बसपा के पूर्व नगर अध्यक्ष फरीद अख्तर अपने 200 समर्थकों के साथ काग्रेस में शामिल हुए

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जैसे-जैसे विधान सभा चुनाव नजदीक आ रहे है वैसे -वैसे सभी राजनैतिक दलों के नेता एक पार्टी छोड़ दूसरे पार्टी के गोद में बैठ जा रहे है ताकि वहां कुछ खाने को मिल जाय, कांग्रेस हो भाजपा हर तरह के हथकंडे अपना रहे है भाजपा हाथ पकड़ रही है तो कांग्रेस टांग खींच रही है फिर नेता जिधर को मलाईदार खाना दिखा उधर को चल दिए ं जब तक चुनाव की तारीख घोषित नहीं होे जाती तब तक यह खेल चलता रहेगा । प्रदेश की जनता को अधिकतर पहाड़ के लोगों को डर है कि जो भी सरकार सत्ता में आयेगी वह पहाड़ में दूसरे समुदाय के लोगों को न बसा दें ।
प्रदेश में कोई भी सरकार आए वह भू-कानून नहीं ला सकती है क्योंकि उनके तार भू -माफियाओं से जुड़े हुए है।

नैनीताल. उत्तराखंड में ज्यों-ज्यों विधानसभा चुनाव के दिन नजदीक आ रहे हैं, सियासी दलों के नेताओं के ‘दिल’ भी इधर-उधर उछल रहे हैं. पिछले महीने जहां सत्तारूढ़ बीजेपी से कांग्रेस में आने वाले नेताओं की भाग-दौड़ भी चर्चाओं में है.,जहां बसपा के स्थानीय नेता समेत बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं ने अपनी पार्टी छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया.
बहुजन समाज पार्टी के रामनगर के पूर्व नगर अध्यक्ष के नेतृत्व में हुआ ये फेरबदल, प्रदेश में चुनावी माहौल को लेकर हो रही हलचल बताने के लिए काफी है. आज यहां बसपा के नगर अध्यक्ष फरीद अख्तर अपने 200 समर्थकों के साथ कांग्रेस में शामिल हो गए. अपनी पार्टी छोड़कर उत्तराखंड के प्रमुख विपक्षी दल के साथ जुड़ने वाले फरीद अख्तर ने कहा कि वे भाजपा सरकार के काम-काज से परेशान हैं. ऐसे में उन्हें कांग्रेस ही एकमात्र उम्मीद नजर आ रही है. यही वजह रही कि वे अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस में शामिल हो गए.

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