कांडा के गांवों में खड़िया खनन से आई दरारों . ध्वस्त हुए मकानों के मामले की सुनवाई 28 को

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नैनीताल l हाईकोर्ट ने बागेश्वर जिले की तहसील कांडा के कई गांवों में खड़िया खनन से आई दरारों के मामले में स्वतः संज्ञान लेकर पंजीकृत की गई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के बाद मामले की अगली सुनवाई के लिए 28 जुलाई की तिथि नियत की है।

मुख्य न्यायाधीश जी नरेंदर एवं न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार पूर्व में कांडा तहसील के ग्रामीणों ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजकर कहा था कि अवैध खड़िया खनन से उनकी खेतीबाड़ी, घर, पानी की लाइनें चौपट हो चुकी हैं। वहां 147 खड़िया की खदान हैं। वहां पर पोकलैंड जैसी भारी मशीनों से खनन हुआ है। जिससे वहां दरारें आई हैं।

बागेश्वर का जिला प्रशासन व ख़ान अधिकारी इस तबाही के जिम्मेदार है

पूर्व में कोर्ट ने राज्य स्तरीय पर्यावरण अथॉरिटी उत्तराखंड के चेयरममैन को कोर्ट में पेश होने के निर्देश देते हुए पूछा था कि पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए व खनन के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। गड्ढों को भरने के संबंध में जिला खान अधिकारी ने बताया था कि उत्तराखंड भूजल प्राधिकरण को एजेंसी बनाया गया है जबकि याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि उत्तराखंड भूजल प्राधिकरण का गठन नहीं हुआ है। जिस पर कोर्ट ने कहा कि गड्ढे भरने के संबंध में जिला खान अधिकारी व उत्तराखंड के सचिव सिंचाई के नामित भूजल एक्सपर्ट कार्य करेंगे जिसकी निगरानी केन्द्रीय भूजल बोर्ड और केन्द्रीय भूतत्व सर्वे की मौजूदगी में होगा।

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