सांप काटने पर कैसे बचाएं जाने, भूलकर भी ना करें ये गलतियां

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बरसात के मौसम में सांप काटने से हुई मौत की घटनाएं अक्‍सर सुनने को मिलती हैं. ऐसे में कई बार बच्‍चे बाहर खेलने जाते हैं और मन में डर लगा रहता है कि कहीं बच्‍चे को सांप ना काट लें. दहशत से बचने के लिए सबसे पहले यह जरूरी है कि आपको पता हो कि अगर सांप काटे तो शरीर में उसके लक्षण क्‍या दिखते हैं. इसके अलावा, सांप काटने के निशान को आप किस तरह पहचान सकते हैं, पहचान के बाद डॉक्‍टर तक जाने से पहले आपको किस तरह पहली चिकित्‍सा करनी चाहिए. यह तमाम जानकारियां हम यहां आपके साथ साझा कर रहे हैं, जिसे जानकर आप अपनी या अपनों की जान सांप काटने से बचा सकते हैं.

सांप काटने से संबंधित कई जानकारियां सोशल मीडिया पर साझा करते हुए बताया कि आमतौर पर जहरीला सांप काटने पर दो निशान बनते हैं, अगर छोटे छोटे बहुत सारे निशान हैं तो ये गैर जहरीले सांप के काटने के निशान हो सकता है. जबकि दो निशान जहरीले सांप के काटने काबता दें कि भारत में सांपों की 250 प्रजातियां हैं, जिनमें से 4 सबसे अधिक घातक हैं. ये हैं कॉमन कोबरा (नाग), सॉ-स्केल्ड वाइपर, कॉमन क्रेट और रसेल वाइपर. जहरीले सांप का शीर्ष त्रिकोण वाला होता है जबकि गैर जहरीले सांप का शीर्ष सामान्य होता है.l

सांप काटने पर क्‍या करेंसांप काट ले तो तुरंत एम्‍बूलेंस को कॉल करें और इंसान को सांप से दूर ले जाएं.अगर इंसान को सांप ने दिल के नीचले हिस्‍से में काटा है तो उसे लिटा दें.जहर को फैलने से रोकने के लिए आप उसे शांत रखने का प्रयास करें. अब घाव को ढीली और साफ पट्टी से ढंक दें और अगर आसपास कोई गहना या धागा बंधा है जो टाइट हो सकता है उसे हटा लें.अगर पैर में सांप ने काटा है तो जूता उतार दें और एम्‍बुलेंस का इंतजार करेंl

सांप काटने पर क्‍या नहीं करेंजब तक डॉक्‍टर कोई दवा देने ना कहें तब तक उसे अपने से कोई भी दवा ना दें. अगर घाव दिल के ऊपरी हिस्‍से में है तो इसे काटने का प्रयास ना करें. जहर को बाहर निकालने के लिए चूसने का प्रयास भी ना करें.घाव पर बर्फ आदि ना रखें. इंसान को कैफीनयुक्‍त या अल्‍कोहल वाली चीजें पीने खाने ना दें. पीड़ित को चलने ना दें और किसी गाड़ी से अस्‍पताल लेकर आएंl

सांप के काटने के लक्षणसांप काटने पर अगर उसका जहर शरीर में फैल रहा है तो उसे उल्टी, अकड़न या कंपकंपी, एलर्जी, पलकों का गिरना, घाव के चारों ओर सूजन, जलन और लाल होना, त्वचा के रंग में बदलाव, दस्त, बुखार होना, पेट में दर्द, सिर दर्द, जी मिचलाना जैसे लक्षण दिखने लगते है. इसके अलावा, लकवा मारना ,पल्स तेज होन, थकान, मांसपेशियों की कमजोरी,प्यास लगना, लो ब्‍लड प्रेशर की शिकायत भी शुरू हो जाती हैl

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