पीठ के निचले हिस्से में दर्द से राहत के लिए घरेलू उपाय

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कमर दर्द हो या, पीठ के नीचले हिस्से में दर्द (रीढ़ की हड्डी के नीचे के नीचले हिस्से में दर्द) या फिर पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द। लोग इस दर्द से काफी परेशान रहते हैं। कई लोग सोचते हैं कि कमर दर्द या पीठ दर्द सिर्फ वृद्धावस्था में होता है, लेकिन यह सच नहीं है। यह किसी भी उम्र में होने वाली तकलीफदेह बीमारी है। आज की बदलती जीवनशैली पीठ या कमर दर्द का कारण बन रही है।

कैल्शियम, विटामिन की कमी, रूमेटायड आर्थराइटिस, कशेरूकाओं की बीमारी, मांसपेशियों एवं तन्तुओं में खिंचाव, गर्भाशय में सूजन, मासिक धर्म में गड़बड़ी, गलत आसनों के प्रयोग आदि अनेक कारणों से पीठ या कमर में दर्द हो जाता है। महिलाओं में कमर दर्द के कारण भी यही हैं। इसलिए यहां कमर दर्द का कारण और इलाज के लिए अनेक घरेलू इलाज कैसे कर सकते हैं।
कमर दर्द (पीठ के नीचले हिस्से में दर्द) क्या है?
रीढ़ का निचला हिस्सा हमारे शरीर का ज्यादातर वजन उठाता है। जब हम झुकते, मुड़ते या भारी वस्तु उठाते हैं तब भी सारा भार रीढ़ के निचले हिस्से पर पड़ता है। जब हम एक स्थान पर ज्यादा समय बैठते हैं तब भी भार उसी स्थान पर पड़ता है। इन सब कारणों से हमारी रीढ़ को सहारा देने वाली मांसपेशियां, टिश्यू तथा लिंगामेंटस पर बार-बार दबाव पड़ता है। इस तरह की इंजरी को स्ट्रेस इंजरी कहते हैं। इससे बचने के लिए लगातार एक ही पोजीशन में एक जगह पर न बैठकर काम करें और थोड़ा ब्रेक लेते रहें। अपने पॉश्चर को बदलते रहें ताकि मांसपेशियों में अकड़न न आने पाए।
कमर दर्द (पीठ के नीचले हिस्से में दर्द) का कारण
आयुर्वेद के अनुसार, कमर दर्द का कारण वात और कफ दोष होता है। इसी कारण से पीठ के निचले हिस्से में दर्द होता है। महिलाओं में कमर दर्द के कारण भी यही हैं। वैसे पीठ के नीचले हिस्से में दर्द होने के पीछे और भी बहुत सारे कारण होते है जो निम्नलिखित हैंः-
तनाव- तनाव कमर दर्द का कारण बनता है। जब हम तनाव में होते हैं तो हमारी मांसपेशियां अकड़ जाती हैं। खासकर गले और पीठ के ऊपरी हिस्से की मांसपेशियों पर तनाव का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। पीठ की मांसपेशियों के अकड़ जाने से हमारी पीठ दुखने लगती है। आपने गौर किया होगा, जब भी आप तनावग्रस्त होते हैं तो सबसे पहले पीठ में परेशानी शुरू हो जाती है। जिन लोगों को पीठ दर्द की समस्या होती है, यदि वे लंबे समय से तनावग्रस्त रहते हैं तो पीठ दर्द की समस्या और बढ़ जाती है, इसलिए मन को तनावग्रस्त होने से बचाना चाहिए।
नए-नए तकनीक- जो लोग दिन में कई घंटे अपने फोन या टैब में बिजी रहते हैं, उन्हें टेक्स्ट नेक हेल्थ प्रॉब्लम होती है। चूंकि वे फोन या टैब पर काम करते समय अपनी गर्दन को नीचे झुकाए होते हैं। इससे उनके मेरुदंड यानी स्पाइन पर अतिरिक्त वजन पड़ता है। शुरू-शुरू में उन्हें इसका एहसास नहीं होता, लेकिन यह आदत धीरे-धीरे उनके पॉश्चर को प्रभावित करने लगती है, और पीठ का दर्द शुरू हो जाता है। स्क्रीन में दिन रात घुसे रहने से आपकी आँखें ही नहीं, बल्कि शरीर के दूसरे अंगों में भी परेशानी होती है।
