आरक्षित वन क्षेत्र में कुकुरमुत्ते की तरह कैसे उग गई मजारें ,वन विभाग क्यों रहा मौन ?

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रामनगर। कॉर्बेट, कालाढूंगी फॉरेस्ट में कुकुरमुत्ते की तरह कैसे उग गई मजारें ? पुलिस वन विभाग की गोपनीय रिपोर्ट शासन को मिली, क्या सोची समझी साजिश के तहत कॉर्बेट सिटी रामनगर को मजार जिहाद से घेरा गया ?उत्तराखंड में “मजार जिहाद ” को लेकर सरकार द्वारा करवाए गए एक सर्वे में नैनीताल जिले के रामनगर क्या, कालाढूंगी,कॉर्बेट पार्क के जंगलों में दर्जनों की संख्या में अवैध मजारों के बन जाने का खुलासा हुआ है।

राम नगर और आसपास मुस्लिम आबादी जो राज्य बनने के दौरान पन्द्रह हजार भी नही थी बढ़ कर पचपन हजार से ज्यादा हो चुकी है।.
जानकरी के मुताबिक कॉर्बेट सिटी रामनगर मुख्य रूप से गढ़वाल और कुमायूं की व्यापारिक मंडी है और आसपास के गांव लीची आम के फलों के बगीचों के लिए जाने जाते रहे है। संपन्न क्षेत्र होने की वजह से यहां के बगीचों के फलों को तोड़ने और उन्हें बाजार तक लेजाने के कारोबार और .और कोसी नदी में खनन मजदूरी के लिए यूपी के मैदानी क्षेत्रों के मुस्लिम यहां आए और धीरे धीरे यही कब्जे कर बसते चले गए। लकड़ी और जड़ी बूटी की मंडी के रूप में विकसित राम की नगरी अब पूरी तरह से सामाजिक आर्थिक और धार्मिक रूप से मुस्लिम आबादी वाली हो चुके है। मुस्लिम आबादी ने अपने पैर जमाने के लिए यहां मस्जिदे तो बनाई लेकिन यहां बड़ी संख्या में अवैध रूप से मजारे भी बना कर अपने कब्जे कर लिए, इस बारे में एक खुफिया रिपोर्ट शासन को भेजी गई है जिसमे लिखा गया है कि शहर राम नगर और आसपास जनसंख्या असंतुलन का खेल .हो चुका है। राम नगर और आसपास मुस्लिम आबादी जो राज्य बनने के दौरान पन्द्रह हजार भी नही थी बढ़ कर पचपन हजार से ज्यादा हो चुकी है।नैनीताल जिले रामनगर और कालाढूंगी का वन क्षेत्र में अतिक्रमण कर जिस तरह से मजारे बनाई गई है वो मजार जिहाद का हिस्सा बताई जा रही है।.
पुलिस खुफिया विभाग ने शासन को भेजी अपनी रिपोर्ट में वन विभाग की कार्य प्रणाली पर ये सवाल भी उठाए है कि कैसे विभागीय लापरवाही की वजह से उत्तराखंड से बाहरी प्रदेशों के लोगो ने जंगलों में आकर वन भूमि पर कब्जे कर मजारे बना ली और बकायदा पक्के निर्माण कर इस बारे में पुलिस के द्वारा कॉर्बेट पार्क के भीतर बिजरानी जोन में पानियासेल मजार का उदाहरण दिया कि जिस टाइगर रिजर्व के जंगल में आम आदमी के जाने पर मनाही है वहां कॉर्बेट प्रशासन बाहरी लोगो को जाने देता रहा और यहां उर्स भी करवाता रहा,कॉर्बेट प्रशासन ने यहां बिजली भी दे रखी है , हालांकि पिछले दो सालों से होली के दिन लगने वाले उर्स को कॉर्बेट प्रशासन ने कोविड की वजह से अनुमति नहीं दी। कॉर्बेट के जंगल में ढेला रेंज में स्वाल्दे में सड़क किनारे कालू सैय्यद बाबा की मजार पिछले कुछ सालो में कैसे बन गई? जबकि कालू सैय्यद की दर्जनों मजारे पहले से इन आरोपों के घेरे में है कि एक पीर को कितनी जगह दफनाया गया होगा?….
