21 साल में उत्तराखंड के नेता हजारपति से करोडपति कैसे बन गए सत्य हमेशा कड़वा होता है: विनोद घड़ियाल: उत्तराखंड राज्यआन्दोलनकारी

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हल्द्वानी आम आदमी के खाते में चंद पैसों की आमद भी बैंकों के लिए तहकीकात का कारण बन जाती है, लेकिन हमारे माननीयों की संपत्ति में हो रही बेतहाशा वृद्वि खबरों में भी जगह नहीं पाती। हालांकि संपत्ति में बढ़ोतरी निजी मामला है, लेकिन अगर किसी जनप्रतिनिधि की संपत्ति कुछ ही वर्षों में लाख से बढ़कर करोड़ रुपये हो जाए तो यह आंकड़ा अचरज में डालने वाला है। एक आम आदमी कैसा भी व्यापार करे उसे हजार को लाख में बदलने में वर्षों लग जाते हैं, जबकि हमारे माननीय महज एक बार के प्रतिनिधित्व में लाख को करोड़ में बदलने का माद्दा रखते हैं

विनोद घड़ियाल उत्तराखंड राज्य आन्दोलनकारी ने कहा कि किन मुददों को लेकर हमने लड़ाई लड़ी थी आज जो भी सत्ता में बैठे उन्होनें प्रदेश का निमार्ण करने बजाय दोनों हाथों से प्रदेश को लूटा । सत्ता उन्हीं के हाथों में आई जो अलग प्रदेश का विरोध कर रहे थें आज स्थिति यह है कि कर्मचारियों को वेतन देने के लिए लाले पड़ रहे है। यह सत्य है उन्होनें कहा कि किसी भी मीडिया ने इन नेताओं के खिलाफ आवाज नहीं उठाई उन्होंनें इन लूटेरों को लूटने दिया हमने तो सुंदर ,समृद्वि, रोजगारपरक ताकि कोई यहां से पलायन न करें ,अपनी प्रदेश की संपदा को रोजगारपरक बनाकर साथ ही गलत दोहन न हो यही उत्तराखंड का सपना देखा था लेकिन सपना सपना ही रह गया । माफियाओं के हाथों यहां की संपदा लूट चुकि है। यहां की जमीनें बाहरी लोगों का कब्जा हो चुका है। उत्तराखंड बनाने में इन लोगों का कोई योगदान नहीं है जो सत्ता का भोग कर रहे है।
यदि आप विधायक, सांसद और मंत्री बन जाते हैं तो देखते ही देखते मालामाल कैसे हो जाते हैं? इसका कोई संतोषजनक जवाब हमारे नेताओं के पास नहीं है। ऐसा नहीं है कि सभी नेता भ्रष्ट और बेईमान होते हैं। कई ऐसे भी हैं जिन्होंने सार्वजनिक जीवन में मिसाल भी पेश की है, पर इनकी संख्या बहुत कम है। इसी संदर्भ में सर्वाेच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से पूछा है कि जनप्रतिनिधियों की संपत्ति में बेतहाशा बढ़ोतरी पर नजर रखने के लिए अब तक कोई स्थायी निगरानी तंत्र क्यों नहीं बना? आयकर विभाग मुंह क्यों छुपाता है ?आयकर विभाग तो इनके बंग्लों में घुसने की हिम्मत नहीं होती है। आयकर विभाग के अध्किारी तो उन लोगों कों वेवजह परेशान करती है जो अपनी मेहनत से कमा रहे है उनसे पूछगें कहां आया इतना धन , उन लोगों से नहीं पूछगें जो छमाही में ही लाख का करोड़ बना देते है । उत्तराखंड के मंत्रीयों को ही देख्ेा पहिले ये क्या ठेरे ,अब इनके पास इतना बेतहासा चल व अचल संपत्ति कहां से आई । इस आयकर विभाग भी चुप्पी साधी है जो इनके खिलाफ बोलता है वह देशद्रोही हो जाता है। उन्हें उल- जलूल मामलों में फंसा देते है। इन पार्टी के नेताओं ने उत्तराखंड के जल ,जंगल ,गांड ,गघेरे सब कुछ डकार गए जो बचें है तो गांव की जनता ने विरोध करके सुरक्षित है ,वहां भी कभी गांव के लोगों पर गंभीर आरोपों में फंसाकर वहां के गांड़ गधेरो पर कब्जाकर खनन माफिया उजाड़ देगें। अगले विधान सभा चुनाव में भाजपा व कांग्रेस का बहिष्कार करोगें तभी देवभूमि बच पायेगेंगी ।

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