शरीर के मांसपेशियों का तालमेल बिगड़ जाना- आपको यह तो पता ही है कि आपके शरीर के सभी अंग आपस में एक बेहतरीन तालमेल के साथ काम करते हैं। इसका मतलब यह है कि पीठ में दर्द होने का यह अर्थ यह नहीं है कि मुख्य समस्या पीठ में ही है। हैमस्ट्रिंग्स में खिंचाव या पेट की मांसपेशियों का कमजोर होना भी कमर (पीठ) दर्द का कारण हो सकता है। यदि शरीर में मसल्स में खराबी आती है तो उसका असर पूरे शरीर पर पड़ता है। खासकर ऐसी स्थिति में पीठ को ज्यादा काम करना पड़ता है। इससे पीठ दर्द हो सकता है।
रीढ़ की हड्डी के बीच के डिस्क रीढ़ की समस्या- आपकी रीढ़ की हड्डी के बीच के डिस्क रीढ़ का कुशनिंग इफेक्ट की तरह काम करता है। वे रीढ़ को किसी भी तरह के झटके से बचाते हैं। सीधी भाषा में समझें कि यह शॉक-एब्जॉर्बर का काम करता है। समय के साथ ये डिस्क्स फ्लैट होने लगता है, या गलत पॉश्चर या चोट आदि लगने के चलते इनमें गड़बड़ी आने लगती है जो कमर दर्द का कारण बनता है। कई लोगों को डिस्क में गड़बड़ी की फैमिली हिस्ट्री भी होती है। ये डिस्क्स हमेशा दर्द वाली स्थिति पैदा करते हों, ऐसा नहीं है, पर जब एक बार डिस्क्स के चलते दर्द शुरू होता है तो काफी तकलीफ होती है। हॉट और कॉल्ड पैक्स लगाने से भी आराम मिलता है। फिजियो थेरैपी से भी मदद मिलती है, पर आपके लिए बेहतर यही होगा कि आप डॉक्टर की सलाह पर अमल करें।

गंभीर बीमारी- कभी-कभी पैंक्रियाटाइटिस, अल्सर या किडनी इन्फेक्शन भी कमर (पीठ) दर्द का कारण बनता है। कभी-कभी पीठ का दर्द कैंसर का संकेत भी देता है। इसके अलावा ऑस्टियोमायलाइटिस जैसा रीढ़ की हड्डी का इन्फेक्शन भी पीठ दर्द का कारण हो सकता है।
कमर दर्द के लक्षणों के अनुसार होने वाली बीमारी के संकेत के कई कारण हो सकते हैं और ये इन बीमारियां के संकेत होते हैंः-
अल्सरेटिव कोलाइटिस- यह सूजन आंत्र रोग बड़ी आंत में लगातार सूजन की विशेषता है, जिसे बृहदात्र भी कहा जाता है। अल्सरेटिव कोलाइटिस से बार-बार पेट में ऐंठन होने से पीठ के निचले हिस्से में दर्द हो सकता है। अन्य लक्षणों में क्रॉनिक डाइजेस्टिव समस्याएं जैसे मलाशय में दर्द, वजन में कमी और थकान शामिल है।
स्त्री रोग संबंधी विकार दृमहिलाओं में, श्रोणि में स्थित विभिन्न प्रजनन अंग पीठ के निचले हिस्से में दर्द पैदा कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, एंडोमेट्रियोसिस एक सामान्य स्थिति है जो श्रोणि क्षेत्र में तेज दर्द पैदा कर सकती है, जो पीठ के निचले हिस्से में विकीर्ण हो सकती है।
गर्भावस्था – बच्चे के विकसित होते ही गर्भावस्था के दौरान पीठ के निचले हिस्से में दर्द और पीठ के निचले हिस्से में दर्द होना आम है। कई महिलाओं को अलग-अलग दर्द प्रबंधन के तरीके मददगार लगते हैं, जिनमें आराम, व्यायाम और स्ट्रेचिंग और पूरक उपचार शामिल हो सकते हैं
हर्नियेटेड लम्बर डिस्क
– एक इंटरवर्टेब्रल डिस्क एक कशेरुक खंड के बाईं ओर हर्नियेट कर सकता है, जिससे पीठ के निचले हिस्से में दर्द होता है और तेज दर्द होता है, जो बाएं कूल्हे के माध्यम से और बाएं पैर के पीछे से चलता है। ज्यादातर, बाएं पैर में दर्द पीठ दर्द से भी बदतर होता है।
ऑस्टियोआर्थराइटिस – आमतौर पर कशेरुका के पीछे एक या दोनों पहलू जोड़ों को प्रभावित करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप कठोरता, बेचौनी और सुस्त दर्द होता है। निचली रीढ़ के बाईं ओर एक हड्डी का फैलाव तंत्रिका जड़ों को परेशान कर सकता है, जिससे बाएं कूल्हे के नीचे और बाएं पैर के नीचे से दर्द होता है।
