पहाड़ में स्वास्थ सेवाएं बदहाल हुई

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चुनाव के वक्त भाजपा व काग्रेस यही कहती फिरती है कि अगर हम सत्ता में आयेगें तो पहाड़ की कायापलट कर देंगें पलायन पर ब्रेक लगा देगें बेहतर शिक्षा ,स्वास्थ सड़क , पेयजल व रोजगार देगें जिसे कोई भी पलायन नहीं करेगें सता हथियाने के बाद वे सत्ता के नशे में मदहोश हो जाते है फिर उनकी जुबान में ये बाते नहीं आती है।
अल्मोड़ा ,बागेश्वर व पिथौरागढ़ के जिला मुख्यालयों के वेस अस्पताल केवल रिफर सेंटर बन गये है वे मरीज को सीधें हल्द्वानी सुशीला तिवारी अस्पताल को भेज दे रहे है लेकिन मरीज सुशीला तिवारी अस्पताल आना नहीं चाहता है तिमारदारों का कहना है कि मेडिकल कालेज होने के कारण यहां पर मरीजों का ईलाज मेडिकल छात्रों से कराते है और वे गलत ईजेंक्शन व दावा दिलाने से मरीज को सदा के लिए सुला देते है। प्राईवेंट अस्पताल पहाड़ के लोगों को पहिले खूब लूटते है जब उनके पास कुछ नहीं बचता तो कपड़े भी उतार देते है।

बागेश्वर । भाजपा की कछुवा चाल के चलते पहाड़ की मूलभूत सुविधा बदहाल होती जा रही है। अभी तक भाजपा की सरकार ने कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाये गये इससे जनता में काफि निराशा है।लोगों का कहना है कि प्रदेश का विकास दिशाहीन हो गया है। पहाड़ों में जिला मुख्यालय तक के बड़े अस्पताल डॉंक्टरविहीन हो चुके है जब जिला स्तर के असपतालों के हाल है तो प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ केन्द्रों के क्या हाल होगें इसी लिए यहां से लोगों का पलायन हो रहा है सरकार को सबगसे पहिले पहाड़ में बेहतर मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करायें तभी पलायन पर ब्रेक लगेगा ।
पिछली सरकार कांग्रेस ने प्रदेश सरकार भले ही पहाड़ी क्षेत्रों में चिकित्सा को मजबूती देने के तमाम दावे किए लेकिन धरातल पर उनके तमाम दावे हवाई साबित होते गये। पहाड़ और मैदान में चिकित्सकों के तबादले किये गये थे जिसमें पहाड़ों से मैदान को रिलीव होने में तो सभी ने दिलचस्पी दिखाई लेकिन मैदान से पहाड़ की ओर जाने को चिकित्सकों का मन नही है। कुछ एक चिकित्सको ंको छोड़ अन्य चिकित्सक एक माह बाद भी यहां से रिलीव होने में अपना मन नही बना रहे है जिसके कारण पहाड़ी क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधा पहले से भी बदतर हो चली है। पर्वतीय क्षेत्रों में बदहाल चिकित्सा व्यवस्था को लेकर वैसे तो हमेशा से ही सवाल उठाते रहे है जिसमें सरकार डाक्टरों को पहाड़ पर भेजने में हमेशा नाकाम साबित रही है। लेकिन पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार और वर्तमान की भाजपा सरकार ने पहाडी क्षेत्रों में चिकित्सा को मजबूती देने के लिए पहाड़ की जनता से कई वादे कियंे है। सरकार का दावा रहा है कि पहाड़ों पर चिकित्सकों की तैनाती के कड़े नियम बनाये जायेगें । हांलाकि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार अपने दावों पर पूरी तरह विफल साबित रही है जिसमें कई चिकित्सकों ने पहाड़ पर तैनाती की अपेक्षा नौकरी छोड़ने तक में दिलचस्पी दिखाई।

अब भाजपा सरकार आने के बाद उन्होनें भी पहाड़ी पर स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूती लाने की बात नहीं कही है। मैदान से पहाडों की ओर भेजे गये चिकित्सक आज भी अपनी ड्यूटीस्थल पर डटे है जिनका मन पहाड़ पर तैनात के लिए बिल्कुल गवाही नही दे रहा है। जबकि जिनका तबादला पहाड़ से मैदानी क्षेत्रों में किया गया था उन्होने आदेश के तत्काल बाद रिलीव ले लिया। पहाड़ों में पहले से ही चिकित्सकों की की कमी मरीजों पर भारी पड़ रही थी ऐसे में शेष बचे डाक्टरों में से भी डाक्टरों के यहां मैदान में चले जाने से मरीजों के सामने संकट और अधिक गहरा गया है। हालाकि शासन प्रशासन मैदानी क्षेत्रों से पहाड़ों पर भेजे गयें चिकित्सकों को रिलीव लेने के लिए कड़क कदम उठाती नजर दा रही है परन्तु अभी तक उनके तमाम प्रयास पूरी तरह विफल नजर आ रहे है।पहाड़ों पर खाली पड़े चिकित्सकों के पदों और तबादलें के बाद चिकित्सकों के न जाने से यहां पर स्वस्थ्य सेवाएं पहले से भी ज्यादा बदतर होती जा रही है। ऐसे में प्रदेश सरकार समय रहते न संभाल पाना आने वाले दिनों में समस्या को और अधिेक विकराल कर सकता है।

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