फास्टफूड बन रहा बच्चों की सेहत का दुश्मन, बच्चों में मोटापा रोकना जरूरी

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हल्द्वानी । बदलती जीवनशैली व आधुनिकता के दौर में बच्चों और युवाओं में फास्ट-फूड के प्रति लगाव तेजी से बढ़ा है और यही आदत उन्हें मोटापा, डाइबिटीज जैसी कई बीमारियों की ओर ढकेल रही है क्योंकि जो फास्टफूड बच्चे खा रहे हैं, उनमें प्रोटीन और विटामिन की मात्र न के बराबर होती है। फ़ास्ट फ़ूड बहुत सी घातक और हानिकारक बीमारियों को निमंत्रण देता है, इसके बारे में लखनऊ के पोषाहार विशेषज्ञ डॉ सुरभि जैन बताती हैं, बढ़ते बच्चों को रोजाना तकरीबन 1500 कैलोरी की जरूरत है, जिसका आधा कार्बाेहाइट्रेड, 20 फीसदी वसा और 30 फीसदी प्रोटीनों का होना चाहिए। लेकिन बाजार में फास्ट फूड के नाम पर जो चीजें वो खाते हैं, उनमें पड़ने वाले नमक और प्रिजर्वेटिव्स स्वास्थ्य के लिए जहर होते हैं।
फास्टफूड से होने वाली बीमारियां डायबिटीज बच्चों में मोटापा के कारण टाइप-२ डायबिटीज होने का ख़तरा रहता है, जिसके फलस्वरूप कुछ अन्य बीमारियों का ख़तरा बढ़ जाता है, जैसे किडनी का फ़ेल होना, अतिरक्तदाब, ह्दय रोग आदि।

स्ट्रोक रक्त का प्रवाह दिमाग में रुक जाने से स्ट्रोक होता है परिणाम स्वरूप ब्रेन डैमेज हो जाता है, इससे उच्च रक्तदाब, लकवा मारना और मौत तक हो सकती है। अस्थमा ज्यादा फ़ास्ट फ़ूड अस्थमा की बीमारी को बढ़ावा देता है और इससे यह रोग बढ़ने की संभावना रहती है।

लिवर की बीमारियां लिवर सेल में वसा जमा हो जाने से लिवर की बीमारी हो जाती है जिससे लिवर डैमेज होने की संभावना रहती है।

ह्दय की बीमारी ह्दय की बीमारी का मुख्य कारण भी वसा ही है। आज के समय में ह्दय की बीमारी से मरने वालो की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है जिसका मुख्य कारण वसा ज्यादा होना है। पाचन क्रिया पर असर मैदे और तेल से बने ये जंक फूड आपकी पाचन क्रिया को भी प्रभावित करता है। इससे कब्ज की समस्या उत्पन्न हो सकती है।

इन खानों में फाइबर्स की कमी होने की वजह से भी ये खाद्य पदार्थ पचने में दिक्कत करते हैं। पिज्जा को करें रीडिजाइन भारत में इटैलियन पिज्जा सबसे लोकप्रिय फास्टफूड में से एक है। इसे अगर थोड़ा सा रीडिजाइन कर दिया जाए तो यह बच्चों ही नहीं, बड़ों के लिए भी सेहतमंद बन सकता है। इसके बेस के लिए मोटे पिज्जा क्रस्ट की जगह ब्राउन ब्रेड का इस्तेमाल करें, मेयोनीज की जगह सफेद मक्खन लगाएं और इसे पोषक बनाने के लिए इस पर खूब सारी सब्जियों की परत लगाएं।

पाव भाजी पाव भाजी आम जंक फूड की तरह नहीं होता, लेकिन इसे पूरी तरह से हेल्दी बनाया जा सकता है। इसमें परंपरागत पाव की जगह ब्राउन ब्रेड या मल्टी ग्रेन पाव का इस्तेमाल कर सकते हैं और भाजी में खूब सारी सब्जियां मिला सकते हैं।
सिवइयां छोटे बच्चे ही नहीं बल्कि बड़े भी आजकल नूडल्स खाना बेहद पसंद करते हैं। अधिकतर नूडल्स मैदा अथवा पॉलिस्ड गेहूं के आटे के बने होते हैं जिनमें फाइबर और मिनरल की मात्रा बेहद कम होती है।

अक्सर मैदे को सफेद बनाने के लिए केमिकल ब्लीच का इस्तेमाल भी किया जाता है। ऐसे में अपने बच्चों को इंस्टंट नूडल्स खाने की आदत लगाने के बजाय उन्हें चावल या सूजी से बनी बर्मिसिली अथवा सिवइयां खाने की आदत लगाएं, इसे सब्जियों और सोया सॉस के साथ बनाएं। इससे इसका स्वाद भी लाजवाब बनेगा।

बच्चों में मोटापा रोकना जरूरी’ भारत मेटाबॉलिक सिंड्रोम की महामारी का सामना कर रहा है, जिसे पेट का मोटापा, हाईट्रिग्लिसाइड, अच्छे कोलेस्ट्रॉल की कमी, हाई ब्लडप्रेशर और हाई शुगर से मापा जाता है। पेट का घेरा अगर पुरुषों में 90 सेंटीमीटर से ज्यादा और महिलाओं में 80 सेंटीमीटर से ज्यादा हो, तो भविष्य में होने वाले दिल के दौरे की संभावना का संकेत होता है। ज्यादातर अंगों का विकास भी थम जाता है। दिल, गुर्दे या जिगर इसके बाद नहीं बढ़ते। कुछ हद तक मांसपेशियां ही बनती हैं। इसके बाद वजन बढ़ने की वजह केवल चर्बी जमा होना ही होता है।इसलिए युवावस्था शुरू होने के बाद वजन चर्बी की वजह से बढ़ता है।” अग्रवाल कहते हैं, “पेट का मोटापा जीवों के फैट से नहीं, बल्कि रिफाइंड कार्बाेहाइड्रेट्स खाने से होता है।

रिफाइंड कार्बाेहाइड्रेट्स में सफेद चावल, मैदा और चीनी शामिल होते हैं। भूरी चीनी सफेद चीनी से बेहतर होती है।”
बच्चों में मोटापा आगे चल कर डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल का कारण बनता है।

70 प्रतिशत मोटापे के शिकार युवाओं को दिल के रोगों का एक खतरा होता ही है। बच्चे और किशोर जिनमें मोटापा है, उन्हें जोड़ों और हड्डियों की समस्याएं, स्लीप एप्निया और आत्म-विश्वास में कमी जैसी मानसिक समस्याएं होने का ज्यादा खतरा होता है।
बच्चों को जंक फूड की आदत लगने से रोकने का एक तरीका यह है कि उन्हें फास्ट फूड जॉइंट की चीजें खाने से रोकें और ऐसा तब हो सकता है जब घर में स्वस्थ फास्ट फूड तैयार हो। इन्हें बनाने के लिए सामान्य अस्वास्थ्यकर चीजों की जगह स्वास्थ्यवर्धक चीजें इस्तेमाल की जाएं।

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