अगर प्रशासन ने फैसला नहीं लिया तो पुराने ऑटो-विक्रम के परमिट रद्द हो सकतें हैं ।

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देहरादून ।ऑटो और विक्रम संचालकों को मार्च 2023 तक हर हाल में दस साल से ज्यादा पुराने ऑटो-विक्रम सड़क से हटाने होंगे। डीजल-पेट्रोल के परमिट पर सीएनजी, इलेक्ट्रिक या फिर बीएस-6 ऑटो-विक्रम खरीद सकते हैं। यदि संचालक मार्च तक अपने परमिट परवर्तित नहीं करते हैं तो उनके परमिट रद किए जाएंगे और फिर नये लोगों को परमिट दिए जाएंगे।

नहीं बदलने पर परमिट होगी रद्द
संभागीय परिवहन प्राधिकरण (आरटीए) ने देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश, रुड़की और विकासनगर शहर में डीजल और पेट्रोल से चलने वाले ऑटो-विक्रम को बाहर करने का फैसला लिया है। इसमें दस से ज्यादा पुराने ऑटो-विक्रम को मार्च 2023 और बाकी बचे ऑटो-विक्रमों को दिसंबर 2023 तक का समय दिया गया है। डीजल और पेट्रोल के परमिट पर संचालकों को सीएनजी, इलेक्ट्रिक या फिर बीएस-6 मानक वाले ऑटो-विक्रम खरीदने का विकल्प दिया है। लेकिन यदि संचालक तय समय तक ऑटो-विक्रम नहीं बदलते हैं तो उनके परमिट रद कर किए जाएंगे। इसके बाद नये लोगों को परमिट दिए जाएंगे। मार्च के बाद दस साल पुराने ऑटो-विक्रम के संचालन पर पूरी तरह से पाबंदी लगाने की तैयारी है।

पंजीकृत हैं 8690 ऑटो-विक्रम
देहरादून और हरिद्वार जिले में 8690 विक्रम और ऑटो पंजीकृत हैं। इसमें 3103 विक्रम और 5587 ऑटो-रिक्शा हैं। परिवहन अधिकारियों के अनुसार, इसमें 50 फीसदी वाहन दस साल पुराने हैं, जो मार्च 2023 तक सड़क से बाहर होंगे। बाकी ऑटो-विक्रमों को दिसंबर 2023 तक का समय दिया है।

देहरादून आरटीओ (प्रशासन) सुनील शर्मा ने कहा,आरटीए की बैठक में कई फैसले हुए हैं। सभी लागू करवाए जाने हैं। शहर को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए हर हाल में सीएनजी और ऐसे वाहनों को बढ़ावा जाएगा, जो कम प्रदूषण करते हों।

ऑटो-रिक्शा यूनियन ने दी आंदोलन की चेतावनी
देहरादून। दून ऑटो-रिक्शा यूनियन ने दस साल पुराने ऑटो-रिक्शा वाहनों को बाहर करने के लिए 2025 तक समय मांगा है। यूनियन ने चेताया कि यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो संचालक आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। यूनियन के अध्यक्ष पंकज अरोड़ा ने कहा कि आरटीए ने ऑटो-रिक्शा को बाहर करने का एक तरफा फैसला लिया है। इसके साथ ही ऑटो-रिक्शा संचालन की परिधि 25 से बढ़ाकर 40 किमी करने की मांग की है।

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