धर्मनगरी में उमड़ा भक्तों का सैलाब, हर कोई बोल रहा है,भोले जरा रास्ता देना, भोले पीने को पानी देना

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हरिद्वार । कांवड़ यात्रा में अब कोई भी संदीप या अभिषेक नहीं रहा। यहां पर सबको भोले कहकर ही संबोधित किया जा रहा है। रिक्शा चालक, वाहन चालक या फिर फलों की ठेली लगाने वाले सभी को कांवड़ियों की ओर से भोले कहकर संबोधित किया जा रहा है। कांवड़ यात्रा में अगले नौ दिनों तक बस भोले ही भोले का नाम सुनाई देगा। यहां तक कि कांवड़ यात्रा में पुलिसकर्मियों से लेकर चिकित्सक तक भी एक दूसरे को भोले ही कहते हुए नजर आते हैं। 

भोले जरा रास्ता देना। भोले पानी देना। भोले कांवड़ संभालना। कांवड़ लेकर जाने वाला हर व्यक्ति इन दिनों केवल भोले नाम से जाना जाता है। बड़े-छोटे, अमीर-गरीब सब भगवा रंग में रंगे हैं। अपना-अपना नाम घर पर छोड़कर सब भोले बन जाते हैं। जिले में 14 से 16 जुलाई तक करीब 18 लाख कांवड़िए गुजर चुके हैं। सभी कांवड़िए आपस में संवाद के क्रम में एक-दूसरे का नाम नहीं लेते।

विश्व की सबसे लंबी पैदल व धार्मिक कांवड़ यात्रा अब अपने चरम पर पहुंचना शुरू हो गई है। कांवड़ियों के रंग में हर कोई रंगा हुआ है। बता दें कि कांवड़ यात्रा के साथ ही एक नियम जुड़ा है कि कंधे पर कांवड़ रखने के बाद कांवड़िए एक-दूसरे को प्रचलित सांसारिक नाम से नहीं पुकारते।

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