ऑनलाइन पढ़ाई के लिए रोजाना पहाड़ चढ़ रहे बच्चे,स्टडी के लिए मोबाइल नेटवर्क बना मुसीबत
ऐसे जनप्रतिनिधि की क्या जरूवत जो अपने क्षेत्र की जनता की समस्याओं को सुलझाने के बजाय जनता को सांसद होने का रौब दिखाने लगे
बागेश्वर। जनपद मुख्यालय से महज 9 किलोमीटर दूर पन्द्रहपाली गांव के 30 से अधिक बच्चों को ऑनलाइन क्लास अटेंड करने के लिए रोजाना पहाड़ की करीब दो किलोमीटर ऊंचाई नापनी पड़ रही है। गांव में मोबाइल नेटवर्क नहीं आता। इन बच्चों ने अब तो बाकायदा गोले बनाकर अच्छे नेटवर्क वाले स्थान चिह्नित कर लिये हैं। रोजाना 30 से अधिक बच्चे सुबह 10 बजे से दोपहर दो बजे के बीच यहां पहुंचते हैं। बागेश्वर के एक प्राइवेट स्कूल में कक्षा 8 के छात्र रिंकू , कक्षा नौ की छात्रा हेमा का कहना है कि नेटवर्क की समस्या से उनकी पढ़ाई चौपट हो रही है। बरसात हो रही हो, तो नेटवर्क बिल्कुल नहीं मिल पाता है। कक्षा 7 के छात्र सोनू और निशु को रोजाना दो किलोमीटर पहाड़ चढ़ना भारी पड़ता है। लेकिन स्कूल खुले नहीं हैं, तो ऑनलाइन पढ़ाई करना मजबूरी है।
पन्द्रहपाली गांव के अधिकतर बच्चे कक्षा 6 से 12 तक के छात्र हैं। कोरोना कर्फ्यू के चलते इन दिनों ये बच्चे अपने गांव लौटे हुए हैं। जंगली जानवरों के खतरे को देखते हुए ये बच्चे मोबाइल नेटवर्क की तलाश में समूह बनाकर जंगल में पहाड़ी पर पढ़ने जाते हैं।
पन्द्रहपाली गांव की ग्राम प्रधान देवकी देवी का कहना है कि पन्द्रहपाली गांव में वर्षों से मोबाइल नेटवर्क की समस्या है। हम अधिकारियों से लेकर विधायक, सांसद तक के सामने यह बात रख चुके हैं। गांव के बच्चों की पढ़ाई में काफी दिक्कत आ रही है। सासद का मुखड़ा यहां के लोगों ने केवल चुनाव के वक्त देखा उसके बात कैसा मुखड़ा हो गया देखा ही नहीं । गांव के ही एक बुजुर्ग ने कहा कि जिन्दगी में ऐसा सांसद आजतक नहीं देखा जो जनता की समस्याओं की अनदेखी करता हो । गांव के लोगों ने बताया कि कई पत्र भेजे आजतक किसी भी पत्र का जबाब नहीं मिला ।