धरने पर बैठे 9 जिला पंचायत सदस्यों की मांगों की अनदेखी ,वार्ता विफल

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लगातार 14 वें दिन धरने पर बैठे जिला पंचायत उपाध्यक्ष समेत 9 जिला पंचायत सदस्यों की मांग धरी की धरी रह गई है। धरने पर बैठे सदस्यों की सबसे अहम् मांग जिला पंचायत अध्यक्ष के चेहते सदस्यों के द्वारा कराये गये विकास कार्यो की जांच उच्च स्तर पर मीडिया के समक्ष की जांय लेकिन जिला पंचायत अध्यक्षा व जिला प्रशासन मानने को तैयार ही नहीं है । आखिर विकास कार्यो की जांच कराने में जिला प्रशासन को क्या समस्या आ रही है। पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश सिह ऐठानी का साफ कहना है कि जो भी विकास कार्य हुए है उनकी गुणवता व मानको के अनुसार कार्य हुआ है या नहीं ,वित्तीय अनियमितताएं उजागर हुई है । आखिर जनता के धन का दुरूपयोग हुआ या नहीं निष्पक्ष जांच हो । जांच होनी भी चाहिए चाहे वह किसी भी पद पर हो इस मामले में जिला प्रशासन ने पहल करनी चाहिए कि कार्यो की जांच हो ताकि भ्रष्टाचार पर ब्रेक लग सके ।

बागेश्वर। ग्रामीण जनता अधिकतर ब्लाक स्तर की योजनाओं के बारे में जानकारी होती है ,जिला पंचायत में क्या योजनाएं गांव के विकास के लिए चलाई जा रही है मालूम नहीं होता जिसका फायदा जिला पंचायत अध्यक्ष के खास सदस्य या फिर सत्ता में जिसकी सरकार होती है वे ही सदस्य फायदा लेते है। उन्हीं को ज्यादा कार्य मिलता है। यह फैक्ट है और वे राजनैतिक आड़ में अपनी मनमाने कार्य करते है और उनके कार्यो की जांचे होती भी नहीं क्योंकि उनको राजनैतिक संरक्षण प्रदान होता है। जिला पंचायत सदस्यों से जिला पंचायत अध्यक्ष की वार्ता विफल हो गई है।
वर्तमान में जिला पंचायत अध्यक्ष केवल अपने ही लोागें को काम देने की बात को लेकर अन्य सदस्य गुस्से में है । गुस्सायें सदस्यों ने यह भी आरोप लगाया है कि बिना काम के ही चेहतों को भुगतान किया जा रहा है जो जनता के धन का दुरूपयोग है। इसी को लेकर जिला पंचायत सदस्य जिला पंचायत परिसर में अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है, साथ ही अनियमितताओं की जांच की मांग उठायी है।
यहां मंगलवार को जिला पंचायत सदस्य जिला पंचायत परिसर पहुंचे और नारेबाजी के साथ धरने पर बैठ गए हैं। 14 दिन पूरे हो गये है ,वार्ता में कोई नतीजा नहीं निकला ।उन्होंने कहा कि प्रतिदिन अनिश्चितकालीन धरना दिया जाएगा। पूर्व जिपं अध्यक्ष हरीश ऐठानी ने कहा कि जिला पंचायत अध्यक्ष विकास कार्यो निर्णय अपने विवेक से न लेकर सारे कार्य रिमोर्ट कंट्रोल दूसरे हाथों से हो रहे है। हरीश ऐंठानी ने कहा कि यह पहली बार जिपं के इतिहास में सदस्यों का विरोध सदन से सड़क पर आया है। अपने समर्थकों को भुगतान किया जा रहा है। योजनाएं भुगतान के बाद व पहिले धरातल पर कोई कार्य नहीं दिखाई दे रहा है। उन्होनेें पिडर पुल से डोला तक सड़क का निर्माण का हवाला दिया कहा वह चलने लायक तक नहीं है। फिर सड़क के लिए तीन लाख रुपये की धनराशि स्वीकृत कर दी गई है। अपर मुख्य अधिकारी ने तीन दिन का समय दिया था। लेकिन वह भी अब नदारद हैं। जिपं सदस्य गोपा धपोला ने कहा कि सदन में 20 प्रतिशत विवेकाधीन कोष की बात हुई थी। फिर 30 प्रतिशत अधिक कर दिया गया और पांच प्रतिशत मुख्यमंत्री हेल्पलाइन में व्यय किया जा रहा है। जिपं अध्यक्ष बजट का 55 फीसद अपने पास रख रहे हैं। ऐसे में क्या खाक विकास कार्य होगें उनकी गुणवता देखने लायक हैं। अधिशासी अभियन्ता अपनी जिम्मेदारी नहीं समझ रहे है। उन्होंने कहा कि जिपं की अनियमितताओं की जांच होनी चाहिए और सभी सदस्यों को समान रूप से सम्मान मिलना चाहिए। इस दौरान जिपंस रूपा कोरंगा, सुरेंद्र खेतवाल, पूजा देवी, वंदन ऐठानी, इंद्रा परिहार, रेखा देवी, जिपंउ नवीन परिहार, पूर्व विधायक ललित फर्स्वाण, गिरीश कोरंगा आदि मौजूद थे।
उधर जिपं अध्यक्षा बसन्ती देव ने आंदोलन को राजनीति से प्रेरित बताते हुए विकास कार्य को बाधित करने का भी आरोप लगाया। धरने में बैठे जिला पंचायत सदस्यों को उठाए जा रहे सवालों के जवाब दिए। उन्होंने कहा कि जिपं में किसी भी प्रकार की अनियमितता नहीं है। पंचायीराज अधिनियम के अनुसार सदन चलाया जा रहा है। नियोजन समिति का कार्यकाल दो वर्ष का होता है। समिति ने बजट सभी जिला पंचायत सदस्यों की सामान्य बैठक में जारी किया है। अध्यक्ष ने 55 प्रतिशत बजट विवेकाधीन से बांटने का आरोप भी सही नहीं है।

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