बवासीर और फिस्टुला में अंतर कैसे करें? आचार्य बालकृष्ण से जानिए पाइल्स के रामबाण इलाज

ख़बर शेयर करें

हरिद्वार । बवासीर में ज्यादा खून बहने से शरीर में खून की कमी हो सकती है। व्यक्ति कमजोर महसूस करने लगता है। लंबे समय तक इस बीमारी के बने रहने और इलाज के अभाव में यह कोलोरेक्टल कैंसर का कारण भी बन सकता है। इसलिए लक्षण दिखते ही बवासीर का इलाज कराएं। आइए आचार्य बालकृष्ण से घरेलू उपचार के साथ बवासीर और फिस्टुला में अंतर समझते हैं।
आचार्य बालकृष्ण के मुताबिक पाइल्स को आयुर्वेद में ‘अर्श’ कहा गया है। यह तीन दोषों दृ वात, पित्त और कफ के दूषित होने के कारण होता है। इसलिए इसे त्रिदोषज रोग भी कहा जाता है। जिन बवासीर में वात या कफ प्रधान होता है, वे सूखे होते हैं। इसलिए मांसल कोशिकाओं से कोई स्राव नहीं होता है। अर्श जिसमें रक्त या पित्त या रक्त पित्त प्रधान होता है, वे आर्द्र अर्श होते हैं। इसमें खून बह रहा है। सूखे हुए अर्श में दर्द अधिक होता है।
बवासीर होने के कारण
आचार्य बालकृष्ण के मुताबिक कब्ज भी बवासीर का एक प्रमुख कारण है। कब्ज में मल सूखा और सख्त होता है, जिसके कारण व्यक्ति को मल त्याग करने में कठिनाई होती है। बहुत देर तक स्थिर बैठना पड़ता है। इस कारण वहां की रक्त वाहिकाओं पर दबाव पड़ता है और वे फूल कर लटक जाती हैं, जिन्हें मस्से कहते हैं। वहीं कुछ लोगों में यह बीमारी पीढ़ी दर पीढ़ी देखा जाता है, लेकिन कुछ में अन्य कारणों से भी होता है, जो ये हैंः
अवसाद
शौच ठीक से ना होना।
धूम्रपान और शराब का सेवन।
बवासीर होने का खतरा रहता है।
फाइबर युक्त भोजन का सेवन न करना।
आलस्य या शारीरिक गतिविधि कम करना।
अधिक तला एवं मिर्च-मसाले युक्त भोजन करना।
महिलाओं में प्रसव के दौरान गुदा क्षेत्र पर दबाव पड़ने से
पाइल्स का समय पर न किया जाए इलाज तो बन सकता है फिस्टुला, आचार्य बालकृष्ण से जानिए घरेलू नुस्खे
बवासीर और भगन्दर में अन्तर
बवासीर में गुदा की रक्त वाहिकाओं और मलाशय के निचले हिस्से में सूजन आ जाती है। यह लंबे समय तक कब्ज और लंबे समय तक शौच में बैठने के कारण होता है।इसके अलावा मोटापे या गर्भवती महिलाओं को भी इसका खतरा रहता है। इसमें गुदा या मलाशय में मस्से बन जाते हैं, जब ये फूटते हैं तो उनमें से खून निकलता है और दर्द होता है।
फिस्टुला में मस्से नहीं होते हैं। फिशर में एक घाव ट्यूब बनता है, जो आंतरिक उद्घाटन और गुदा के बाहर होता है।
फिस्टुला उन लोगों में होता है जिनके गुदा के पास फोड़ा होता है। फोड़े-फुंसी में कई दाने बन जाते हैं। ऐसे में अगर बीमार व्यक्ति उसके साथ छेड़खानी करे तो वह फिस्टुला का शिकार हो जाता है।
उसमें से खून और मवाद निकलता रहता है। प्रारंभिक अवस्था में इसमें मवाद और खून की मात्रा कम होती है। इसलिए, यह रोगी के कपड़ों पर दाग के रूप में संकेत देता है। धीरे-धीरे रिसाव बढ़ जाता है और रोगी को खुजली, बेचौनी और दर्द महसूस होने लगता है।
सावधान! इन 5 कारणों से हो सकती है पाइल्स की समस्या; जानिए बचाव के तरीके
मट्ठा और अजवायन के सेवन से पाइल्स का इलाज
आचार्य बालकृष्ण के मुताबिक मट्ठा बवासीर रोग में अमृत के समान है। एक गिलास छाछ में एक चौथाई अजवायन पाउडर, और एक चम्मच काला नमक मिलाकर इसका रोजाना दोपहर में खाने के दौरान सेवन करने से पाइल्स को ठीक करने में मदद मिलती है। बालकृष्ण का कहना है की यह बवासीर से आराम पाने का सबसे अच्छा घरेलू उपचार है।
बवासीर के मरीजों का ऐसा होना चाहिए डाइट प्लान पाइल्स के इलाज के लिए पपीता और केला
आचार्य बालकृष्ण के मुताबिक रात के भोजन में पपीता खाने से कब्ज नहीं होगी। वहीं सुबह मल त्याग करते समय पीड़ा नहीं होगी। आयुर्वेदाचार्य के मुताबिक पके केला को उबालें, और दिन में दो बार सेवन करें। यह बावसीर में फायदा देता है।

You cannot copy content of this page