उत्तराखंड के 55 में से छह प्रत्याशियों का आपराधिक इतिहास
देहरादून । उत्तराखंड में पांच लोकसभा सीटों पर चुनाव मैदान में उतरे 55 प्रत्याशियों में से कुल छह का आपराधिक इतिहास है। इनमें आंदोलन के रास्ते राजनीति में आकर टिहरी लोकसभा के प्रत्याशी बने बॉबी पंवार के मुकदमों की फेहरिस्त लंबी है। पंवार पर दो जिलों में कुल आठ मुकदमे हैं। लंबी है। उनके खिलाफ दो राज्यों और सीबीआई दिल्ली में भी मुकदमा दर्ज है। यही नहीं उमेश कुमार न्यायालय की अवमानना में दोष सिद्ध भी हो चुके हैं। प्रदेश की पांच में से चार लोकसभा सीटों पर दागदार प्रत्याशी हैं, जबकि अल्मोड़ा अकेली ऐसी सीट है, जहां चुनाव मैदान में मौजूद सभी आठ प्रत्याशी बेदाग हैं। उनके खिलाफ किसी भी प्रकार का कोई मुकदमा दर्ज नहीं है।
मुख्य दो दलों के प्रत्याशी बेदाग
प्रदेश में दो मुख्य राजनीतिक दल भाजपा ने टिहरी से माला राज्य लक्ष्मी शाह, हरिद्वार से त्रिवेंद्र सिंह रावत, पौड़ी से अनिल बलूनी, नैनीताल से अजय भट्ट और अजय टम्टा को चुनाव मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने हरिद्वार से वीरेंद्र सिंह रावत, टिहरी से जोत सिंह गुनसोला, पौड़ी से गणेश गोदियाल, नैनीताल से प्रकाश जोशी और अल्मोड़ा से प्रदीप टम्टा चुनाव लड़ रहे हैं। इनमें से किसी भी प्रत्याशी के खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज नहीं है।
बसपा के दोनों प्रत्याशी दागदार
बसपा ने पांचों लोकसभा सीटों में से दो पौड़ी और हरिद्वार में अपने प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारा है। इनमें हरिद्वार से बसपा के जमील अहमद चुनाव लड़ रहे हैं। जमील के खिलाफ मुजफ्फरनगर के ककरौली और शहर कोतवाली में मुकदमे दर्ज हैं। इनमें शहर कोतवाली में दर्ज मुकदमा धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में हैं, जबकि पौड़ी से बसपा ने धीर सिंह को टिकट दिया है। धीर सिंह के खिलाफ सहारनपुर जिले में जालसाजी और धोखाधड़ी के पांच मुकदमे दर्ज हैं।
यूकेडी के आशुतोष सिंह पर सात मुकदमे
पिछले साल अंकिता हत्याकांड के बाद चर्चाओं में आए आशुतोष सिंह पौड़ी लोकसभा सीट से उत्तराखंड क्रांति दल के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। पिछले दिनों उन्हें एससीएसटी एक्ट के मामले में गिरफ्तार भी किया गया था। सिंह के खिलाफ कोतवाली पौड़ी में दो, कर्णप्रयाग, कोटद्वार, लैंसडौन आदि थानों में कुल सात मुकदमे दर्ज हैं। उन पर जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करना, सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाना आदि आरोप हैं।
उमेश के खिलाफ देहरादून के राजपुर में डरा धमकाकर आतंकित करने के आरोप में 2018 में मुकदमा दर्ज किया गया था। इसके अलावा रांची में राजद्रोह का मुकदमा दर्ज हुआ। राजपुर के मुकदमे में चार्जशीट पर संज्ञान आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में रिट पेटिशन विचाराधीन है, जबकि रांची का मुकदमा विचाराधीन है। इसके साथ ही उनके खिलाफ सीबीआई में भी एक मुकदमा आपराधिक षड्यंत्र और सरकारी अधिकारी को रिश्वत का लालच देकर काम कराने के आरोप में दर्ज है। उमेश कुमार 2013 में न्यायालय की अवमानना के दोषी भी पाए गए थे। उन्हें रजिस्ट्रार कार्यालय में एक घंटे तक कुर्सी पर बैठने की सजा मिली थी