जनरल बिपिन रावत का हेलिकॉप्टर क्रैश में निधन, पत्नी मधुलिका समेत 13 लोगों की मौत

ख़बर शेयर करें

दल्ली । आखिरकार बुरी खबर आ ही गई है। जनरल बिपिन रावत नहीं रहे। वे देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, यानी सीडीएस थे। तमिलनाडु के कुन्नूर में बुधवार दोपहर करीब 12 बजकर 20 मिनट पर उनका हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया था। उसमें जनरल रावत की पत्नी मधुलिका रावत समेत सेना के 14 लोग सवार थे। इस हादसे में 13 लोगों की मौत हो गई है, जबकि एक गंभीर रूप से घायल है।
पहले ये खबर आई कि हादसे में घायल हुए कुछ लोगों को गंभीर हालत में वेलिंगटन के मिलिट्री अस्पताल ले जाया गया। जहां से करीब साढ़े पांच घंटे तक खबर आती रही कि जनरल रावत और उनकी पत्नी समेत कुछ अफसर बुरी तरह घायल हुए हैं, लेकिन फिर बारी-बारी से मौत की खबर आने लगी।

शाम तक ये खबर आई कि हादसे में 13 लोगों की मौत हो गई है। सिर्फ एक व्यक्ति जिंदा है, जो पुरुष है। इसके बाद कयास लगाए जाते रहे कि ये जनरल रावत ही हैं, लेकिन देर शाम सबसे बुरी खबर आई कि जनरल रावत नहीं रहे। उनकी पत्नी मधुलिका की भी मौत हो गई।
रावत के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दुख जाहिर किया है। मोदी ने ट्वीट में लिखा- जनरल रावत बेमिसाल सैनिक थे। सच्चे देशभक्त थे और उन्होंने हमारी सेनाओं के मॉर्डनाइजेशन के लिए योगदान दिया। उनके जाने से मुझे गहरा दुख हुआ है। देश उनकी असाधारण सेवा को कभी नहीं भूलेगा। रक्षा मंत्री राजनाथ ने कहा- रावत का असमय निधन देश और सेना के लिए कभी न पूरी हो पाने वाली क्षति है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रावत के निधन के बाद उनके साथ अपनी एक फोटो ट्वीट की।

हेलिकॉप्टर क्रैश में अकेले बचने वाले शख्स हैं ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह। उनकी बॉडी इस हादसे में बुरी तरह झुलस गई है। वे वेलिंगटन के मिलिट्री अस्पताल में भर्ती हैं। पिछले साल तेजस फाइटर जेट उड़ाते वक्त उन्हें बड़ी तकनीकी दिक्कत का सामना करना पड़ा था, पर उन्होंने साहस नहीं खोया और विमान को सुरक्षित लैंड कराया। इसके लिए उन्हें शौर्य चक्र से नवाजा गया था।
हादसे का शिकार हुए डप-17वी -5 हेलिकॉप्टर में जनरल रावत, उनकी पत्नी के अलावा 12 लोग और थे। चॉपर में ब्रिगेडियर एलएस लिद्दर, लेफ्टिनेंट कर्नल हरजिंदर सिंह, नायक गुरसेवक सिंह, नायक जितेंद्र कुमार, लांस नायक विवेक कुमार, लांस नायक बी. साई तेजा और हवलदार सतपाल सवार थे। 5 और लोगों के नाम सामने आने बाकी हैं।

चश्मदीदों के मुताबिक हादसे से पहले बहुत तेज आवाज सुनाई दी। हेलिकॉप्टर पहले पेड़ों पर गिरा। इसके बाद उसमें आग लग गई, वो आग का गोला बन गया था। एक और चश्मदीद का कहना है कि उसने जलते हुए लोगों को हेलिकॉप्टर से बाहर गिरते हुए देखा।
हादसा तब हुआ, जब जनरल रावत कुन्नूर में एक कार्यक्रम में शामिल होने के बाद वापस सुलूर लौट रहे थे। हेलिपैड से 10 मिनट के दूरी पर घने जंगलों के बीच हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया। शुरुआती जानकारी के मुताबिक हादसे की वजह खराब मौसम बताया जा रहा है।
सेना के कुछ पूर्व अफसरों ने दोपहर में ही जनरल बिपिन रावत की मौत को लेकर ट्वीट कर दिया। रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल एचएस पनाग ने जनरल बिपिन रावत को ट्वीट कर श्रद्धांजलि दे दी थी।

दिल्ली में उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि हादसे की वजह घने जंगल और कम विजिबिलिटी रहे। खराब मौसम के दौरान बादलों में विजिबिलिटी कम होने की वजह से हेलिकॉप्टर को कम ऊंचाई पर उड़ान भरनी पड़ी। लैंडिंग पॉइंट से दूरी कम होने की वजह से भी हेलिकॉप्टर काफी नीचे उड़ान भर रहा था। नीचे घने जंगल थे इसलिए क्रैश लैंडिंग भी फेल हो गई। इस हेलिकॉप्टर के पायलट ग्रुप कमांडर और सीओ रैंक के अधिकारी थे, ऐसे में मानवीय भूल की आशंका न के बराबर है।
जनरल बिपिन रावत एक बार पहले भी हेलिकॉप्टर हादसे का शिकार हो चुके हैं। 3 फरवरी 2015 को उनका चीता हेलिकॉप्टर नगालैंड के दीमापुर में क्रैश हुआ था। तब बिपिन रावत लेफ्टिनेंट जनरल थे।हादसे के बाद जितने भी शव बरामद किए गए, वे बुरी तरह जले हुए थे।
पिछले महीने भी क्रैश हुआ था डप-17, सभी 12 सवार मारे गए थे
एक महीने के अंदर देश में दूसरा डप-17 हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ है। पिछला चॉपर 19 नवंबर को अरुणाचल प्रदेश में क्रैश हुआ था। उस घटना में चॉपर में सवार सभी 12 लोग मारे गए थे।
कारगिल में भी इस्तेमाल हुआ था डप-17, भारी बोझ ढोने में सक्षम

जिस हेलिकॉप्टर में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (ब्क्ै) जनरल बिपिन रावत सवार थे, वह डप-17 सीरीज का हेलिकॉप्टर है। इस हेलिकॉप्टर को सोवियत संघ में बनाया गया था। भारत 2012 से इसे इस्तेमाल कर रहा है। यह मीडियम ट्विन टर्बाइन हेलिकॉप्टर है, जिसमें दो इंजन होते हैं। इस हेलिकॉप्टर को ट्रांसपोर्ट और बैटल दोनों ही रोल में इस्तेमाल किया जाता है। तकनीकी तौर पर डप-17 को इसके पिछले वर्जन डप-8 में सुधार करके डेवलप किया गया था। इस चॉपर में भारी बोझ उठाने की क्षमता है। भारत ने कारगिल युद्ध के समय पाकिस्तानी घुसपैठियों पर अटैक के लिए डप-17 का इस्तेमाल किया था। दुश्मन की मिसाइल ने एक डप-17 चॉपर को मार गिराया था। इसके बाद ही भारत ने अपने फाइटर जेट को हमले के लिए भेजा था। भारत में इसे टप्च् ट्रांसपोर्ट के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।

You cannot copy content of this page