उत्तराखंड में पर्वतीय क्षेत्र विधान सभा के विधायकों ने विधायक निधि बढ़ाने की मांग उठाई

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अगर उत्तराखंड विधायक निधि के विकास कार्यो की गुणवता की बात करें तो पहाड़ में 70 प्रतिशत तो कमीशन में चले जाता है वांकि 30 प्रतिशत का काम पार्टी के छुटभैये नेताओं के हाथों से काम कराया जाता है वे अपनी मनमानी तो करेगें ही क्योंकि 70 प्रतिशत तो कमीशन दिया जा रहा है जो विकास कार्य किया जाता है ,उस कार्य की गुणवता की तस्वीर महिनेभर में सामने आ जाती है अगर कोई शिकायत भी करें तो कहां करें सभी ने तो कमीशन डकारा है ।
कहने का तात्पर्य यह है कि सबसे पहिले जो विकास कार्य विधायक निधि में किये जा रहे है उस निधि का 80 प्रतिशत का कार्य धरातल में हो तभी गुणवता आयेगी हिमाचल में 80 प्रतिशत का ठोस कार्य किया जाता है ं उत्तराखंड में केवल कमीशन डकराने के लिए विधायक निधि बढ़ाने की मांग कर रहे है यह नहीं कि कार्य की गुणवता किस स्तर की होनी चाहिए। सबसे पहिले कार्य की गुणवता को प्राथमिकता देनी चाहिए ।

देहरादून. उत्तराखंड के दो जिले हरिद्वार और यूएसनगर मैदान क्षेत्र में आते हैं, जबकि देहरादून और नैनीताल का कुछ हिस्सा पहाड़ तो कुछ मैदान में आता है. लेकिन शेष नौ जिले पूरी तरह से पहाड़ क्षेत्र में आते हैं. मोटे तौर पर करीब विधानसभा की 35 सीटें पहाड़ में तो 35 सीटें मैदान में आती हैं. पहाड़ के विधायकों का कहना है कि पहाड़ में विधानसभाओं का क्षेत्रफल मैदानी क्षेत्र की विधानसभाओं की अपेक्षा कहीं अधिक है. लिहाजा, पहाड़ में क्षेत्रफल के आधार पर विधायक निधि और बजट का आंवदन होना चाहिए.
लैंसडौन के एमएलए दिलीप रावत भी मानते हैं कि पहाड़ में क्षेत्रफल तो अधिक है ही विकास कार्यों में लागत भी अधिक आती है. धर्मपुर से विधायक विनोद चमोली का कहना है कि बजट आंवटन की पूरी प्रकिया में ही समीक्षा की जरूरत है. इसे टॉप हिल्स, फुट हिल्स और मैदानी क्षेत्रों के आधार पर बांटा जाना चाहिए.

बता दें कि मौजूदा समय में उत्तराखंड में विधायकों को विधायक निधि के रूप में एक वित्तीय वर्ष के लिए तीन करोड़ 75 लाख का बजट मिलता है, जबकि हिमाचल में यही राशि एक करोड़ अस्सी लाख के आसपास है.पड़ोसी राज्य यूपी में सालाना पांच करोड़ की विधायक निधि दी जाती है.ं

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