हल्द्वानी में नशे के सौदागरों का अड्डा बना बनभूलपुरा क्षेत्र ,पुलिस के हाथ अभी तक खाली
स्मैक तस्करी के मामले में नैनीताल जनपद सबसे आगे पहुंच चुका है।
हल्द्वानी(नन्दा टाइम्स ब्यूरो )। नशा शहर की युवा पीढ़ी को बर्बाद करने पर तुला है। पुलिस की तमाम कोशिशों के बावजूद स्मैक का कारोबार थम नहीं रहा है। बड़ा सवाल यह है कि जिले में स्मैक की सप्लाई करने वाले दो नाम लंबे समय से चर्चा में है। उसके बावजूद पुलिस के हाथ इन तक नहीं पहुंच पा रहेक्यों वे यूपी के रहने वाले है और हल्द्वानी में आकर मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में डेरा डालते है लेकिन पुलिस उन्हें पकड़ पाने में नाकाम हो रही है।
युवा व किशोर के हाथों में स्मैक की पुडिय़ा थमाने वालों में एक बहेड़ी जिला बरेली का हाफिज व दूसरा बिलासपुर जिला रामपुर का असलम है। हल्द्वानी में पकड़े गए हर स्मैक तस्कर की जुबां पर यही नाम है। पुलिस ने कई बार इनके लिए फिल्डिंग बैठाने का प्रयास किया, पर उससे पहले चकमा मिल जाता है।
करीब दो साल पहले सीओ ने तत्कालीन एसएसपी जन्मेजय खंडूरी को रिपोर्ट सौंपी थी। इसमें बहेड़ी के स्मैक तस्कर हाफिज का जिक्र था, जिसके बाद नैनीताल पुलिस ने बरेली एसएसपी से मदद की मांगी थी, पर कुछ खास सहयोग नहीं मिल सका।दो माह पूर्व पकड़े गए दो तस्करों के कब्जे से पुलिस ने स्मैक बरामद करने के बाद कोर्ट से उनका रिमांड हासिल किया था। पुलिस उन्हें लेकर बहेड़ी में दो दिन तक छानबीन की, लेकिन हाफिज कब्जे में नहीं आ सका।
सूत्रों के हवाले मालूम हुआ है कि शहर में नशे का कारोबार करने वाले तस्कर दो जगह से माल खरीदते है बनभूलपुरा, नैनीताल रोड व मंडी के आसपास माल बेचने वाले बहेड़ी जाना पसंद करते हैं। वहीं मुखानी, रामपुर रोड व आरटीओ एरिया में पुडिय़ा उपलब्ध करने वालों को बिलासपुर सूट करता है। बहेड़ी व बिलासपुर माल खरीदने वाले तस्कर निजी वाहन का इस्तेमाल न के बराबर करते हैं। ट्रक व बस में बैठकर माल लाना सुरक्षित माना जाता है। लिहाजा यही साधन इस्तेमाल किया जाता है।स्मैक तस्करी के मामले में नैनीताल जनपद सबसे आगे पहुंच चुका है। यहां पर मुस्लिम बहुल्य क्षेत्र में तसकरों के दिपने का अड्डा है लेकिन पुलिस वहां पर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाती है। पिछले वर्ष नौ लोग बनभूलपुरा थाने की पुलिस ने पकड़े थे ।
सूत्रों से मालूम हुआ कि बाहर से माल लाकर फुटकर में एक पुडिय़ा सौ रुपये में बेची जाती है। वहीं डिमांड के हिसाब से रेट भी कम-ज्यादा हो जाता है। इसके अलावा गु्रपों में शामिल नशेड़ी एक तीली के हिसाब से भी दाम चुकाते हैं। एक तीली के बुझने तक उन्हें कश मारने दिया जाता है।स्मैक की तस्करी करने वाले 80 प्रतिशत लोग खुद इसकी चपेट में आ चुके हैं। बेचने से मिलने वाली रकम से खुद के लिए माल लाने के साथ कमाई भी होती है।