हरीश रावत या तो सीएम बनेगा या घर बैठेगा, कांग्रेस हाईकमान को हरदा ने दिया संदेश

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हल्द्वानी । अभी मतदान को 24 घंटे भी न बीते थे कि हरदा ने एक बार फिर सीएम बनूंगा या घर बैठूंगा के बयान से सबको चौंका दिया। चुनाव के बाद थोड़ी सियासी गर्मी कम हुई थी कि हरदा के बयान ने राजनीतिक गलियारे का पारा बढ़ा दिया। दरअसल, कांग्रेस महासचिव रावत काफी समय से स्वयं को पार्टी का चुनावी चेहरा घोषित करने की मांग उठाते आ रहे हैं, लेकिन कांग्रेस हाईकमान ने इसे अनसुना कर दिया था। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव समेत अन्य केंद्रीय नेता सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लडऩे की बात कहते रहे हैं। इसके बाद स्वयं 22 दिसंबर को हरीश रावत ने इंटरनेट मीडिया में पोस्ट कर मोर्चा खोल दिया। फेसबुक व ट्विटर पर की गई पोस्ट में रावत ने चुनाव के समय संगठन पर सहयोग के बजाय नकारात्मक भूमिका निभाने का सीधा आरोप मढ़ दिया। 

मंगलवार को लालकुआं से प्रत्याशी व पूर्व सीएम हरीश रावत ने पत्रकारों से कहा कि जनता का जनादेश मिलेगा तो वह सेवा को तत्पर हैं। उनसे पूछा गया कि मुख्यमंत्री बनने पर आपकी क्या राय है। तो हरदा अपने खास अंदाज में बोले, हरीश रावत या तो मुख्यमंत्री बन सकता है या फिर घर पर बैठ सकता है। इसके अलावा मेरे पास तीसरा कोई विकल्प नहीं रह गया है।मैं अपनी सोच का उत्तराखंड बनाऊंगा। जिसमे सभी सहयोगियों की सोच को समायोजित करूंगा। मैं पद के लिए अपनी सोच से समझौता नहीं कर सकता। न ही उसे छोड़ कर कुछ और काम कर सकता हूं। हरदा ने इस बयान से शीर्ष नेतृत्व के समक्ष भी अपनी इच्छा जाहिर कर दी है।

इससे पहले भी ऐसी बयानबाजी कर चुके हरदा

विधानसभा चुनाव की घोषणा से ठीक पहले 22 दिसंबर को हरीश रावत ने बड़ा धमाका किया था। इंटरनेट मीडिया में पोस्ट कर अपनी ही पार्टी को निशाने पर लेते हुए संकेतों में धमकी दे डाली कि इसी तरह का रुख रहा तो वह राजनीति से संन्यास भी ले सकते हैं। उधर, रावत के मीडिया सलाहकार व प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष सुरेंद्र अग्रवाल ने पार्टी के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव को भाजपा का एजेंट कहकर आग में और घी डाल दिया था।

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