उत्तराखंड में भर्ती घोटाला आहत राज्य आंदोलनकारी बोले-इसलिए नहीं किया था उत्तराखंड के लिए संघर्ष, भाजपा व कांग्रेस के मंत्रियों ने बारी- बारी से इस प्रदेश को लूटा

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भाजपा व कांग्रेस के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार का घड़ा फूट चुका है उनके भ्रष्ट नीतियों से युवाओं को बड़ा धक्का लगा जो गरीब रात दिन मेहनत करके परीक्षा में बैठे हुए परिणाम का इंतजार करते रहे लेकिन उन्हें क्या पता कि विधान सभा में महा भ्रष्ट लोग बैठे हुए है । उत्तराखंड धामी सरकार भी पूरी तरह से भ्रष्टाचार में घिरी हुई है जिसे वह दबाना चाहती है एसआईटी बड़ी मछलियों पर हाथ नहीं डाल रही है ।
गोविन्द सिंह कुंजवाल ने तो विधान सभा अध्यक्ष की गरीमा को ध्वस्त कर दिया अगर कुंजवाल अपने बेटे व बहु के बजाय किसी गरीब जरूवतमंद युवा को नौकरी दी होती तो कुछ गुनाह युवा माफ कर देते। गोविन्द सिंह कुंजवाल पर रासूका लगानी चाहिए ।

देहरादून/ हल्द्वानी । राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष एवं वरिष्ठ आंदोलनकारी सुशीला बलूनी के मुताबिक राज्य मिलेगा तो पहाड़ के युवाओं को रोजगार मिलेगा इसी सोच के साथ आंदोलन किया। मैं 18 दिन भूख हड़ताल पर रही। कई आंदोलनकारियों ने अपनी शहादत दी, लेकिन युवाओं को रोजगार और विकास का सपना राज्य गठन के वर्षों बाद भी सपना बनकर रह गया है।
सरकारी नौकरियों की भर्ती में घपलों से राज्य आंदोलनकारी आहत हैं। उनका कहना है कि घोटालों के लिए उन्होंने उत्तराखंड के लिए संघर्ष नहीं किया। उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड अलग होगा तो पहाड़ी राज्य का विकास होगा। यहां के युवाओं को रोजगार के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा। उन्हें राज्य में रोजगार मिलेगा। जिससे पलायन रुकेगा। इसी सोच के साथ राज्य की लड़ाई लड़ी। जिसमें राज्य के 42 से अधिक लोगों ने अपनी शहादत दी।
मसूरी, खटीमा, मुजफ्फरनगर आदि विभिन्न गोलीकांड में 60 से अधिक लोग घायल हुए। विधानसभा में हुई भर्ती व अन्य भर्तियों में गड़बड़ी से न सिर्फ युवा बल्कि राज्य आंदोलनकारी खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। राज्य आंदोलनकारियों का कहना है कि युवाओं और महिलाओं को भर्तियों में हुए इस भ्रष्टाचार के खिलाफ आगे आना चाहिए।

सीएम पुष्कर सिंह धामी आखिर भ्रष्ट नेताओं को क्यों बचा रहे है , सीबीआई की जांच के आदेश क्यों जारी नहींे कर रहे है चाहे वह विधान सभा अध्यक्ष क्यों न हो बचाव पक्ष में क्यों आ रहे है चुनाव के वक्त तो कहा था कि मैं युवाओं के हक के लिए लड़ाई लड़ने के लिए चुनाव लड़ रहा हूॅं । युवा नेतृत्व में युवाओं का सम्मान होगा, इसी बात को लेकर आज युवा आहत है कि हमें प्रदेश के युवा नेतृत्व ने धोखा दिया हमारे भविष्य से खिलवाड़ किया है केवल वोट मांगने तक ही सीमित रहे है – विनोद सिंह घड़ियाल ,अध्यक्ष राज्य आन्दोलनकरी मोर्चा – काठगोदाम
दुख होता है, क्या सोचा था और क्या हो रहा है बलूनी
राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष एवं वरिष्ठ आंदोलनकारी सुशीला बलूनी के मुताबिक राज्य मिलेगा तो पहाड़ के युवाओं को रोजगार मिलेगा इसी सोच के साथ आंदोलन किया। मैं 18 दिन भूख हड़ताल पर रही। कई आंदोलनकारियों ने अपनी शहादत दी, लेकिन युवाओं को रोजगार और विकास का सपना राज्य गठन के वर्षों बाद भी सपना बनकर रह गया है। यह सोचकर दुख होता है कि हमने क्या सोचकर आंदोलन किया और राज्य मिलने के बाद रोजगार के नाम पर क्या हो रहा है।
युवाओं के हितों पर डाला गया डाका जुगरान
राज्य आंदोलनकारी रविंद्र जुगरान के मुताबिक संविधान के अनुच्छेद 14 व 16 में स्पष्ट है कि सरकारी, अर्द्धसरकारी या अन्य कोई ऐसी नौकरी जिसमें सरकारी खजाने से वेतन मिलता है। उसके लिए नियुक्ति की पूरी प्रक्रिया अपनाया जाना जरूरी है, लेकिन पता चला है कि विधानसभा में हुई भर्तियों में यह प्रक्रिया नहीं अपनाई गई। जो राज्य के युवाओं के हितों पर डाका है।
भ्रष्टाचार से राज्य को बचाने के लिए लड़ाई की जरूरत कुकरेती
राज्य आंदोलनकारी प्रदीप कुकरेती के मुताबिक भर्तियों में भाई, भतीजावाद कर जनता का मखौल उड़ाया जा रहा है। हालत यह है कि भ्रष्टाचार के मामले में राज्य बिहार से भी आगे निकल गया है। राज्य को इस भ्रष्टाचार से बचाने के लिए छात्र, युवाओं, पूर्व सैनिकों, अधिवक्ताओं, महिलाओं और सभी आंदोलनकारी संगठनों को सड़कों पर उतरना होगा। राज्य बचाने के लिए एक और लड़ाई लड़नी होगी।

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