बागेश्वर में 50 हजार लोगों की रोजी-रोटी के लाले पड़े

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बागेश्वर । ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा के कार्य ठप होने से जिले के 50 हजार जॉब कार्डधारकों में रोजी-रोटी का संकट गहराने लगा है। बीते एक माह से उन्हें रोजगार नहीं मिला है। कोरोना महामारी में गांव लौटे प्रवासी सबसे अधिक परेशान हैं। अब उनके पास नौकरी है न गांव में ही कोई रोजगार मिल रहा हैं।

मनरेगा सहायकों के पिछले एक माह से हड़ताल में होने के कारण सरकार के माध्यम से संचालित मनरेगा योजना भी अधर में लटकी है। एक माह से जिले के कपकोट, गरुड़, बागेश्वर ब्लॉक में कोई कार्य नहीं हो पाया है। इससे जॉब कार्डधारी खासे परेशान हैं। कोरोना महामारी के इस दौर में रोजगार का एकमात्र विकल्प भी अब ठप हो गया है। इससे लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। रोजगार की आस लगाए सुंदर लाल, गंगा राम, दीपा देवी, आशा खेतवाल आदि ने कहा कि अगर जल्द मनरेगा के कार्य शुरू नहीं हुए तो वे आंदोलन को बाध्य होंगे। 201 रुपया मिलती है मजदूरी

मनरेगा योजना के तहत सरकार 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराती है। वर्तमान में 201 रुपया एक दिन की मजदूरी मिलती है। वहीं प्रशिक्षित मजदूरों को 444 रुपया प्रतिदिन मिलता है। अनर्सा की प्रधान पुष्पा देवी ने कहा कि गांव के 195 जॉबकार्ड धारी अब परेशान हैं। 5612 प्रवासी भी रोजगार के इंतजार में जिले में कोरोना महामारी के दौरान 5612 प्रवासियों ने जॉब कार्ड बनाए, जिन्हें अब रोजगार का इंतजार हैं। कब तक रोजगार मिलेगा, इसकी जानकारी विभागीय अधिकारियों को भी नहीं हैं।

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