उत्तर प्रदेश में अपराध का ग्राफ घटा , उत्तराखंड का अपराध का ग्राफ आगे
आजतक उ0 प्र0 अपराध का गढ़ माना जाता था लेकिन योगी सरकार ने अपराध पर लगाम लगा कर देश के अन्य राज्यों के अपेक्षा सबसे कम अपराधों के आकड़े निकालकर सामने आने एक मिशाल कायम की है।
लखनऊ । नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों पर नजर डालें तो यूपी में वर्ष 2021 में इसके तहत 39 मुकदमे दर्ज किए गए थे, जो वर्ष 2022 में घटकर 21 हो गए। इसी तरह उत्तराखंड में वर्ष 2021 में इसके तहत 17 मुकदमे दर्ज हुए थे, जो वर्ष 2022 में बढ़कर 32 हो गए।
संगठित अपराध पर लगाम लगाने में यूपी और उत्तराखंड का प्रदर्शन देश में सबसे बेहतर है। यूपी के बाद उत्तराखंड में भी संगठित अपराध करने वालों पर तेजी से कार्रवाई की जा रही है। नतीजतन यूपी में पिछले साल के मुकाबले संगठित अपराध कम हुए हैं। वहीं उत्तराखंड में संगठित अपराध करने वालों का सफाया करने का अभियान जोर पकड़ता जा रहा है।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों पर नजर डालें तो यूपी में वर्ष 2021 में इसके तहत 39 मुकदमे दर्ज किए गए थे, जो वर्ष 2022 में घटकर 21 हो गए। इसी तरह उत्तराखंड में वर्ष 2021 में इसके तहत 17 मुकदमे दर्ज हुए थे, जो वर्ष 2022 में बढ़कर 32 हो गए।
इसी तरह देशविरोधी गतिविधियों में लिप्त लोगों पर कार्रवाई करने की रफ्तार यूपी में बढ़ी है। यूपी में वर्ष 2021 में यूएपीए (अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट) के तहत 83 मुकदमे दर्ज हुए थे, जो अगले वर्ष बढ़कर 101 हो गए। उल्लेखनीय है कि मणिपुर और आसाम के बाद यूपी में यूएपीए एक्ट के तहत देश में सबसे ज्यादा मुकदमे दर्ज किए गये हैं।
भ्रष्टाचार पर भी अंकुश
महाराष्ट्र के बाद यूपी में भ्रष्टाचार के मामलों में सख्त कार्रवाई की गई है। प्रदेश में वर्ष 2021 में पीसी एक्ट (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) के तहत 174 मामले दर्ज हुए थे, जो वर्ष 2022 में बढ़कर 202 हो गए। महाराष्ट्र ऐसे मामलों में कार्रवाई करने में देश में सबसे आगे है। महाराष्ट्र में वर्ष 2021 में पीसी एक्ट के तहत 715, जबकि वर्ष 2022 में 688 मामले दर्ज किए जा चुके हैं। मालूम रहे कि वर्ष 2023 में यूपी में सीबीआई, यूपी पुलिस की विजिलेंस और एंटी करप्शन आर्गनाइजेशन ने करीब 150 सरकारी अधिकारियों एवं कर्मचारियों को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ दबोचा है, जो कि एक रिकॉर्ड बन चुका है।