वन विभाग की जमीन पर राम नगर के पिरुमदारा मार्ग पर हम्मन शाह बाबा की मजार का भी जिक्र शासन को भेजी रिपोर्ट में किया गया है।इसी तरह से तुमड़िया खत्ता मालधन में वन भूमि पर कब्जा कर बाबा भूरे शाह के नाम से एक नही तीन तीन मजारे एक साथ बना दी गई है। मालधन क्षेत्र में शिवनाथपुर में एक साथ कई मजारे फॉरेस्ट लैंड में बनाई गई है जोकि उत्तराखंड राज्य बनने के बाद अस्तित्व में आई इनमे तरबेज बाबा की मजार, जलाल शाह बाबा की मजार में तो चौदह मजारे एक साथ बना दी गई और फॉरेस्ट की करीब तीस एकड़ जमीन पर अवैध एकड़ जमीन पर अवैध कब्जे कर पक्के निर्माण कर लिए गए। यहीं पास में बसई में शाहमदार मजार को लेकर हिंदू और मुस्लिम समुदाय में विवाद भी हो चुका है।
ऐसे शुरू होता है मजार जिहाद
पुलिस और वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अवैध मजारे कोई एक दिन में नही बन जाती इसके लिए बकायदा पहले रेकी की जाती है, जंगल में ऐसी सुनसान जगह देखी जाती है जोकि मुख्य मार्ग से नही दिखती हो, पहले मुख्य सड़क के पेड़ो पर …पर हरे कपड़े बांध दिए जाते है ,फिर रास्ते में पत्थरों को रख कर चूना लगा कर रास्ता बना दिया जाता है। जहां मजार बनानी होती है वहां पहले मिट्टी का टीला बनाया जाता उस पर पत्थर आदि रख कर चादर डाल कर अगरबत्ती , दीया जलाया जाता है, जब इस पर कोई विरोध नहीं तो पहले एक झोपड़ी डाल दी जाती है एक एक दो लोग आकर रहने लगते है, उत्तराखंड में अवैध मजारे बनाने के लिए बरेलवी समुदाय के लोग आते है,जब झोपड़ी नही हटती तो धीरे धीरे मजार का चबूतरा बनता है और फिर झोपड़ी पक्की इमारत में तब्दील हो जाती है। . ये कब्जेदार बड़ी चालाकी से आसपास के हरे पेड़ों की जड़ों में चूने का पानी डालते रहते है ताकि पेड़ सूख जाए।.
कालाढूंगी बाजपुर मार्ग पर फॉरेस्ट की जमीन पर सबसे ज्यादा कब्जे कर अवैध मजारे बनाई गई जोकि पिछले दस सालो में बनी इनमे पडलिया खत्ते में सैय्यद निराले मियां की मजार ने एक एकड़ से ज्यादा जमीन पर कब्जा कर पक्का निर्माण कर लिया है .और यहां दर्जनों लोगो ने रहना शुरू कर दिया है। गडप्पू बैरियर से तीन किमी आगे और करीब आधा किमी जंगल में दादा सरकार बाया बानी अखदून शाह की मजार हाल ही में दो एकड़ में अवैध कब्जा कर बन गई और यहां बड़े बड़े कमरे बन गए यहां जंगल के बेशकीमती सागौन के बड़े बड़े पेड़ो को चूना डाल सूखा कर काट डाला गया, यहां वन भूमि पर कुआं खोद दिया गया और सोलर पम्प भी लगा दिया यहां शैतान को बांधने का ,झाडफूंक अंध विश्वास का धंधा चल रहा है और वन विभाग सोया हुआ है।.कालू सैय्यद बाबा की एक और मजार गडप्पू वन विभाग की चौकी से आधा किमी भीतर फॉरेस्ट में बना दी गई है। दिलचस्प बात यही है कि आखिर कालू सैय्यद पीर बाबा तो एक ही स्थान पर दफनाए गए होंगे फिर उनकी एक दर्जन से ज्यादा मजारे कैसे बनती शहर राम नगर और आसपास जनसंख्या असंतुलन का खेल हो चुका है।

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