बागेश्वर उपचुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को दिखाया आयना ,अब लोकसभा चुनाव में दिखायेगी सत्ता से बाहर का रास्ता

ख़बर शेयर करें

देहरादून । लोकसभा चुनाव में भाजपा को कड़ी चुनौती देने के लिए कांग्रेस नई रणनीति के साथ मैदान में नजर आएगी। पार्टी बागेश्वर उपचुनाव की तरह ऐसे चेहरों पर दांव लगा सकती, जिनका चुनाव क्षेत्र में बड़ा जनाधार है, बेशक वे कांग्रेस पृष्ठभूमि के नहीं है।

बागेश्वर में पार्टी ने आप के टिकट पर चुनाव लड़े चेहरे पर दांव लगाकर उपचुनाव को रोचक और चुनौतीपूर्ण बना दिया था। पार्टी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस पारंपरिक चेहरों पर दांव लगाकर चुनावों को सिर्फ रस्मी नहीं बनाना चाहती। उसका इरादा पांच लोकसभा सीटों पर उलटफेर करने व सत्तारूढ़ भाजपा को चौंका देने का है।

इसलिए पार्टी अब पांचों लोकसभा सीट पर उन चेहरों की तलाश में जुटेगी, जो भाजपा के लिए मुश्किलें पैदा कर सकते हैं। इसके साथ ही पार्टी समान विचारधारा वाले दलों को साथ लेकर आगे बढ़ेगी।

उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव की तैयारियों के बीच कांग्रेस के संभावित उम्मीदवारों के कई नाम सामने आ रहे हैं। इनमें से कुछ पहले ही कन्नी काटते दिखाई दे रहे, तो कुछ अघोषित रूप से खुद को प्रत्याशी के तौर पर पेश कर रहे हैं। ऐसे में आगामी चुनाव के रण में कौन महारथी होगा, आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प रहेगा।

पांच सीटों पर पार्टी में इन संभावित चेहरों की है चर्चा

टिहरी सीट पर पूर्व में एक बार किस्मत आजमा चुके पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रीतम सिंह खुले तौर पर चुनाव नहीं लड़ने की बात कह चुके हैं, जबकि विधायक विक्रम सिंह व पूर्व मंत्री नव प्रभात दूसरे संभावित नामों में गिने जा रहे हैं। वहीं, हरिद्वार में अघोषित तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत खुद को प्रत्याशी घोषित कर चुके हैं, लेकिन पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत भी ताल ठोकते नजर आ रहे हैं।

विधायक अनुपमा रावत संभावितों में शामिल हैं। पौड़ी संसदीय सीट पर पूर्व पार्टी अध्यक्ष गणेश गोदियाल और मनीष खंडूड़ी के नामों की चर्चा है। वहीं, नैनीताल सीट पर एनडी तिवारी के उत्तराधिकारी के तौर पर दीपक बलूटिया, गोविंद सिंह कुंज्वाल, प्रकाश जोशी, महेंद्र पाल जैसे नाम हैं।

प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा का नाम चौंकाने वाला हो सकता है, क्योंकि विस चुनाव में वह दो बार (वर्ष 2007 और 2017) अजय भट्ट को हरा चुके हैं। अल्मोड़ा में प्रदीप टम्टा प्रमुख नामों में शामिल है। वहीं, यशपाल आर्य और उनके पुत्र संजीव आर्य को भी उतारा जा सकता है। हालांकि, यशपाल लोस चुनाव न लड़ने की इच्छा जता चुके हैं। ऐसे में लंबा राजनीतिक नेतृत्व देने में संजीव और अनुभव के आधार पर प्रदीप का नाम सबसे ऊपर शामिल हो सकता है।

2009 में पांचों सीटों पर जमाया था कब्जा

उत्तराखंड राज्य गठन के बाद एक समय ऐसा भी आया, जब वर्ष 2009 में कांग्रेस ने पांचों सीटों पर कब्जा जमाया था। इससे पहले 2002 के उप चुनाव में महेंद्र पाल नैनीताल सीट से जीते थे। वहीं, इसी सीट पर वर्ष 2004 और 2009 के चुनाव में केसी बाबा ने जीत दर्ज की थी।अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करें

Like
Love
Ha Ha!
Bahut Badia
Angry
Disagreee
Boring
oh no
Dislike
shabaash
folded hands
लुधियाना में आंधी
Reactions

राजकुमार राव-पत्रलेखा

Rajkummar Rao: पत्नी पत्रलेखा की पसंद के कपड़े पहनते हैं राजकुमार राव? अभिनेता ने फैंस को दिए फैशन टिप्स

Bollywood

16 Oct 2023

Reactions

सीएम नीतीश कुमार (फाइल फोटो)
Reactions
Reactions

अशोक गहलोत और गोविंद सिंह डोटासरा
Reactions

बारिश
Reactions

You cannot copy content of this page