आठ साल बाद भारत-नेपाल के बीच सूखे-चूने से बना सारदा बैराज पुल 100 साल का हो जाएगा

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ब्रिटिश हुकूमत के हुक्मरानों ने बाढ़ से होने वाली तबाही को रोकने और सिंचाई के प्रबंध के लिए नेपाल-भारत के बीच बनबसा बैराज का 1920 में निर्माण शुरू किया। पहाड़ों की कोख से निकलने वाली काली नदी मैदान में पहुंचते ही शारदा नहर के नाम से आगे बढ़ती है। अंग्रेजी शासकों ने शारदा बैराज पुल को बनाने के लिए सुर्खी चूने से तैयार होने वाली ईटों के लिए यहीं पर भट्ठे लगाए और चुनाई के लिए सुर्खी-चूने और जंगली पेड़ों से निकलने वाले गोद का प्रयोग किया अंग्रेजों द्वारा बनाया गया यह शारदा बैराज पुल आज भी यह पुल दोनों देशों के बीच के रिश्तों को जोड़े हुआ है। इस पुल की लंबाई 598 मीटर लंबा व दस फिट चौड़ा है।

खटीमा। बस सात साल और उसके बाद बनबसा बैराज पर बना पुल सौ साल का हो जाएगा। जीवन के 93 वर्ष पूरे कर चुका यह पुल सुर्खी-चूने से बना है। बावजूद इसके यह सीमेंट और दूसरी निर्माण सामग्रियों से बने पुलों की तरह थरथराता नहीं है। रोज अपने सीने से हजारों लोगों को गुजर जाने की हंस हंस कर इजाजत देता है। सचमुच इस जोड़ का कोई तोड़ नहीं है।
ब्रिटिश हुकूमत के हुक्मरानों ने बाढ़ से होने वाली तबाही को रोकने और सिंचाई के प्रबंध के लिए नेपाल-भारत के बीच बनबसा बैराज का 1920 में निर्माण शुरू किया। पहाड़ों की कोख से निकलने वाली काली नदी मैदान में पहुंचते ही शारदा नहर के नाम से आगे बढ़ती है। अंग्रेजी शासकों ने शारदा बैराज पुल को बनाने के लिए सुर्खी चूने से तैयार होने वाली ईटों के लिए यहीं पर भट्ठे लगाए और चुनाई के लिए सुर्खी-चूने और जंगली पेड़ों से निकलने वाले गोद का प्रयोग किया

बताते तो यह भी हैं चुनाई के मसाले में उड़द की दाल को भी घोलकर मिलाया गया थासीमेंट व अन्य चीजों का कोई प्रयोग नहीं हुआ था। इस पुल को बनने में आठ साल लग गए। 11 दिसंबर 1928 में इस पुल का उद्घाटन होने के बाद दोनों देशों के नागरिकों के आवागमन और सिंचाई के लिए तैयार हुआ।

अंग्रेजों द्वारा बनाया गया यह शारदा बैराज पुल आज भी यह पुल दोनों देशों के बीच के रिश्तों को जोड़े हुआ है। इस पुल की लंबाई 598 मीटर लंबा व दस फिट चौड़ा है। जिसमें पानी निकासी के लिए चौतीस फाटक लगे हुए हैं। हालांकि पुल की देख रेख कर रहे सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने यूपी सरकार को पुल के पुर्ननिर्माण का प्रस्ताव भेजा है।बनबसा शारदा बैराज की पानी निकासी की क्षमता छह लाख क्यूसेक है। जिसमें पांच लाख 44 हजार क्यूसेक पानी 2013 में इस बैराज से निकासी हुई थी। लेकिन पुल को किसी भी तरह का नुकसान नहीं हुआ।
बनबसा बैराज पुल से पड़ोसी देश नेपाल को सिंचाई के लिए पानी दिया जाता है। साथ ही उत्तर प्रदेश के पीलीभीत, बरेली, शाहजहांपुर, हरदोई, लखीमपुर, सीतापुर, लखनऊ आदि जिलो को पानी यहीं से दिया जाता है।

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