अगर आपके भी घर के मेन दरवाजे पर लगी है भगवान गणेश की मूर्ति तो… जान लें ये दुष्परिणाम
वास्तुशास्त्र के जानकार अनुज शर्मा के अनुसार यह दोनों ही वास्तु के हिसाब से गलत है। गणेश को कभी घर के बाहर द्वारपाल की भूमिका में नहीं रखना चाहिए। भगवान गणेश को अपने पूज्यस्थल पर सर्वप्रथम विराजित करना चाहिए
हल्द्वानी । बहुत से लोग अपने घर के बाहर मुख्य द्वार पर प्रथम पूज्य गणेश भगवान के चित्र या प्रतिमा को लटका देते हैं। कुछ लोग गणेश जी की पीठ घर की ओर न रहे, इसे देखते हुए मुख्यद्वार के अंदर भी गणेश जी की एक मूर्ति लगा देते हैं। वास्घ्तुशास्त्र के जानकार अनुज शर्मा के अनुसार यह दोनों ही वास्तु के हिसाब से गलत है। गणेश को कभी घर के बाहर द्वारपाल की भूमिका में नहीं रखना चाहिए। भगवान गणेश को अपने पूज्यस्थल पर सर्वप्रथम विराजित करना चाहिए। द्वार पर रखने से इसके दुष्परिणाम भी आ सकते हैं।
यह भी है एक मान्यता
अनुज शर्मा बताते हैं कि धर्मग्रंथ में इसका विवरण है जिसे हर कोई जानता है। जिसमें एक बार पार्वती ने कहा कि वह स्नान करने जा रही हैं, तब तक उन्होंने गणेश जी से कहा कि वह किसी को भी भीतर मत आने देंगे। उसके बाद गणेश जी द्वारपाल की तरह मुख्य द्वार पर खड़े रहे। भगवान शिव को भी उन्घ्होंने अंदर प्रवेश नहीं करने दिया। जिससे भगवान शिव क्रोधित हो गए। पिता और पुत्र में मतभेद हो गया। इसके बाद से यह मान्यता हो गई कि गणेश जी को मुख्यद्वार पर नहीं रखना चाहिए।
वास्तु भी एक विज्ञान है
वास्तु के जानकार की माने तो वास्तुशास्त्र के एक विज्ञान है, लेकिन जानकारी के अभाव में कई लोग तरह तरह के टोटके और प्रयोग करने लगते हैं। गणेश जी हमारें लिए सर्वप्रथम पूजनीय हैं। द्वार पर उन्हें लगाकर एक तरह से हम उनकी भूमिका द्वारपाल की कर देते हैं। इसके अलावा घर के बाहर या अंदर दोनों जगह उनकी पीठ नहीं दिखनी चाहिए इससे भी गलत प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए गणेश जी की प्रतिमा को घर के भीतर उचित स्घ्थान पर रखना चाहिए।
क्या हो सकते हैं दुषप्रभाव
जानकारों का मानना है कि द्वार पर भगवान गणेश की मूर्ति लगाने से परिवार में अनेक समस्याएं आ सकती है। परिवार के सदस्यों में आपसी मतभेद हो सकता है। साथ ही दो लोगों के बीच में मतभेद भी बन सकता है। इसके अलावा भगवान गणेश भी आपसे रुष्ठ हो सकते हैं। जानकारों का कहना है कि गणेश भगवान को सर्वप्रथम पूज्यनीय इसलिए इनको द्वार पर रखना गलत है।