जिंदगी की जंग जीत घर पहुंचे गब्बर सिंह, अपनों के छलके आंसू; हुआ भव्य स्वागत

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कोटद्वार। वह गब्बर सिंह नेगी ही थे, जो 17 दिन तक उत्तरकाशी के सिलक्यारा में सुरंग में कैद श्रमिकों की हिम्मत बने। स्वयं सुरंग में फंसे होने के बावजूद गबर सिंह अपने साथियों को हौसला बंधाते रहे और भरोसा दिलाते रहे कि सभी जल्द ही आजाद होंगे। इसके लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक हर किसी ने गबर सिंह की प्रशंसा की।

शुक्रवार को जब वह कोटद्वार स्थित अपने घर पहुंचे तो वहां भी उनका नायकों जैसा स्वागत किया गया। बेटे को देखकर मां बिचुली देवी की आंखें छलक गईं। मां ने अपने पाल्य का माथा चूम गले से लगा लिया। इससे पहले भाजपा समेत विभिन्न संगठनों ने भी गबर सिंह का भव्य स्वागत किया।

जब परिवार वालों ने सुनी पहली बार आवाज

12 नवंबर को जब निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में भूस्खलन हुआ तो गबर सिंह समेत 41 श्रमिक अंदर ही फंस गए। घटना की सूचना के बाद गबर सिंह का बेटा आकाश नेगी, बड़े भाई जयमल सिंह व तीरथ सिंह नेगी समेत परिवार के अन्य सदस्य उत्तरकाशी पहुंचे। इस दौरान आकाश ने पिता गबर सिंह से पाइप के जरिये बात की। तब गबर सिंह ने आकाश को बताया कि उनके साथ जो श्रमिक साथी हैं, उन सबकी सुरक्षा का जिम्मा भी उन्हीं का है। इसलिए वह श्रमिक साथियों का मनोबल बढ़ा रहे हैं।

ऐसे गुजारे 17 दिन

इस दौरान गबर सिंह ने सुरंग में बिताए 17 दिन के अनुभव को साझा करते हुए कहा कि परिस्थिति कितनी भी कठिन हो, पर हार नहीं माननी चाहिए। उन्होंने बताया कि सुरंग में शुरुआती दो दिन श्रमिकों ने मूंगफली और केले के छिलके खाकर गुजारे। साथ ही कहा कि ईश्वर ने सभी को हिम्मत प्रदान की और सरकारी मशीनरी ने उन्हें सुरक्षित निकालने को कोई कसर नहीं छोड़ी।

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