कॉंनवेन्ट स्कूल के छात्र बन रहे नसेड़ी
पुलिस प्रशासन नामी कांनवेन्ट स्कूलों के हॉंस्टलों में छापेमारी करने में नाकाम रहती है अधिकतर नशे के शौदागरों के तार इन्ही नामी स्कूलों से जुड़े हुए है क्योंकि यहां पर बाहरी प्रदेशों के छात्र हांस्टलों में रहते है,और नशा माफियाओं का निशाना भी स्कूल ,कॉंलेजों में सबसे ज्यादा रहता है। अगर इन कान्वेंट स्कूलों में कोई घट जाती है तो स्कूल प्रशासन उसे कैंम्पस से बाहर नहीं जाने देते है।पुलिस की हिम्मत नहीं कि इन स्कूलों में जाकर छापामारी करें ।
नैनीताल। सरोवरनगरी में तीन साल के दौरान नगर में नशाखोरी बढ़ गई है। युवाओं से लेकर किशोर तक स्मैक के आदी हो रहे हैं। उच्च घरानों के बच्चे भी नशाखोरी के जाल में फंस रहे हैं।
उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, बिहार समेत कई राज्यों से बच्चे यहां पढ़ने आते हैं लेकिन घरों में रहने वाले युवाओं के साथ साथ हॉस्टलों, स्कूल कॉलेज में पढ़ने वाले बालिग, नाबालिग छात्र, छात्राएं नशे की चपेट में आ चुके हैं। हॉस्टलों के छात्रों से लेकर पेइंग गेस्ट के तौर पर रहने वाले विद्यार्थी भी नशेड़ी बन रहे हैं। हॉस्टल में अकेले रहने वाले छात्र आसानी से इसकी चपेट में आ जाते हैं। तीन साल पहिले स्मैक साथ पकड़े गए अभिषेक नेगी ने बताया कि करीब एक साल पहले उसे स्मैक की लत लग गई थी। पिता से उसे हर महीने लगभग तीन हजार रुपये खर्च के लिए मिलते हैं, जिनसे उसका स्मैक का खर्च पूरा नहीं होता था। अब वह खुद ही स्मैक बेचकर शौक पूरे कर रहा था। कई बार पुलिस ने इन्हें नशेड़ियों के साथ पकड़ा भी है। उनकी काउंसलिंग भी करवाई है। रोहित तिवारी की हत्या के बाद पुलिस का सिरदर्द कुछ कम हो गया था, लेकिन रोहित की जगह चार अभी भी सप्लायर सक्रिय हैं।