अल्मोड़ा में स्वास्थ व्यवस्था बदहाल: मेडिकल कालेज होने पर भी अस्पताल में डांक्टरों का अकाल
अल्मोड़ा । लोगों के दिल का मर्ज लगातार बढ़ रहा है, पर उनके उपचार के लिए किसी भी अस्पताल में दिल के डॉक्टर नहीं हैं और न ही जांच की सुविधा है। ऐसे में अस्पताल पहुंचे हार्ट अटैक के मरीजों को हायर सेंटर रेफर कर औपचारिकता निभाना मजबूरी है और वे उपचार के अभाव में दम तोड़ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग से मिले आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2022 से अब तक समय पर उपचार के अभाव में 22 मरीजों को जान गंवानी पड़ी है।
जिले में बेहतर उपचार उपलब्ध कराने के दावे कर करोड़ों रुपये खर्च कर मेडिकल कॉलेज खोला गया है। यहां बेस अस्पताल भी संचालित हो रहा है। पर यहां मरीजों के दिल का दर्द सुनने वाला कोई नहीं है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, बीते 21 माह में 192 मरीज हार्ट अटैक से जूझते हुए अस्पताल पहुंचे। कार्डियोलॉजिस्ट न होने से इनमें से गंभीर 96 मरीजों को हायर सेंटर रेफर किया गया। परिजन उन्हें हल्द्वानी लेकर रवाना हुए, लेकिन समय पर अस्पताल न पहुंचने पर 22 मरीजों ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। जिले की छह लाख की आबादी को बेहतर उपचार देने के लिए मेडिकल कॉलेज, बेस अस्पताल, जिला अस्पताल, महिला अस्पताल, रानीखेत उप जिला चिकित्सालय के साथ ही 9 सीएचसी संचालित हो रहे हैं। किसी भी अस्पताल में कॉडियोलॉजिस्ट तैनात नहीं है, इसकी मार दिल के मरीजों को सहनी पड़ रही है।
फिजिशियन करते हैं दिल के रोगियों का इलाज
कॉडियोलॉजिस्ट न होने से मरीज बेहाल हैं तो स्वास्थ्य विभाग लाचार है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के कार्डियोलॉजिस्ट न होने से फिजिशियन के भरोसे दिल के मरीजों का उपचार किया जा रहा है। महज ईसीजी के जरिए ही उनकी स्थिति का पता लगाया जा रहा है। इकोकार्डियोग्राफी और एंजियोग्राफी की सुविधा नहीं होने से गंभीर मरीजों को जांच और उपचार के लिए हायर सेंटर रेफर करना मजबूरी है।
अल्मोड़ा के साथ ही पिथौरागढ़, बागेश्वर के मरीज अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज पर निर्भर हैं। हैरानी की बात यह है कि करोड़ों रुपये से खोले गए इस मेडिकल कॉलेज में कॉडियोलॉजिस्ट का पद ही सृजित नहीं है। ऐसे में समझा जा सकता है कि जिले के सबसे बड़े अस्पताल में किस कदर दिल के मरीजों का उपचार हो रहा होगा।
बागेश्वर जिले कह बात करें तो यहां की चिकित्सा व्यवस्था बदहाल है कई बार जनप्रतिनिधियों व स्वास्थ मंत्री से क्षेत्र की स्वास्थ व्यवस्था के बारें में अवगत कराया लेकिन आज तक स्वास्थ मंत्री ने कोई कारगर कदम नहीं उठाये गये है । चिकित्सालय में विशेषज्ञों का अकाल पड़ है। न ही कोई जांच की कोई व्यवस्था नहीं है। दिल के रोगियों को हल्द्वानी ले जाने के अलावा कोई चारा नहीं है। जिले के सामुदायिक स्वाथ्य केंद्र, प्राथमिक अस्पताल तो छोड़िये, जिला अस्पताल में तक हृदयरोग विशेषज्ञ नहीं है। दिल के मरीजों के इलाज की व्यवस्था न होने से लोग परेशान रहते हैं। कई बार हार्ट अटैक पड़ने पर रोगी की जान पर बन आती है।
हाल के वर्षों में हृदयाघात से कई लोगों की मृत्यु भी जिले में हो चुकी है। हालांकि इसका आंकड़ा स्वास्थ्य विभाग के पास नहीं है। सीएमओ डां. डीपी जोशी कहते हैं कि जिला अस्पताल में हृदयरोग विशेषज्ञ की तैनाती के लिए स्वास्थ्य महानिदेशालय से लगातार पत्राचार किया जा रहा है।