घूसखोर पेशकार रिश्वत लेते रंगे-हाथ पकड़ा ,गिरफ्तार
एसपी विजिलेंस ने टीम गठित की और आरोपी पेशकार को 15 हजार रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया।
सरकार राजकीय कर्मचारी व अधिकायिों को पेटभर के वेतन दे रही है फिर भी इनकी नियत खराब है सबसे ज्याद भ्रष्टाचार प्रशासन , न्यायपालिका में है ।
न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी कहा कि रिश्वतखोरी के इस मामले से न्यायालयों में कार्यरत लोक सेवकों की छवि धूमिल हुई है और इस अपराध का प्रभाव समाज पर भी पड़ा है।
नैनीताल। अपर जिला न्यायाधीश प्रथम/विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम प्रीतू शर्मा की अदालत ने सात साल पहले 15 हजार रुपये रिश्वत लेते गिरफ्तार किए गए खटीमा तहसील के पेशकार सतपाल सिंह को भ्रष्टाचार का दोषी मानते हुए पांच साल के सश्रम कारावास और 30 हजार रुपये की अर्थदंड की सजा सुनाई है। अर्थदंड न देने पर आरोपी को तीन माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी कहा कि रिश्वतखोरी के इस मामले से न्यायालयों में कार्यरत लोक सेवकों की छवि धूमिल हुई है और इस अपराध का प्रभाव समाज पर भी पड़ा है।
अभियोजन पक्ष के अनुसार 27 मई 2014 को खटीमा के वार्ड एक निवासी मीरा सोनकर ने एसपी विजिलेंस हल्द्वानी से शिकायत की थी कि
उन्होंने अप्रैल 2012 में कृष्णा देवी और सनी से मकान को 9.50 लाख में स्टांप पेपर पर लिखा पढ़ी कर खरीदा था। जमीन के मूल स्वामी दरम्यान सिंह थे लेकिन बाद में दरम्यान सिंह के पुत्र राजेंद्र सिंह ने यह जमीन सुधा सोनकर जो कि शिकायतकर्ता की बड़ी बहन है, को बेच दी। सुधा सोनकर ने इस जमीन के संबंध में सिविल जज खटीमा के समक्ष वाद भी दायर किया, जो निरस्त हो गया। बाद में सुधा सोनकर ने खटीमा तहसील में दाखिल खारिज के लिए आवेदन किया, जिस पर मीरा सोनकर ने आपत्ति दर्ज की थी।
शिकायतकर्ता के अनुसार 27 मई 2014 को वह खटीमा तहसील पहुंची और वहां मौजूद तहसीलदार के पेशकार सतपाल सिंह निवासी महुवाखेड़ा काशीपुर से जमीन संबंधी मामले की तारीख के बारे में जानकारी मांगी।
शिकायतकर्ता का आरोप था कि जानकारी देने के एवज में पेशकार ने 15 हजार रुपये की रिश्वत मांगी और कहा कि यदि उन्होंने 30 मई 2014 को यह धनराशि नहीं दी तो वह उक्त भूमि का दाखिल खारिज सुधा सोनकर के नाम कर देंगे।
मीरा सोनकर की ओर से शिकायत मिलने पर एसपी विजिलेंस ने टीम गठित की और आरोपी पेशकार को 15 हजार रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद आरोपी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की अलग अलग धाराओं में मुकदमा दर्ज किया। शुक्रवार को पुलिस ने पेश की गई चार्ज शीट और अन्य पत्रावलियों के अवलोकन के बाद न्यायाधीश प्रीतू शर्मा ने आरोपी को भ्रष्टाचार का दोषी पाते हुए यह सजा सुनाई।