सेक्रोइलिएक जॉइंट डिसफंक्शन दृ पीठ दर्द के कारण सेक्रोइलिएक जोड़ हो सकता है। यह शरीर के एक या दोनों तरफ कम पीठ और श्रोणि दर्द का कारण बन सकता है। अगर इसकी गति की सामान्य सीमा खंडित है। संयुक्त में बहुत अधिक आंदोलन पीठ के निचले हिस्से में दर्द और/या कूल्हे के दर्द का कारण हो सकता है, जो कमर में विकीर्ण हो सकता है। बहुत कम गति से आमतौर पर पीठ के निचले हिस्से में दर्द होता है जो नितंबों या पैर के नीचे तक फैल जाता है है। एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिन अक्सर पवित्र जोड़ों के दर्द से शुरू होता है।
आम तौर पर जीवनशैली के असर के कारण भी पीठ के निचले हिस्से में दर्द होता है। इसके लिए जीवनशैली में थोड़ा बदलाव लाने की जरूरत होती है। जैसे-
सही पॉश्चर-कुर्सी पर बैठते वक्त आराम से बैठें। पीठ को कुर्सी का सपोर्ट मिलना जरूरी है। आप के हाथ को भी सपोर्ट मिलना जरूरी है। हर एक घंटे के बाद कुर्सी से उठ जाएं, ताकि शारीरिक स्थिति में बदलाव आए। काम के बीच में स्ट्रेचिंग द्वारा शरीर को रिफ्रेश करें। इस बात का ध्यान रखें कि आपके काम करने की जगह आरामदायक हो , अचानक झुकने से बचें, बैठते समय पॉश्चर सही रखें।
कम्प्यूटर पर काम करते वक्त इन चीजों का ध्यान रखें- आप अगर लैपटॉप और डेस्कटॉप पर काम कर रहे हों तो इस चीजों के सबसे ऊपरी भाग आपकी नजर के 90 डिग्री के कोण में होनी चाहिए। वहीं माउस भी 90 डिग्री के कोण पर होना चाहिए। मोबाइल फोन इस्तेमाल करते वक्त गर्दन न झुकाएं, सिर्फ नजर नीचे रखें।
पैदल चलें
– किसी भी व्यक्ति को फोन करते वक्त चलते-चलते फोन करें। ऑफिस में किसी को टेक्स्ट मेसेज भेजने से अच्छा है, उसके डेस्क के पास जा कर बात करें। इसी बहाने आप कुछ कदम भी चल लेंगे।
वजन उठाते वक्त सावधान रहें- वजन उठाते वक्त पूरी तरह नीचे ना बैठें। वजनदार चीज आपके शरीर के पास आने दें और उसके बाद ही उसे उठाएं। ऐसा न करने पर आपको पीठ की तकलीफ हो सकती है।
स्वस्थ खान-पान- खान-पान की सही आदतें
न केवल सेहतमंद वजन बनाए रखने में मदद करती हैं बल्कि इससे शरीर पर अतिरिक्त दबाव कम होता है।
सोने का सही तरीका- अपने सोने के तरीके में सामान्य बदलाव करके आप पीठ पर पड़ने वाले दबाव को कम कर सकते हैं, सोने का सबसे अच्छा तरीका है, करवट लेकर सोना और अपने पैरों के बीच में तकिया रखना।
मानसिक तनाव को कम करें- लोग वाकई इस बात को समझते हैं कि तनाव से पीठ/कमर दर्द की समस्या बढ़ती है, योग, ध्यान, गहरी सांस लेने, आदि से तनाव को दूर करने में मदद मिलती है और दिमाग शांत रहता है।
धूम्रपान न करें-
धूम्रपान करने से पीठ दर्द की मौजूदा समस्या बहुत बढ़ जाती है। धूम्रपान छोड़ने से ना केवल पीठ दर्द का खतरा कम होता है बल्कि इससे कैंसर, डायबिटीज और जीवनशैली से जुड़ी अन्य बीमारियों को भी दूर करने में मदद मिलती है।
नियमित व्यायाम और योग करें- शरीर को लचीला और अच्छी शारीरिक मुद्रा बनाये रखने के लिए योग और व्यायाम सबसे सही तरीके हैं। नियमित योग करने से तनाव कम होता है और यह पूर्ण रूप से शरीर के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखता है।

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