2022 ,सत्ता संग्राम में प्रियंका की गूंज यूपी से उत्तराखंड तक ,उत्तराखंड कांग्रेस को मिलेगी नई शक्ति

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रूद्रपुर । तराई के 21 वर्षों के इतिहास में एक भी महिला उम्मीदवार यहां से जीत हासिल नहीं कर सकी हैं। ऐसे में 40 फीसदी महिलाओं को टिकट देने का दांव चलने से उत्तराखंड कांग्रेस भी बचना चाहेगी।

कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने यूपी चुनाव में ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ का नारा देते हुए विधानसभा चुनाव में 40 फीसदी सीटें महिलाओं के नाम आरक्षित करने की बात करके विपक्ष के साथ उत्तराखंड में कांग्रेस की मुश्किलें भी बढ़ा दी हैं।
दरअसल, तराई में एक भी महिला उम्मीदवार यहां से जीत हासिल नहीं कर सकी हैं। ऐसे में 40 फीसदी महिलाओं को टिकट देने का दांव चलने से उत्तराखंड कांग्रेस भी बचना चाहेगी। कांग्रेस ने अगर यह दांव चला तो विपक्ष के लिए भी टिकट बांटने में मुश्किल आनी तय है।

उत्तराखंड बनने के बाद पहली बार 2002 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सितारगंज सीट से बीना आर्या और खटीमा से सुषमा राणा को चुनावी समर में उतारा था। दोनों ही उम्मीदवार जीत हासिल नहीं कर सकीं। यही वजह रही कि 2007 के विधानसभा चुनाव में उक्रांद छोड़कर किसी भी दल ने यहां की नौ सीटों से महिला प्रत्याशी को टिकट देने का जोखिम नहीं उठाया। उत्तराखंड क्रांति दल ने काशीपुर सीट से रेखा चौधरी को टिकट दिया लेकिन वह अपनी जमानत भी नहीं बचा पाईं थीं। 2012 के विधानसभा चुनाव में परिसीमन के बाद सितारगंज से अलग नानकमत्ता विधानसभा बनी तो सपा ने अनुसूइया राणा पर भरोसा जताया पर मतदाताओं के भरोसे पर वह भी खरी नहीं उतरीं। 2017 के विस चुनाव में कांग्रेस ने सितारगंज सीट पर बंगाली कार्ड खेलते हुए जिला पंचायत सदस्य रहीं मालती विश्वास को प्रत्याशी बनाया।

नानकमत्ता सीट पर आम आदमी पार्टी ने सुनीता राणा पर दांव खेला, लेकिन दोनों ही प्रत्याशी जीत दर्ज नहीं कर सकीं। गौर करने वाली बात यह है कि उत्तराखंड बनने के बाद चार विधानसभा चुनाव में तराई से एक बार भी महिला उम्मीदवार को जीत नसीब नहीं हुई है।
इधर, यूपी में कांग्रेस की कमान संभाल रही प्रियंका गांधी वाड्रा ने यूपी में 40 फीसदी महिला उम्मीदवारों को लड़ाने का दांव खेलकर उत्तराखंड की सियासत में भी महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के मुद्दे को बल दे दिया है। बीते दिनों जिले भर की सीटों पर रायशुमारी करने राजस्थान से पहुंचे कांग्रेस के नैनीताल, ऊधम सिंह नगर लोकसभा क्षेत्र पर्यवेक्षक राजेंद्र यादव के सामने जब यह सवाल उठा तो उन्होंने सीधे पार्टी हाईकमान पर फैसला छोड़ दिया। इससे लगता है कि कांग्रेस हाईकमान यूपी की तरह उत्तराखंड में भी प्रियंका के ‘लड़की हूं लड़ सकती हूं’ के नारे को बुलंद कर सकती है। पर सवाल यह है कि क्या प्रदेश हाईकमान जमीनी हकीकत और इतिहास को देखते हुए 70 सीटों में से 40 फीसदी सीटें यानी 28 सीटें महिलाओं को देने का दांव चलेगा या केंद्रीय नेतृत्व से मनुहार करेगा कि उत्तराखंड में इस दांव से फिलहाल परहेज किया जाए। अभी तक हुए विधानसभा चुनावों में प्रदेश में किसी भी पार्टी ने महिलाओं को 15 फीसदी टिकट भी मुश्किल से बांटे होंगे।

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