विशाल धरने को रोकने के लिए सरकार ने जो कार्यवाही की वो किसी सरकार की नही बल्कि आतंकी गुंडों की कार्यवाही थी। जिन्हें अपनी सरकार का ख़ौफ फैलाना था।
सरकार ने उस रात आंदोलनकारियों को सबक सीखाना था। और सबक सीखाने के लिए गोलियाँ चलाई गई और महिलाओं कोए जो अपनी जान बचाने के लिए गन्ने के खेतों में भागी उन्हें गन्ने के खेत में पुलिस वालों द्वारा घसीटा गयाएउनके गुप्तांगों पर बंदूक से प्रहार किया गया और फिर उसके साथ दुराचार किया गया। ये सब इस घटना के बाद आयी राष्ट्रीय महिला आयोग की रिपोर्ट में दर्ज है।
इस घटना के मुकदमे आज भी अदालतों में चल रहे है लेकिन राज्य सरकार के द्वारा पैरवी ठीक से न करने के कारण ये मुकदमे लगातार खत्म हो रहे है। सन 2000 में राज्य बनने के बाद सत्ता में बैठने वाले दलों ने कभी उन आंदोलनकारियों को न्याय दिलाने के लिए कोई कदम नही उठाया जिनके बलिदानों के कारण वो ष्जो गाँव के प्रधान नही बन सकते थे राज्य बनने के बाद विधायकए मुख्यमंत्री बन गए थेष्। हाँ खाना पूर्ति और रस्मअदायगी के लिए आज आंदोलनकारियों के स्मारकों पर फूल माला चढ़ा देने का ष्बड़ा कामष् कर देंगे।
सपा और बसपा के गठबंधन की तत्कालीन सरकार में इस घटना को अंजाम दिया गया तब उस सरकार में साझीदार मायावती ने इस कार्यवाही को अपना पूरा समर्थन मुलायम सिंह को दिया और कार्यवाही को जायज बताया। भाजपा जब उसके बाद उत्तर प्रदेश में सत्ता में आई तो मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने रामपुर तिराहा कांड के समय जिलाधिकारी रहे और इस घटना के सबसे बड़े आरोपियों में से एक अनन्त कुमार को मुख्य सचिव बना कर पुरुस्कृत किया।
ये घटना इस देश के राजनीतिक इतिहास की ऐसी घटना है जिसमें सरकार और सभी दल लोगों की हत्याओं मेंए महिलाओं के सामूहिक बलात्कार में शामिल है और न्याय दिलाना तो दूर की बात दोषियों को पुरस्कृत करने का इतिहास और वर्तमान लिख रहे है। शिवानी पांडेय
देहरादून । मुख्यमंत्री धामी की अध्यक्षता में हुई प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में 20 प्रस्ताव पास हुए। उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारियों व उनके आश्रितों को सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण के बिल को मंजूरी मिल गई है।
उत्तराखंड कैबिनेट बैठक में राज्य आंदोलनकारी क्षैतिज आरक्षण बिल को भी मंजूरी मिल गई। विधानसभा सत्र में विधेयक आएगा, जोकि 2004 से लागू होगा।केवल अपने वोट बैंक लिए किया जा रहा है
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में 20 प्रस्ताव पास हुए। उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारियों व उनके आश्रितों को सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण के बिल को मंजूरी मिल गई है। विधेयक विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान सदन में पेश होगा।
उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी सम्मान परिषद के पूर्व अध्यक्ष भाजपा नेता रवींद्र जुगरान का कहना है कि विधेयक पारित होने के बाद कानून बनने पर भाजपा की धामी सरकार के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि होगी।
शासनादेश को ही कर दिया था समाप्त
रवींद्र जुगरान के मुताबिक, बीते एक दशक से भी ज्यादा समय से उत्तराखंड आंदोलनकारियों व उनके आश्रितों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। यहां तक कि सैकड़ों चयनित अभ्यर्थियों को भी विभिन्न सरकारी विभागों में नियुक्ति नहीं मिल पाई है क्योंकि उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने इस शासनादेश को ही समाप्त कर दिया था।
राज्यपाल ने इस विधेयक को संदेश के साथ विधानसभा को वापस लौटा दिया था। कानून बनने पर इसका लाभ उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन के शहीदों के परिजनों, विभिन्न गोलीकांडों में घायल आंदोलनकारियों, जेल व घायल आंदोलनकारियों के आश्रितों व सक्रिय आंदोलनकारियों के आश्रितों को भी मिलेगा।