हरिद्वार कुंभ के दौरान फर्जीवाड़ा, एक लाख आरटीपीसीआर जांच संदेह के घेरे में
हरिद्वार कुंभ के दौरान एक बड़े फर्जीवाड़े का समाचार मिला है। विभागीय जांच में भी यह फर्जीवाड़ा सामने आया है। इससे पहले भी इसी तरह का फर्जीवाड़ा रुद्रपुर में किया गया था। इस तरह के फर्जीवाड़े उत्तराखंड का स्वभाव नहीं है। ये कौन लोग हैं, जो हमारे राज्य को कलंकित कर रहे हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। मैं मुख्यमंत्री से आग्रह करूंगा कि वे इस मामले में तत्परता से कठोर कार्रवाई प्रारंभ करें।
हरीश रावत, कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव एवं पूर्व मुख्यमंत्री
हरिद्वार । कुंभ में जो लोग आए ही नहीं, उनके मोबाइल नंबर पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोविड जांच की रिपोर्ट पहुंच गई। मामले में एक फर्म की करीब एक लाख जांचें संदेह के घेरे में हैं। सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी के निर्देशों के बाद हरिद्वार के जिलाधिकारी ने जांच शुरू कर दी है।
दरअसल, हाईकोर्ट ने कुंभ में रोजाना 50 हजार जांचें करने का आदेश दिया था, जिस पर सरकार ने नौ फर्मों को जांच की जिम्मेदारी सौंपी थी। सरकार ने जिन नौ फर्मों को जांच की जिम्मेदारी सौंपी थी इनमें से कई फर्मों ने आरटीपीसीआर जांच की तो कई ने एंटीजन जांचें। पंजाब निवासी एक व्यक्ति की शिकायत के बाद जब कोविड कंट्रोल रूम की टीम ने प्रारंभिक जांच की तो एक फर्म की करीब एक लाख जांचें संदेह के घेरे में आ गई। इनमें तमाम जांचें तो ऐसी थी, जिनमें एक ही मोबाइल नंबर का इस्तेमाल किया गया था। एक ही पते पर 500 जांचें कराई गई। जांच टीम ने पिछले सप्ताह शासन को इस गड़बड़ी से अवगत कराया तो सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी ने इसकी जांच हरिद्वार जिलाधिकारी को सौंपते हुए 15 दिन में रिपोर्ट मांगी थी। डीएम इस मामले की जांच कर रहे हैं।
विभागीय जांच में पाया गया कि फर्म ने लगभग एक लाख सैंपलों की जांच की है। जिसमें पॉजिटिव दर कम और निगेटिव की ज्यादा है। एक ही सैंपल आईडी और मोबाइल नंबर से कई लोगों को जांच रिपोर्ट जारी की गई। साथ ही 90 प्रतिशत सैंपल कलेक्शन की एंट्री राजस्थान की है। जबकि हर व्यक्ति के सैंपल की आईडी अलग होती है। सैंपल जांच रिपोर्ट में दर्ज पते भी संदेह है। एक ही जगह से मकान नंबर क्रमवार लिखे गए हैं।